दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी आठ मार्च को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस के माध्यम से पितृसत्ता और पूंजीवाद को कुचलने वाले महिला आन्दोलनों की विरासत को याद किया जाता है।
भारतीय नारीवादी आंदोलन के केंद्र में सिर्फ बराबरी के अधिकारों की मांग नहीं रही, बल्कि सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश भी रही है। कई दशकों के सतत आंदोलन के बाद क्या यह कहा जा सकता है कि भारत में महिलाएं सुरक्षित महसूस कर रही हैं?
जवाब है – नहीं। भारत में 15 साल और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में सुरक्षा की भावना कम हुई है। Georgetown Institute 2023 Women, Peace and Security Index के अनुसार भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में सुरक्षा की भावना में गिरावट देखी गई है।
2017 में 65.5 प्रतिशत भारतीय महिलाओं सुरक्षित महसूस करने की जानकारी दी थी। लेकिन 2023 में यह आंकड़ा 58 प्रतिशत तक गिर गया। इंडेक्स को इस आधार पर तैयार किया जाता है कि महिलाएं अपने क्षेत्र (शहर या गांव) में रात के वक्त निकलते में सुरक्षित महसूस करती हैं या नहीं।

तुलनात्मक रूप से अन्य देश इस मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं: चीन में 91 प्रतिशत महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं, जबकि यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में यह आंकड़ा क्रमशः 74 प्रतिशत और 61 प्रतिशत है। इस लिस्ट में सबसे नीच दक्षिण अफ्रीका है, वहां की केवल 27 प्रतिशत महिलाएं ही खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं।
आठ में से एक महिला यौन हिंसा की शिकार
इसी सूचकांक से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर “आठ में से एक से अधिक महिलाओं” के साथ पिछले 12 महीनों में उनके इंटिमेट पार्टनर ने शारीरिक या यौन हिंसा की है। यह दर स्विट्जरलैंड और सिंगापुर में 2 प्रतिशत से लेकर इराक में 45 प्रतिशत तक है यानी अलग-अलग देशों में अलग-अलग। भारत में यह आंकड़ा 18 प्रतिशत है।
महिलाओं की न्याय तक पहुंच हुई है कम
इन चिंताजनक आंकड़ों के बावजूद भारत में महिलाओं की न्याय तक पहुंच कम है, जैसा कि सूचकांक की एक से चार के पैमाने पर रैंकिंग से पता चलता है। यह पैमाना “इस हद तक का आकलन करता है कि महिलाएं मुकदमे करने, निष्पक्ष जांच मिलने और अपने अधिकारों का उल्लंघन होने पर कानूनी निवारण प्राप्त करने में सक्षम हैं।”
भारत का स्कोर 2.4 है। अमेरिका के लिए यह 3.5 है। दक्षिण अफ्रीका और यूके में 3.3 है। रूस का स्कोर सबसे कम 1.6 है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े
2022 में भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के औसतन 1,001 मामले प्रतिदिन दर्ज किए गए। जबकि 2021 में यह आंकड़ा 980 था। एनसीआरबी की डेटा से पता चलता है कि ऐसे अपराधों की सजा दर 2022 में गिरकर 23.3 प्रतिशत हो गई, जो पिछले वर्ष 25.2 प्रतिशत थी।

2022 में यौन उत्पीड़न के 17,809 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 523 महिलाओं और बच्चों के लिए बने शेल्टर होम में, 422 सार्वजनिक परिवहन में और 419 कार्यस्थलों या कार्यालय परिसर में हुए।