Munambam Land Case Ernakulam: देश में वक्फ संशोधन विधयेक, 2024 को लेकर चल रहे शोरगुल और हंगामे के बीच केरल के एर्नाकुलम जिले में वक्फ के द्वारा एक जमीन पर दावा किये जाने का जबरदस्त विरोध हो रहा है। केरल में हिंदू और ईसाई समुदाय के लोग इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

बताना होगा कि बीते कुछ महीनों में संसद में वक्फ संशोधन विधयेक, 2024 को लेकर अच्छा-खासा हंगामा हो चुका है। हंगामे के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजना पड़ा था। मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि बीजेपी उनके धार्मिक मामलों में दखल दे रही है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड साफ कर चुका है कि वह वक्फ कानून में किसी भी तरह के दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा।

क्या है यह पूरा मामला?

केरल के राज्य वक्फ बोर्ड ने पिछले काफी समय से एर्नाकुलम जिले के मुनंबम तट पर 404 एकड़ जमीन पर अपना दावा ठोका हुआ है। अहम बात यह है कि इस जमीन पर 600 ईसाई और हिंदू परिवार कई पीढ़ियों से साथ-साथ रह रहे हैं।

स्थानीय लोग वक्फ बोर्ड के इस दावे के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। केरल में वायनाड संसदीय सीट के साथ ही चेलाक्कारा और पलक्कड़ की विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग हुई है और इस दौरान बीजेपी ने इस मामले को मुद्दा बनाने की कोशिश की। इसके अलावा पलक्कड़ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को वोटिंग होनी है।

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वक्फ बोर्ड बिल से बीजेपी को होगा फायदा? (ANI)

यहां बताना जरूरी होगा कि पिछले महीने ही केरल की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को वापस लेने के लिए कहा था।

सीएम से मिले पीड़ित परिवार

मुनंबम के ईसाई और हिंदू परिवारों ने इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से मुलाकात की है। इसे लेकर केरल के सैकड़ों चर्चों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और इस मुद्दे को लोगों के बीच पहुंचाया जा रहा है। हालात को देखते हुए केरल की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार ने 22 नवंबर को हाई लेवल मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री और राज्य के तमाम आला अफसर मौजूद रहेंगे।

इस साल अगस्त में जब लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया गया था तब सिरो-मालाबार चर्च और केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल ने जेपीसी को पत्र लिखकर यह जानकारी दी थी कि वक्फ बोर्ड ने मुनंबम में ईसाई परिवारों की संपत्तियों पर अवैध रूप से दावा किया है।

अब समझते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है?

राज परिवार ने 404 एकड़ जमीन पट्टे पर दे दी थी

यह जमीन जिसे लेकर विवाद हो रहा है, केरल के एर्नाकुलम जिले में वाइपिन द्वीप के उत्तरी किनारे पर मुनंबम के कुझुप्पिल्ली और पल्लीपुरम गांवों तक फैली हुई है। यहां लंबे वक्त से मछुआरा समुदाय के लोग रह रहे हैं। इस जमीन पर रह रहे लगभग 604 परिवारों में से 400 परिवार ईसाई हैं। ये लैटिन कैथोलिक समुदाय से आते हैं जिन्हें ईसाइयों में पिछड़ा समुदाय माना जाता है जबकि बाकी परिवार हिंदुओं में पिछड़े समुदाय के हैं।

यह पूरा विवाद 1902 में शुरू हुआ था, जब तत्कालीन त्रावणकोर के राज परिवार ने 404 एकड़ जमीन को अब्दुल सत्तार मूसा सैत नाम के व्यापारी को पट्टे पर दे दिया था। जबकि पहले से ही इस जमीन पर मछुआरा समुदाय का कब्जा था। 1948 में अब्दुल सत्तार मूसा सैत के दामाद मोहम्मद सिद्दीक सैत ने इस जमीन को अपने नाम रजिस्टर करवा लिया था और उसने इस जमीन को कोझिकोड के फ़ारूक कॉलेज के मैनेजमेंट को सौंप दिया। यह कॉलेज मूल रूप से मुस्लिम समुदाय की अच्छी तालीम के लिए बनाया गया था।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Source- Express)

वक्फ दस्तावेज हुआ रजिस्टर

1 नवंबर, 1950 को कोच्चि के एडापल्ली में सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में इस जमीन से जुड़ा एक वक्फ दस्तावेज रजिस्टर किया गया और इसमें मोहम्मद सिद्दीक सैत ने जमीन को फ़ारूक कॉलेज के मैनेजमेंट को दान कर दिया। वक्फ दस्तावेज एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें इस्लामी कानून के तहत किसी संपत्ति को स्थायी रूप से दान या धार्मिक मकसद से किसी को दे दिया जाता है।

फ़ारूक कॉलेज के मैनेजमेंट को लगभग एक दशक बाद इस जमीन का मालिकाना हक मिला लेकिन 1960 के अंत में इस जमीन पर रहने वाले लोगों और कॉलेज मैनेजमेंट के बीच कानूनी विवाद शुरू हो गया। जो लोग इस जगह पर कई पीढ़ियों से रह रहे थे लेकिन उनके पास अपने मालिकाना हक को साबित करने के लिए कोई कानूनी दस्तावेज नहीं था। दूसरी ओर फ़ारूक कॉलेज का मैनेजमेंट इन्हें इस जमीन से बेदखल करना चाहता था।

अदालत पहुंचा मामला

आखिरकार यह मामला अदालत तक पहुंचा और वहीं इसमें समझौता हुआ। कॉलेज के प्रबंधन ने फैसला लिया कि वह इस जमीन को बाजार रेट की कीमत पर यहां रहने वालों को बेचेगा। लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि कॉलेज के मैनेजमेंट ने बिक्री के दस्तावेजों में यह नहीं बताया कि यह जमीन वक्फ की संपत्ति है और इसे पढ़ाई के मकसद से कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष को दिया गया था। इसके बजाय यह कहा गया कि यह संपत्ति उन्हें तोहफे में मिली थी।

इसके बाद राज्य के वक्फ बोर्ड के खिलाफ कई शिकायतें की गई। साल 2008 में वीएस अच्युतानंदन के नेतृत्व वाली सीपीएम सरकार ने रिटायर्ड जिला एमए निस्सार की अध्यक्षता में एक आयोग को जिम्मेदारी दी गई कि वह इस मामले को देखे। आयोग ने 2009 में अपनी रिपोर्ट पेश की इसमें उसने मुनंबम की जमीन को वक्फ की संपत्ति माना और कहा कि कॉलेज प्रबंधन ने बोर्ड की सहमति के बिना इसकी बिक्री को मंजूरी दे दी। आयोग ने यह भी सिफारिश की कि इस मामले में वसूली की कार्रवाई की जाए।

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पीएम मोदी के साथ चंद्रबाबू नायडू (PTI PHOTO)

वक्फ की जमीन घोषित कर दिया

इसके बाद 2019 में वक्फ बोर्ड ने खुद ही मुनंबम की जमीन को वक्फ की जमीन घोषित कर दिया। साथ ही वक्फ बोर्ड ने राज्य सरकार के राजस्व विभाग को निर्देश दिया कि वह इस जमीन पर रह रहे वर्तमान कब्जेदारों से किसी भी तरह का जमीन कर ना ले। हालांकि इस निर्देश को राज्य सरकार ने 2022 में खारिज कर दिया था। इसके बाद वक्फ बोर्ड ने केरल हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी और कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। अभी भी इस मामले में अदालत में सुनवाई चल रही है।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का कहना है कि वह इस जमीन पर रह रहे लोगों को बेदखल नहीं करना चाहता और अदालत के बाहर मामले का सेटलमेंट करने के पक्ष में है।

…वक्फ का कानून क्रूरता जैसा

बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी का कहना है कि संसद में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को हर हाल में पारित किया जाएगा। गोपी ने कहा कि वक्फ का कानून एक तरह की क्रूरता है। उन्होंने कहा इस क्रूरता को पूरे भारत में दबाया जाएगा और कठोर फैसले लिए जाएंगे। बीजेपी की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष बी. गोपालकृष्णन ने कहा कि कल हिंदू मंदिर सबरीमाला भी वक्फ की संपत्ति बन जाएगा, भगवान अय्यप्पा को इसे खाली करना होगा। वेलंकन्नी ईसाई मंदिर (तमिलनाडु में) ईसाइयों का बड़ा धार्मिक स्थल है। अगर वक्फ इनकी जमीन पर हिस्सेदारी ठोकता है तो मंदिर बोर्ड के पास चला जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमें ऐसा होने देना चाहिए?

बी. गोपालकृष्णन ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि केरल में एलडीएफ और यूडीएफ ने इस बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। अगर आप सबरीमाला और वेलंकन्नी को वक्फ बोर्ड के पास जाते नहीं देखना चाहते, तो बीजेपी को वोट दें।