लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा उत्तर प्रदेश में बीजेपी और इंडिया गठबंधन का राजनीतिक गणित फेल करने की कोशिश कर रही है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने टिकट बंटवारा काफी सोच-समझकर किया है। खासतौर से पहले और दूसरे चरण की सीटों पर सोशल इंजीनियरिंग का जबरदस्त ध्यान रखा गया है।
मायावती ने जब अपनी पहली और दूसरी सूची में कुल मिलाकर 25 प्रत्याशियों की घोषणा की थी तो इनमें 8 सवर्ण और 7 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। मायावती ने दलित समाज के 7 और ओबीसी वर्ग से आने वाले 3 उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा था। हालांकि बाद में मथुरा सीट से उम्मीदवार बदलने के बाद सवर्ण उम्मीदवारों का आंकड़ा 7 हो गया था।

BSP Muslim Candidates 2024: वेस्ट यूपी में कई सीटों पर मुस्लिम आबादी निर्णायक
पहले बात करते हैं कि बसपा किस तरह इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचा रही है। मायावती ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में जिन सात सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया, ये सीटें- अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, सहारनपुर, रामपुर, आंवला और पीलीभीत हैं। इन सीटों पर सहारनपुर से माजिद अली, रामपुर से जीशान खान, संभल से शौलत अली, मुरादाबाद से इरफान सैफी, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन, आंवला से आबिद अली और पीलीभीत से अनीस अहमद खान उम्मीदवार हैं।
इनमें से 4 सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। ये सीटें- सहारनपुर, संभल, मुरादाबाद और अमरोहा हैं। बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है।
BSP UP Election 2024: सपा-कांग्रेस को होगा नुकसान
सहारनपुर, नगीना, बिजनौर, कैराना, रामपुर, मुरादाबाद, संभल और मुजफ्फरनगर में मुस्लिम समुदाय की आबादी 35 से 40 प्रतिशत तक है। निश्चित रूप से इन सीटों पर बसपा के उम्मीदवार इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के मतों में सेंध लगाएंगे और यह इंडिया गठबंधन के लिए सियासी रूप से नुकसानदेह होगा और इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
मायावती पिछले कुछ चुनावों में उत्तर प्रदेश में लगातार बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देती रही हैं। साल 2017 के विधानसभा के चुनाव में बसपा ने 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को, 2022 के विधानसभा चुनाव में 91 उम्मीदवारों को टिकट दिया था।
Mayawati Upper Caste Politics: सवर्णों को भी दिया टिकट
मायावती ने जिस तरह टिकट बांटे हैं उससे पहले और दूसरे चरण में बीजेपी को भी नुकसान हो सकता है क्योंकि सवर्ण उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से निश्चित रूप से बीजेपी और एनडीए गठबंधन की मुश्किलें बढ़ेंगी। बीजेपी ने इस बार रालोद को भी एनडीए में शामिल किया है और टिकट बंटवारे के तहत रालोद को बिजनौर और बागपत की सीट दी गई है।
बसपा के सवर्ण उम्मीदवारों की बात करें तो पार्टी ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग के तहत कैराना से श्रीपाल राणा, गौतमबुद्ध नगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी, मेरठ से देवव्रत त्यागी, गाजियाबाद से नंद किशोर पुंडीर, फतेहपुर सीकरी से रामनिवास शर्मा, कानपुर से कुलदीप भदौरिया, अकबरपुर से राजेश कुमार द्विवेदी और फिरोजाबाद से सतेंद्र जैन सौली को टिकट दिया है।
उत्तर प्रदेश में सवर्ण मतदाताओं को बीजेपी का समर्थक माना जाता है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में 89 फीसदी ब्राह्मणों ने और राजपूत समुदाय के 87 फीसदी लोगों ने बीजेपी गठबंधन को वोट दिया था।
सवर्ण उम्मीदवारों को अच्छी संख्या में टिकट देकर बसपा ने उस पर लगने वाले बीजेपी की बी टीम होने के आरोपों का भी जवाब दिया है। पिछले कुछ सालों में कांग्रेस और सपा लगातार बसपा को बीजेपी की बी टीम बताते रहे हैं।
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Mayawati OBC Politics: ओबीसी वर्ग का भी रखा ध्यान
मायावती ने मुजफ्फरनगर सीट पर ओबीसी वर्ग से आने वाले दारा सिंह प्रजापति को उम्मीदवार बनाया है। बिजनौर और मथुरा में जाट समुदाय से आने वाले विजेंद्र सिंह और सुरेश सिंह को पार्टी ने टिकट दिया है। बागपत में गुर्जर समुदाय से आने वाले प्रवीण बैंसला पार्टी के प्रत्याशी हैं। ऐसा करके पार्टी ने ओबीसी वर्ग को भी साधने की पूरी कोशिश की है।
इसी तरह मायावती ने अपने कोर वोटर दलित समाज की भी हिस्सेदारी का पूरा ध्यान रखा है और उन्हें सात सीटों पर टिकट दिया है।
Mayawati social engineering: सोशल इंजीनियरिंग का सहारा
याद दिलाना होगा कि अपनी इसी जबरदस्त सोशल इंजीनियरिंग के दम पर बसपा ने साल 2007 में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अपने दम पर सरकार बनाई थी। तब उसने उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 206 सीटों पर दर्ज की थी। लेकिन उत्तर प्रदेश में साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बसपा को इसी सोशल इंजीनियरिंग का सहारा है।
‘बीजेपी, सपा दोनों का खेल बिगाड़ना है’
बसपा के अलीगढ़ और कानपुर मंडल के प्रभारी सूरत सिंह इस बात को खुलकर कहते हैं कि हमको बीजेपी और सपा दोनों का खेल बिगाड़ना है, तभी हमारा गेम बनेगा। वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में चुनाव के अगले चरणों में भी हम सपा और बीजेपी, दोनों को निशाने पर रखेंगे। उदाहरण के लिए- मैनपुरी में बसपा ने डिंपल यादव के मुकाबले में गैर-यादव ओबीसी शाक्य उम्मीदवार को टिकट दिया है तो लखीमपुर खीरी सीट से एक सिख को चेहरा बनाया है। लखीमपुर खीरी में ऐसा कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के गुस्से को देखते हुए किया गया है।
Nagina Chandra Shekhar Azad: चंद्रशेखर आजाद से मिल रही चुनौती
मायावती को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण से चुनौती मिल रही है। चंद्रशेखर रावण सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और इस चुनाव में उन्होंने नगीना सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा है। चंद्रशेखर के यहां से उतरने के बाद खुद मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद ने नगीना में चुनावी रैली की थी।
नगीना सीट पर मुस्लिम और दलित वोटर सपा, बसपा और आजाद समाज पार्टी में बंटते दिखाई दिए हैं और ऐसी सूरत में इसका फायदा बीजेपी को हो सकता है। बीजेपी ने नगीना से तीन बार विधायक रहे ओम कुमार को टिकट दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने गठबंधन के तहत लड़ते हुए यह सीट जीती थी। इस सीट पर मुस्लिम और दलित समुदाय की आबादी 50% के आसपास है। मुस्लिम यहां पर 28% हैं और दलित मतदाता 22% हैं।
SP UP Candidates List 2024: सपा ने 14 सीटों पर दिया पुराने बसपाइयों को टिकट
सपा जानती है कि बसपा कई सीटों पर उसका खेल खराब कर सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सपा ने भी अपनी रणनीति तय की है। सपा ने अब तक उत्तर प्रदेश में अपने जिन 57 उम्मीदवारों का ऐलान किया है उसमें से 14 उम्मीदवार ऐसे हैं जो बसपा से सपा में आए हैं। दो उम्मीदवार तो ऐसे हैं जो एक वक्त में मायावती के बेहद करीबी रहे हैं। इनका नाम बाबू सिंह कुशवाहा और लालजी वर्मा है।