कभी भारत की गिनती दुनिया की सबसे उपजाऊ और संपन्न इलाकों में होती थी। औरंगजेब आलमगीर के दौर में भारत दुनिया का अमीर देश था। तब दुनिया की कुल जीडीपी का एक चौथाई हिस्सा भारत उत्पन्न करता था। लेकिन अंग्रेजों ने 200 सालों के शासन में इस मुल्क को इतना लूटा कि आजादी के वक्त यह एक गरीब और खस्ताहाल देशों की सूची में पहुंच गया। सवाल उठता है भारत अंग्रेजों की चंगुल में फंसा कब?

व्यापार की मिली इजाजत

मुग़ल शहंशाह नुरुद्दीन मोहम्मद जहाँगीर के शासन काल से ही अंग्रेज भारत के साथ व्यापार करना चाहते थे। लेकिन तब मुगल शहंशाह ब्रिटेन को एक छोटा अप्रत्याशित द्वीप मानते थे। उनके साथ बराबरी का व्यापार मुगलों के शान के खिलाफ था। हालांकि अंग्रेज अधिकारियों ने प्रयास नहीं छोड़ा। ब्रिटिश राजदूत सर थॉमस रो लगातार कोशिश करते रहे कि कैसे भी एक समझौते पर हस्ताक्षर हो जाए, जिससे ब्रिटिश कम्पनी को भारत में व्यापार का अधिकार मिल जाए।

मुग़ल शहंशाह नुरुद्दीन मोहम्मद जहाँगीर से सीधी बातचीत का तो सवाल ही नहीं उठता, इसलिए सर थॉमस ने वली अहद शाहजहां से संपर्क की कोशिश की। तीन साल की कड़ी मेहनत, राजनयिक दांव-पेंच और तोहफों की लम्बी फेहरिस्त के बाद बात बन गई। अगस्त 1618 में वली अहद शाहजहां ने एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया, जिसके बाद कंपनी को गुजरात के सूरत में कारोबार करने की इजाजत मिल गई। यह फैसला इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ लेकिन भारत पर गुलामी की जंजीर इसके 147 साल बाद चढ़ी।

12 अगस्त को गुलाम हुआ भारत!

व्यापार के इरादे से भारत में घुसे अंग्रेजों ने पहले ईस्ट इंडिया कंपनी बनाई फिर रियासतों की आपसी लड़ाई और बिखराव का फायदा उठाकर देश पर कब्जा कर लिया। भारत पर अंग्रेजों के शासन की आधिकारिक शुरुआत 12 अगस्त 1765 को हुई जब मुगल बादशाह शाह आलम ईस्ट इंडिया कंपनी से युद्ध हार गए। युद्ध के बाद एक संधि हुई, जिसपर शाह आलम द्वितीय ने हस्ताक्षर किया। इसे इलाहाबाद संधि के नाम से भी जाना जाता है।

संधि के बाद लॉर्ड क्लाइव ने पूर्वी प्रांतों बंगाल, बिहार और उड़ीसा की ‘दीवानी’ यानी टैक्स वसूलने और जनता को नियंत्रित करने का अधिकार 26 लाख रुपये वार्षिक के बदले हासिल कर लिया। इसके बाद मुल्क कंपनी का गुलाम बन गया। बीबीसी की एक रिपोर्ट में इतिहासकार सैयद हसन रियाज़ के हवाले से बताया गया है कि तब जनता के बीच यह धारणा प्रचलित थी, ”दुनिया ख़ुदा की, मुल्क बादशाह का और हुक्म कंपनी बहादुर का।”