लोकसभा चुनाव में इस तरह का संकेत मिलने के बाद कि बीजेपी का दलित वोट बैंक विपक्षी इंडिया गठबंधन की ओर शिफ्ट हुआ है, संघ परिवार अब दलित समुदाय तक पहुंचने के लिए 15 दिनों के धर्म सम्मेलनों का आयोजन करने जा रहा है।
इस दौरान संघ परिवार से जुड़े हुए लोग गांवों और शहरों में रहने वाले दलित समुदाय के लोगों से संपर्क करेंगे।
यह कार्यक्रम विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित किए जाएंगे और इस दौरान संघ परिवार के लोग दलित समुदाय के घरों में जाकर भोजन करेंगे और उन्हें हिंदू धर्म के बारे में जानकारी भी देंगे।

हिंदू समाज को जागरूक करने की कोशिश
वीएचपी के अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया, “धर्म सम्मेलनों के कार्यक्रम दीवाली (1 नवंबर) से 15 दिन पहले शुरू हो जाएंगे। हमने धार्मिक नेताओं और संतों से निवेदन किया है कि वे गांवों और शहरों में दलित समुदाय के इलाकों में पदयात्रा निकालें।”
इन धर्म सम्मेलनों के दौरान हिंदू धर्म के संत दलित समुदाय के लोगों के साथ भोजन भी करेंगे। उन्होंने बताया कि वीएचपी की ओर से यह कार्यक्रम समाज को जागरूक करने के लिए किए जा रहे हैं और संगठन समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम करता रहता है।
आलोक कुमार ने बताया कि वीएचपी का ऐसा मानना है कि सत्संग में इस बात का इंतजार करने के बजाए कि इसमें लोग आएंगे, अब सत्संग ही लोगों के पास जाएगा।

9000 ब्लॉकों में होंगी धार्मिक सभाएं
आलोक कुमार ने बताया कि इससे पहले वीएचपी की ओर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह कार्यक्रम 24 अगस्त से शुरू होंगे और इस दौरान वीएचपी से जुड़े हुए लोग देश भर के 9000 ब्लॉकों में धार्मिक सभाएं करेंगे। इन सभाओं में महिलाओं और दलित समुदाय के लोगों के साथ ही समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल होंगे।
हिंदू समाज को एकजुट करने और हिंदुओं के भीतर छुआछूत को खत्म करने के लिए संघ परिवार इस तरह के कार्यक्रम लंबे वक्त से आयोजित करता रहा है। मौजूदा वक्त में संघ परिवार को इसकी ज्यादा जरूरत महसूस हुई है क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह बात सामने आई है कि दलित समुदाय के बड़े वर्ग ने चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन का साथ दिया है। ऐसा महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे गैर हिंदी भाषा राज्यों के अलावा हिंदी पट्टी में आने वाले राज्यों में भी दिखाई दिया है।
ऐसा माना जा रहा है कि इस वजह से बीजेपी को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और पार्टी 272 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने से पीछे रह गई।

अयोध्या (फैजाबाद) में भी हारी बीजेपी
बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान उत्तर प्रदेश में हुआ। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भी पार्टी को न सिर्फ अयोध्या (फैजाबाद) की सीट पर सपा के हाथों हार मिली बल्कि इसकी सीटों की संख्या भी 2019 के मुकाबले काफी गिर गई।
यूपी में 29 सीटों का हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 33 | 62 |
सपा | 37 | 5 |
कांग्रेस | 6 | 1 |
बीएसपी | 0 | 10 |
रालोद | 2 | – |
अपना दल (एस) | 1 | 2 |
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – |
सात केंद्रीय मंत्री हारे चुनाव
लोकसभा सीट | हारे हुए पूर्व मंत्री का नाम | हार का अंतर |
अमेठी | स्मृति ईरानी | 1.67 लाख |
चंदौली | महेंद्र नाथ पांडे | 21,565 |
मुजफ्फरनगर | संजीव बालियान | 24,672 |
लखीमपुर खीरी | अजय मिश्रा टेनी | 34,329 |
फतेहपुर | साध्वी निरंजन ज्योति | 33,199 |
जालौन (एससी) | भानु प्रताप सिंह वर्मा | 53,898 |
मोहनलालगंज (एससी) | कौशल किशोर | 70,292 |
विपक्ष ने ‘संविधान बचाने’ को बनाया था मुद्दा
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से इस तरह के बयान दिए गए थे कि अगर एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें मिल जाती हैं तो संविधान में बदलाव किया जाएगा और ऐसा करके भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का रास्ता तैयार होगा।
माना जा रहा है कि इस वजह से दलित समुदाय ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी का साथ नहीं दिया। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस और इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था और कहा था कि बीजेपी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला कर रही है और यह चुनाव संविधान को बचाने की लड़ाई का चुनाव है।