सचिन रमेश तेंदुलकर 24 अप्रैल, 2023 को 50 साल के हो गए। उनका जन्म साल 1973 में हुआ था। सचिन को ‘महान क्रिकेटर’ बनाने में उनके कोच रमाकांत आचरेकर की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।
आचरेकर ने शिवाजी पार्क स्थित अपनी अकादमी कामत मेमोरियल में कई क्रिकेटर पैदा किए, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में उनके सबसे बड़े योगदान को सचिन तेंदुलकर के रूप में जाना जाता है। वही तेंदुलकर जिनके नाम सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शतक लगाने, सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने, सबसे अधिक ODI रन बनाने और सबसे ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का रिकॉर्ड है।
हालांकि क्रिकेट को लेकर बचपन में ही सचिन के भीतर जो गंभीरता आयी, उसमें आचरेकर के जोरदार थप्पड़ का भी योगदान माना जाता है।
क्या हुआ था?
बीबीसी संवाददाता एक रेहान फजल एक बातचीत में कहते हैं कि आचेरकर का पूरा जोर खिलाड़ी को सख्त बनाने में होता था। वह टेक्निक पर उतना जोर नहीं देते थे। आचरेकर सचिन तेंदुलकर से उनके पैर में पैड बांधकर शिवाजी स्टेडियम के दो चक्कर लगवाते थे। वह बहुत ही अनुशासन वाले व्यक्ति थे।
सचिन तेंदुलकर के कोच लापरवाही करने पर सजा देने से भी नहीं चूकते थे। एक बार सचिन तेंदुलकर ने सीनियर स्कूल टीम का फाइनल मैच देखने के लिए अपना प्रैक्टिस मैच छोड़ दिया। वह अपने एक दोस्त के साथ वानखेड़े स्टेडियम जाकर टीम को चियर्स कर रहे थे।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सचिन ने स्टेडियम में अपने सर (आचेरकर) को देखा, उनका अभिवादन किया। आचेरकर जानते थे कि सचिन ने उस दिन का प्रैक्टिस मैच छोड़ दिया है, फिर भी उन्होंने पूछा कि आज का प्रदर्शन कैसा था। इस पर सचिन ने जवाब दिया, “मैंने सोचा था कि अपनी टीम का हौसला बढ़ाने के लिए मैं आज का मैच छोड़ दूं।”
इतना सुनते ही सचिन के कोच ने उन्हें एक जोरदार थप्पड़ जर दिया। थप्पड़ इतना तेज था कि सचिन के हाथ से उनका टिफिन बॉक्स छूट गया और उसका पूरा सामान इधर-उधर बिखर गया।
थप्पड़ के बाद मिला ज्ञान
सचिन बताते हैं, “उस समय, सर ने मुझसे कहा ‘तुम्हें यहां दूसरों को चियर्स करने आने की जरूरत नहीं है। इस तरह खेलो कि दूसरे तुम्हारा हौसला बढ़ाएं’। उस दिन के बाद से, मैंने बहुत कठिन अभ्यास करना शुरू कर दिया। अगर उस दिन वह घटना नहीं होती, तो मैं स्टैंड्स से दूसरों को चीयर कर रहा होता।”
गेंदबाज बनना चाहते थे सचिन
सचिन तेंदुलकर गेंदबाज बनना चाहते थे लेकिन यह आचरेकर ही थे जिन्होंने उनके सपने को एक बल्लेबाज में बदल दिया। उन्होंने ही उनका स्कूल भी बदलवा दिया था ताकि वह ज्यादा से ज्यादा समय प्रैक्टिस को दे सके। वैसे आचेरकर के छात्रों में सिर्फ तेंदुलकर ने ही नाम नहीं कमाया, वह प्रतिभाशाली विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, अजीत आगरकर और रमेश पोवार के भी कोच थे। रमाकांत आचेरकर का जनवरी 2019 में 87 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया था।
