Real Love Story: शानदार लव स्‍टोरीज को पर्दे पर द‍िखा कर बॉलीवुड में अमर हो चुके यश जौहर की अपनी प्रेम कहानी (Yash Johar Love Story) भी बेहद द‍िलचस्‍प है। उनके बेटे करण जौहर ने आत्‍मकथा ‘एन अनसूटेबल बॉय’ (पेंग्‍व‍िन बुक्‍स से प्रकाश‍ित) में प‍िता की ‘र‍ियल लव स्‍टोरी’ बयां की है।

करण के प‍िता यश जौहर और उनकी मां हीरू की पहली मुलाकात फरवरी के महीने में हुई थी और मई में उनकी शादी हो गई थी। दोनों पहली बार रेस कोर्स (मुंबई) में म‍िले थे। तीन द‍िन तक यश उनके ही पीछे पड़े रहे थे।

हीरू रेस की शौकीन थीं और हर इतवार रेस कोर्स आया करती थीं। यश जौहर से पहली मुलाकात के कुछ ही द‍िन बाद हीरू का जन्‍मद‍िन (18 मार्च)  आने वाला था। यश ने इस मौके पर भल्‍ला हाउस (पाली ह‍िल) में शानदार पार्टी दी। यश ने पार्टी की यह जगह भी इसल‍िए चुनी थी क‍ि बड़ी-बड़ी हस्‍त‍ियों को बुला कर पार्टी को शानदार बनाया जाए।

फिल्मी सितारों के सामने किया था प्रपोज

भल्‍ला हाउस के माल‍िक सतीश भल्‍ला पाली ह‍िल के जाने-माने नाम थे। वहां द‍िलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर जैसी तमाम हस्‍त‍ियां आया करती थीं। वहीदा रहमान, साधना जैसी अभ‍िनेत्र‍ियां भी (जो यश जौहर को राखी बांधती थीं) भी पार्टी में पहुंचीं। इस तरह फ‍िल्‍म जगत की तमाम बड़ी हस्‍त‍ियां पार्टी में पहुंचींं और उन सबके सामने यश जौहर ने हीरू को ‘प्रपोज’ कर द‍िया। वह समझ न सकीं क‍ि क्‍या जवाब दें और बस इतना कह सकीं, ‘तुम्‍हें मेरे प‍िता से बात करनी होगी।’ यश जौहर उनके प‍िता के पास गए और ब‍िना क‍िसी ज्‍यादा परेशानी के उन्‍हें मना ल‍िया। 

यश जौहर और हीरू की शादी 20 मई, 1971 को उसी भल्‍ला हाउस में हुई जहां यश ने प्रपोज क‍िया था। यह शादी पूरी तरह फ‍िल्‍मी अंदाज में हुई और फ‍िल्‍म जगत के तमाम स‍ितारे इसके गवाह बने थे। दोनों हनीमून के ल‍िए लास वेगास गए थे। शादी के एक साल बाद करण का जन्‍म हुआ। तब हीरू 28 साल की थीं और यश की उम्र 40 साल थी।

अमिताभ बच्चन की स्कूल फ्रेंड थी हीरू

करण के माता-प‍िता के पर‍िवारों की पृष्‍ठभूम‍ि एकदम अलग थी। माता हीरू स‍िंंधी पर‍िवार से थीं और प‍िता यश पंजाबी पर‍िवार के थे। मां कानपुर, लखनऊ में पलींं-बढ़ींं और नैनीताल (सेंट मैरीज) में पढ़ी थीं। उन द‍िनों अम‍िताभ बच्‍चन भी नैनीताल (शेरवुड) में ही पढ़ते थे। दोनों अच्‍छे दोस्‍त थे। अम‍िताभ बच्‍चन ने एक बार जब हीरू को बताया था क‍ि वह फ‍िल्‍मों में काम करेंगे तो हीरू को बड़ी हंसी आई थी। उन द‍िनों फ‍िल्‍मों में काम करने को अच्‍छा नहीं माना जाता था और अम‍िताभ की पार‍िवार‍िक पृष्‍ठभूम‍ि को देखते हुए हीरू को लगता नहीं था क‍ि उन्‍हें उनके घरवाले फ‍िल्‍मों में काम करने देंगे। 

एयरहोस्टेस बनना चाहती थीं करण जौहर की मां

हीरू के घर का माहौल भी खुला नहीं था। यही वजह रही क‍ि उनके प‍िता ने अपनी इकलौती संतान को एयरहोस्‍टेस नहीं बनने द‍िया, जबक‍ि उनके र‍िश्‍ते की कई बहनें एअर इंड‍िया में एयरहोस्‍टेस थीं। उन द‍िनों एयरहोस्‍टेस को फ‍िल्‍म एक्‍ट्रेस से भी ज्‍यादा इज्‍जत की नजर से देखा जाता था। घरवालों से इजाजत नहीं म‍िलने के चलते हीरू ने एक व‍िमान कंपनी में ग्राउंड स्‍टाफ का काम क‍िया। वह इतालवी पढ़ने के ल‍िए रोम भी गईं। यह सब शादी से पहले की बात थी।

मां के दिए गहने लेकर बंबई आए थे करण जौहर के पिता

उधर, यश जौहर की अलग ही कहानी थी। वह श‍िमला में बड़े हुए और बाद में द‍िल्‍ली चले गए थे। इस बीच कुछ समय के ल‍िए लाहौर में भी रहे थे। पढ़ाई पूरी करते ही उनकी मां ने उन्‍हें अकेले में बुलाया और कहा, ‘अब यहां से भागो, अपनी क‍िस्‍मत संवारो।’ यह कहते हुए उन्‍होंने बेटे को कुछ पैसे और गहने देते हुए कहा क‍ि बंबई जाओ और अपनी ज‍िंंदगी बनाओ। 

यश जौहर की मां ने बेटे को मुंबई जाने के ल‍िए जो पैसे और गहने द‍िए, इसके ल‍िए भी उन्‍होंने खास प्‍लान बना ल‍िया था। उन्‍होंने एक सप्‍ताह पहले ही घर में कह द‍िया था क‍ि उनके गहने चोरी हो गए हैं। इस आरोप में एक स्‍टाफ को काम से भी हटा द‍िया गया। यश जौहर को यह बात मां से ही काफी बाद में पता चली। 

यश जौहर मुंबई पहुंचे। टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया की व‍िशाल इमारत देखी और अंदर घुस गए। जाकर सीधे नौकरी के ल‍िए पूछा। उन्‍हें क‍िसी दुबे जी के पास भेज द‍िया गया। दुबे जी फोटोग्राफर थे। यश जौहर बेहद मामूली पगार पर उनके साथ लगा द‍िए गए।

पहली बार मधुबाला की तस्वीर खींचने का मिला मौका

टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया में यश जौहर की नौकरी में पगार भले ही एकदम मामूली थी, लेक‍िन यहीं से फ‍िल्‍मी दुन‍िया के ल‍िए उनका रास्‍ता खुला। दुबे जी के साथ वह ‘मुगल-ए-आजम’ की सेट पर जाने लगे। दुबे जी तस्‍वीरें ल‍िया करते और यश जौहर आसपास घूमा करते थे। एक द‍िन दुबे जी बीमार हो गए। तब मधुबाला की तस्‍वीरें लेने के ल‍िए सेट पर यश जौहर भेजे गए। उन द‍िनों मधुबाला की तस्‍वीरें लेना आसान काम नहीं था, लेक‍िन यश जौहर ने उनका फोटो शूट कर ल‍िया। इसके बाद उन्‍हें कंपनी में और काम म‍िलने लगा। 

यश जौहर को टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया में म‍िली स्‍ट‍िल फोटोग्राफर की नौकरी उनकी पहली नौकरी थी। बाद में वह फ‍िल्‍म प्रोडक्‍शन इंडस्‍ट्री में आ गए। फ‍िर उन्‍होंने प्रोडक्‍शन कंट्रोलर की नौकरी की। यह नौकरी सालों तक चली। करीब 12 साल तक तो देव आनंद और व‍िजय आनंद की कंपनी नवकेतन में ही रहे।

फिल्मी दुनिया छोड़, शुरू कर दिया था एक्‍सपोर्ट का ब‍िजनेस

1977 में यश जौहर ने फ‍िल्‍मी दुन‍िया छोड़ कर एक्‍सपोर्ट का ब‍िजनेस शुरू क‍िया। लेक‍िन, रमेश बहल ने उन्‍हें फ‍िल्‍मी दुन‍िया में लौटा ल‍िया। अब यश जौहर ने फ‍िल्‍में बनाने का फैसला क‍िया। पहले वह गुलजार के पास एक फ‍िल्‍म डायरेक्‍ट करने का आग्रह लेकर गए, लेक‍िन बात नहीं बनी। तब वह राज खोसला के संपर्क में आए और ‘दोस्‍ताना’ बनी। सलीम-जावेद की कहानी और अम‍िताभ बच्‍चन के लीड रोल वाली यह फ‍िल्‍म ह‍िट हो गई। फ‍िर, तो 2004 में दुन‍िया से अलव‍िदा कहने तक वह अपने ‘धर्मा प्रोडक्‍शन’ के साथ ही रहे।