बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 जारी है। 72 देशों के 4500 से ज्यादा एथलीट्स विभिन्न खेलों में पदक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। सबसे अधिक चर्चा गोल्ड मेडल पाने वाले खिलाड़ियों की होती है। ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट के किसी भी गेम में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले को स्वर्ण पदक, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले को रजत पदक और तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले को कांस्य पदक मिलता है। हालांकि ऐसा हमेशा से नहीं था।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

सिल्वर मेडल का था जलवा

ओलंपिक को दुनिया का सबसे बड़ा स्पोर्ट्स इवेंट माना जाता है। आखिरी ओलंपिक का आयोजन साल 2020 में जापान के टोक्यो में हुआ था। उसमें 206 देश शामिल हुए थे। 33 तरह के खेलों के लिए 339 पदक इवेंट हुए। भारत से गए 126 खिलाड़ियों ने 7 पदक जीते, जिसमें एक गोल्ड भी शामिल था। इस गोल्ड को जीतने वाले नीरज चोपड़ा की जिंदगी बदल चुकी है।

ओलंपिक की शुरुआत में गोल्ड मेडल हुआ ही नहीं करता था। सिल्वर मेडल पाने वाले एथलीट को ही सबसे बेहतर माना जाता था। ओलंपिक की शुरुआत 1896 में हुई थी। पहले ओलंपिक का आयोजन यूनान की राजधानी एथेंस में हुआ था। सिर्फ 14 देशों के 241 एथलीट्स ने 43 इवेंट में हिस्सा लिया था। कुल 10 तरह के खेलों को शामिल किया गया था। इस ओलंपिक में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सिल्वर मेडल और दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को ब्रॉन्ज कॉपर मेडल दिया गया था।

पदक के साथ डिप्लोमा भी

1896 के ओलंपिक के पदक को जूल्स क्लेमेंट चैपलेन ने डिजाइन किया था। पदक का व्यास 48 मिमी था। पहला स्थान प्राप्त करने वाले को एक सिल्वर मेडल, जैतून (ओलिव) की शाखा और एक डिप्लोमा देकर सम्मानित किया गया था। दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले को ब्रॉन्ज कॉपर मेडल, लॉरेल की शाखा और एक डिप्लोमा दिया गया था।

दूसरे ओलंपिक में भी गोल्ड नहीं

साल 1900 में दूसरे ओलंपिक का आयोजन पेरिस में हुआ। इस ओलंपिक से तीन पदक देने की रवायत शुरू हुई लेकिन गोल्ड मेडल इस बार भी शामिल नहीं था। 1900 के पेरिस ओलंपिक में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले को गिल्ट सिल्वर मेडल, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले को सिल्वर मेडल और तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले को ब्रॉन्ज मेडल दिया गया था। इस पदक पर पंखों वाली देवी बनी थी, जिसके दोनों हाथों में लॉरेल की शाखाएँ थी। तीसरे ओलंपिक यानी 1904 के सेंट लुइस ओलंपिक से गोल्ड मेडल दिए जाने की शुरुआत हुई।