उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में अहमदाबाद की जिस एग्जामिनेशन और टेस्टिंग एजेंसी को ब्लैक लिस्ट किया गया था, उस पर पहले भी इस तरह की कार्रवाई हो चुकी है। इस एजेंसी का नाम एडुटेस्ट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड है।
साल 2017 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, तब एडुटेस्ट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विनीत आर्य और आयोग के तत्कालीन निदेशक को गिरफ्तार किया गया था और साल 2020 तक उन्हें न्यायिक हिरासत में भी रखा गया था।
बीते साल इस एजेंसी को बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (बीएसईबी) ने ब्लैक लिस्ट कर दिया था और यह कार्रवाई इस एजेंसी द्वारा कराई गई शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने की वजह से की गई थी।

इसके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा करवाने का ठेका इस एजेंसी को दे दिया था। यह परीक्षा 17 और 18 फरवरी को हुई थी। पुलिस कांस्टेबल के 60,244 पदों के लिए 48 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी और इसके लिए उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 2370 से ज्यादा परीक्षा केंद्र बनाए गए थे।
पेपर लीक को लेकर सामने आई चिंताओं के बाद 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी थी और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने इस एजेंसी को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश दिया था।
एसटीएफ ने जारी किया नोटिस
यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने विनीत आर्य को नोटिस भी जारी किया है लेकिन अभी तक उनसे पूछताछ नहीं की गई है। एसटीएफ पेपर लीक मामले में इस एजेंसी की भूमिका की जांच कर रही है। एसटीएफ ने अब तक 18 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। एसटीएफ पड़ताल कर रही है कि क्या गिरफ्तार किए गए लोगों में से किसी का संबंध इस एजेंसी के मालिक या एजेंसी के कर्मचारियों से है?
पुलिस ने अब तक इस एजेंसी के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ पेपर लीक में उनकी भूमिका को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है। एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने बताया कि जांच में पता चला है कि एजेंसी की ओर से लापरवाही की गई है और इसके सबूत भी सामने आए हैं।
जब यह सवाल पूछा गया कि एक ब्लैक लिस्टेड एजेंसी को उत्तर प्रदेश पुलिस की परीक्षा कराने का कॉन्ट्रैक्ट क्यों दिया गया तो यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड के अफसर ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

सीएसआईआर के लिए भी करानी थी परीक्षा
एड्यूटेस्ट ने अपनी वेबसाइट में दावा किया है कि वह अब तक सरकारी और सरकारी शिक्षण संस्थानों के लिए 113 करोड़ परीक्षाएं करा चुकी है। सूत्रों ने बताया कि एड्यूटेस्ट को 7 जुलाई को ही काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के लिए एक परीक्षा आयोजित करानी थी।
सीएसआईआर के एक अफसर ने बताया कि यह पहला मौका था जब इस एजेंसी को हमारी ओर से कोई परीक्षा कराने के लिए हायर किया गया था। एक सूत्र ने बताया कि पिछले साल की अंतिम तिमाही में जब इस एजेंसी को हायर किया गया था तब सीएसआईआर को इस बात की जानकारी नहीं थी कि एजेंसी को राज्य सरकार द्वारा ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है और एजेंसी के द्वारा जो डॉक्यूमेंट दिए गए थे उससे यह नहीं पता चलता था कि उसे गड़बड़ियों के लिए ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है।
इस एजेंसी के पास 450 कर्मचारी हैं और इसके नोएडा, लखनऊ, पटना, अहमदाबाद और गांधीनगर में भी दफ्तर हैं और 26 जगहों से इसके कर्मचारी काम कर रहे हैं।
यह एजेंसी परीक्षा से जुड़े हुए कई काम जैसे- हॉल टिकट, प्रश्न पत्र छापना, परीक्षा केंद्र का प्रबंध करना, आंसर शीट को स्कैन करना, रिजल्ट तैयार करना और आंसर शीट को अपलोड करना जैसे जरूरी काम करती है।
दूसरी सबसे बड़ी टेस्टिंग कंपनी होने का दावा
यह कंपनी 1981-82 में शुरू हुई थी और इसकी शुरुआत प्रश्न पत्र छापने वाली एजेंसी के रूप में हुई थी। कंपनी दावा करती है कि वह राजस्व और डिजिटल परीक्षाएं कराने के मामले में टीसीएस के बाद दूसरी सबसे बड़ी टेस्टिंग कंपनी है।
एजेंसी के मालिक विनीत आर्य के पिता सुरेश चंद्र आर्य हैं, वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं और सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष भी हैं। यह प्रतिनिधि सभा आर्य समाज की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है।
पत्नी और बेटे को बनाया डायरेक्टर
विनीत आर्य 2017 में जब बिहार में पेपर लीक का मामला सामने आया था और उनकी गिरफ्तारी हुई थी, तब तक इस एजेंसी के डायरेक्टर थे। मौजूदा वक्त में उनकी पत्नी जया और बेटा सक्षम इस कंपनी के डायरेक्टर हैं।
कंपनी के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि विनीत आर्य के पिता सुरेश चंद्र आर्य को 19 जून को ब्रेन स्ट्रोक आया था और उनका इलाज चल रहा है। पूरा परिवार इस वजह से बेहद तनाव में है और वह उनकी देखभाल कर रहा है। कंपनी के अफसर ने इस तरह की अफवाहों को खारिज किया कि विनीत आर्य विदेश भाग गए हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस की परीक्षाओं के मामले को लेकर कंपनी के अफसर ने कहा कि कंपनी को 20 लाख उम्मीदवारों के बारे में बताया गया था लेकिन उम्मीदवारों की असली संख्या 50 लाख थी। उन्होंने बताया कि कंपनी को नवंबर के अंत में और दिसंबर के पहले हफ्ते के आसपास काम दिया गया था, हमें तैयारी के लिए कम से कम 90 दिनों की जरूरत होती है लेकिन हमसे कहा गया कि आप 40 दिन में काम पूरा करके दीजिए।
पेपर लीक होने पर रद्द कर दी गई परीक्षा
परीक्षा होने के एक सप्ताह बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस परीक्षा को रद्द कर दिया क्योंकि जांच में यह बात सामने आई कि पेपर लीक हुआ है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने डायरेक्टर को छोड़कर कंपनी के लगभग 50 कर्मचारियों से लखनऊ में 15 दिन तक पूछताछ की थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा था कि यह मामला सुलझ गया है और यह पेपर टीसीआई एक्सप्रेस के नोएडा गोदाम से लीक हुआ था। टीसीआई एक्सप्रेस को इस एजेंसी के द्वारा पेपर डिलीवर करने के लिए सब कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था।

2020 में रिहा हो गए थे विनीत आर्य
2017 में एजेंसी को बिहार कर्मचारी चयन आयोग की ओर से क्लर्क और असिस्टेंट के पदों के लिए भर्ती से जुड़े प्रश्न पत्र छापने का काम दिया गया था लेकिन जब पेपर लीक हो गया तो पटना पुलिस ने 40 लोगों को हिरासत में ले लिया था। इसमें विनीत आर्य के अलावा बीएसएससी के चेयरपर्सन सुधीर कुमार और बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम भी शामिल थे। सुधीर कुमार अभी भी हिरासत में ही हैं जबकि विनीत को 2020 में रिहा कर दिया गया था।
इस साल मार्च में होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा-3 परीक्षा के पेपर लीक मामले में बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने अब तक 321 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में एनईईटी-यूजी पेपर लीक का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया का बेटा शिव उर्फ बिट्टू भी शामिल है।