मोदी सरकार में मंत्री और एनडीए के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने अब आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में आरक्षण का मुद्दा उठा दिया है। इसके अलावा उन्होंने जाति जनगणना के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया है। बताना होगा कि अनुप्रिया पटेल ने पिछले महीने ही एससी-एसटी और ओबीसी वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों को उत्तर प्रदेश सरकार की नौकरियों में आरक्षण न मिलने को लेकर योगी सरकार को पत्र लिखा था।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि आउटसोर्सिंग कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इसके जरिए होने वाली भर्तियों में आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा है और यह अपना दल के लिए बेहद चिंता का विषय है। अनुप्रिया पटेल रविवार को लखनऊ में स्थित सहकारिता भवन में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थीं।
अनुप्रिया ने कहा कि छोटी-मोटी नौकरी पाने की गुंजाइश वंचित वर्गों के पास हुआ करती थी लेकिन आउटसोर्सिंग के जरिये चतुर्थ श्रेणी की जो भर्तियां हो रही हैं, दबे-कुचले वर्गों के लोग इन नौकरियों से भी वंचित हो रहे हैं।
मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद अनुप्रिया पटेल ने कहा कि संविदा की नौकरियों में आरक्षण की मांग उनकी ओर से इसलिए की जा रही है क्योंकि संविदा की नौकरी भी एक तरह से सरकारी नौकरी ही है और अगर यह सरकारी नौकरी है तो इसमें आरक्षण भी होना चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका में भी वंचित वर्गों की भागीदारी बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन करने की मांग की।

आरक्षण को लेकर मची हुई है रार, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे चिराग
आरक्षण को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आए एक फैसले के बाद बीजेपी मुश्किल में है। बता दें कि सात जजों की संवैधानिक बेंच ने बहुमत से फैसला दिया है कि राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अंदर सब-कैटेगेराइजेशन करने का अधिकार है, ताकि आरक्षण के जरिए ज्यादा से ज्यादा जाति समूह के लोगों के उत्थान में मदद मिल सके।
एनडीए के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने कहा है कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। पासवान ने कहा है कि दलितों पर क्रीमी-लेयर वाला मानक लागू नहीं किया जा सकता है।
इस फैसले को लेकर बीजेपी की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सब-कैटेगेराइजेशन के लिए केंद्र सरकार को जाति जनगणना करानी होगी। विपक्ष लगातार जाति जनगणना कराने की भी मांग कर रहा है लेकिन बीजेपी इसके विरोध में है।

लगातार बयान दे रहीं अनुप्रिया
अनुप्रिया पटेल के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आए कई बयानों से बीजेपी परेशान है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी और एनडीए गठबंधन को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त नुकसान हुआ है।
लोकसभा चुनाव में 29 सीटों का हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 33 | 62 |
सपा | 37 | 5 |
कांग्रेस | 6 | 1 |
बीएसपी | 0 | 10 |
रालोद | 2 | – |
अपना दल (एस) | 1 | 2 |
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – |
कुछ दिनों पहले जब योगी आदित्यनाथ सरकार उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक लेकर आई थी तब भी अनुप्रिया पटेल ने इस विधेयक को गैर जरूरी और जनभावनाओं के खिलाफ बताया था।
उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा था कि इस विधेयक को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए और ऐसे अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने विधेयक को लेकर सरकार को गुमराह किया है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एक और सहयोगी दल और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने योगी सरकार की बुलडोजर नीति पर सवाल खड़े किए थे।
अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जो नुकसान हुआ है, उसकी एक वजह 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में आरक्षण के मसले पर योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा जल्द से जल्द कार्रवाई न करना भी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि वह समाज के कमजोर वर्गों के लिए हमेशा खड़ी रहेंगी और अगर चीजें सही दिशा में नहीं होंगी तो वह चुप नहीं रह सकतीं।
जाति जनगणना की फिर से उठाई मांग
जाति जनगणना को लेकर लंबे वक्त से आवाज उठा रहीं अनुप्रिया पटेल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पूछा कि क्या जाति जनगणना जरूरी नहीं है। इस पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा कि हां जनगणना होनी चाहिए। अनुप्रिया ने कहा कि हमारी सामाजिक संरचना का अधिकार जाति है इसलिए क्या हमें उनकी सही संख्या मालूम नहीं होनी चाहिए और ऐसा केवल जातीय जनगणना के द्वारा ही संभव है।
विपक्ष भी कर रहा जाति जनगणना की मांग
बताना होगा कि इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी दल लगातार जाति जनगणना का मुद्दा उठा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान और उसके बाद भी देश में एससी-एसटी और ओबीसी समुदायों की हक, हिस्सेदारी को लेकर सवाल खड़ा कर चुके हैं।
राहुल गांधी लगातार कहते रहे हैं कि जाति जनगणना देश का एक्स-रे है और इससे ही पता चलेगा कि देश में किस समुदाय की कितनी आबादी है और संसाधनों पर उसका कितना हक है।

राजनीतिक हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती हैं अनुप्रिया?
उत्तर प्रदेश में जल्द ही विधानसभा की 10 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं और विधानसभा चुनाव में भी ढाई साल का वक्त बचा है। अपना दल (सोनेलाल) उत्तर प्रदेश में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बाद तीसरे नंबर की पार्टी है।
अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी को बढ़ाना चाहती हैं और वह जल्द होने वाले उपचुनाव या विधानसभा चुनाव में एनडीए से अपने लिए ज्यादा सीटों की मांग कर सकती हैं। लेकिन उनकी ओर से आ रहे लगातार बयानों की वजह से क्या बीजेपी के साथ उनके रिश्ते खराब हो सकते हैं या फिर वह दबाव बनाकर अपनी पार्टी के लिए कुछ ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती हैं?