India China LAC Tensions: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। ऐसे वक्त में भारत के पड़ोसी देश चीन की भूमिका पर नजर डालना भी जरूरी है क्योंकि रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत के किसी भी सैन्य हमले को तय करने में पाकिस्तान और चीन के सैन्य संबंध और भारत के खिलाफ चीन का क्या रुख है, यह भी बेहद अहम है।
यह भी जानना जरूरी होगा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जब 1965 और 1971 में युद्ध हुए तो उस दौरान चीन की क्या भूमिका रही थी?
1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में तो चीन लगभग खामोश रहा था लेकिन 1965 में इन दोनों देशों के युद्ध के दौरान उसने आक्रामक रुख दिखाया था।
गंभीर नतीजे भुगतने की दी थी चेतावनी
अमेरिका के State Department archives और Central Intelligence Agency (CIA) के दस्तावेजों को खंगालने से पता चलता है कि 1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था तो चीन ने भारत को चेतावनी दी थी। चीन ने 16 सितंबर, 1965 को भारत से कहा था कि वह चीन-सिक्किम सीमा पर बनाए गए अपने सभी military installations को तीन दिन के अंदर हटा दे वरना इसके गंभीर नतीजे होंगे। सितंबर, 1964 से पहले चीन ने सिक्किम के बॉर्डर पर सैन्य ढांचे बनाए जाने को लेकर भी भारत पर कई बार आरोप लगाए।
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तमाम अहम दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन ने कहा कि भारत के सैनिकों ने Natu La में चीन के इलाके में कई सैन्य संरचनाएं बना दी हैं। 29 जुलाई, 1965 को उसने नई दिल्ली को एक नोट भेजा और कहा कि भारत ने अभी तक कहे जाने के बावजूद भी इन ढांचों को नहीं गिराया है। हालांकि भारत की ओर से इस तरह के सभी आरोपों का पूरी तरह खंडन किया गया और कहा कि इस तरह के आरोप जानबूझकर लगाए गए हैं।
CIA के दस्तावेज में क्या था?
चीन के द्वारा उस समय जारी किए गए नोट से भारत के लिए चिंता वाले हालात बन गए थे। CIA के एक दस्तावेज में कहा गया था, “चुम्बी घाटी भारत में आक्रमण के लिए सबसे सही रास्ता है और यदि चीन इस रास्ते से सफलतापूर्वक हमला करता है तो वह पूर्वी पाकिस्तान तक पहुंच सकता है, जिससे असम के पूर्वी हिस्से में तैनात भारतीय सेनाएं अलग-थलग पड़ सकती हैं।” हालांकि चीन ने तब इस तरह के हमले की सीधी धमकी नहीं दी थी।
दस्तावेजों में पूर्वी कमांड के तत्कालीन जनरल अफसर कमांडिंग इन चीफ जनरल सैम मानेकशॉ की 19 सितम्बर, 1965 को की गई टिप्पणी भी शामिल है।
लगातार परेशान करता रहा चीन
1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम के बाद भी चीन ने लगातार परेशानियां पैदा कीं। तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव सीएस झा ने अमेरिकी राजदूत को 29 नवंबर, 1965 को एक नोट लिखा था। उन्होंने कहा था कि 13 नवम्बर, 1965 को सिक्किम में डोंगचुई ला के पार बड़े पैमाने पर घुसपैठ हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के एक जवान की मौत हो गई थी।
विदेश सचिव ने कहा था कि पिछले कुछ दिनों में सिक्किम सीमा पर घुसपैठ लगभग आम बात हो गई है। नोट में कहा गया था कि चीन ने ऐसा पाकिस्तान की मदद करने के लिए किया था जिससे वह चीन-भारत की सीमा पर तनाव पैदाकर भारत पर दबाव डाल सके कि वह पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई न करे।
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लद्दाख में कुछ जगहों पर पर चीनियों ने LAC को पार किया तथा त्साकुर और दौलत बेग ओल्डी के ट्रैक जंक्शन जैसे भारतीय इलाकों में घुसपैठ की।
चीन के साथ हुआ था भारत का टकराव
बताना जरूरी होगा कि लद्दाख में चीन के साथ भारत का टकराव 2020 में हुआ था और इससे 1 साल पहले 2019 में पुलवामा आतंकी हमला हुआ था। इसलिए ऐसा लगता है कि चीन इस बार भी चुप नहीं रहेगा और वह LAC पर भारत को डराने की कोशिश करेगा जिससे पाकिस्तान पर दबाव कम हो सके।
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