भारत में बाघों की संख्या प्रति वर्ष छह फीसद की दर से बढ़ रही है जो विश्व में बढ़ोतरी की दर एक फीसद से काफी बेहतर है। वर्तमान में देश में बाघों की संख्या 3,680 से ज्यादा है, जो दुनिया के कुल बाघों का 70 फीसद है। इनमें से एक तिहाई (लगभग 1,325) बाघ अभयारण्यों से बाहर हैं, जो देश के राष्ट्रीय पशु और मानव के बीच में बढ़ते संघर्ष का कारण बन रहा है।

इस नई चुनौती से निपटने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने ‘मैनेजमेंट आफ टाइगर्स आउटसाइड टाइगर रिजर्व्स’ परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के तहत दलों का प्रशिक्षण, बचाव उपकरण, एआइ ड्रोन व कैमरा ट्रैप का उपयोग, ‘बाघ मित्र’ बनाने और लोगों व पंचायतों के बीच जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाएगा।

20 साल में ढाई गुना बढ़ गई बाघों की संख्या

एनटीसीए के मुताबिक, देश में 2006 में 1,411 बाघ थे जिनकी संख्या अब ढाई गुना से अधिक बढ़कर 3,682 के आसपास पहुंच गई है। प्राधिकरण के मुताबिक बाघ ऐसा जानवर है जो अपना इलाका बनाकर रहता है। नए इलाकों की खोज में अकसर बाघ अभयारण्यों से बाहर आ जाते हैं जो बाघ व मानव संघर्ष की वजह बनता है। इस परियोजना से जुडे एक अधिकारी के मुताबिक इस दौरान हम अभयारण्यों के बाहर ढांचा तैयार करेंगे जो अभी बहुत कम है। इसके साथ ही लोगों के प्रति जागरूक करना भी इसका एक बड़ा मकसद है। एनटीसीए के मुताबिक, इस परियोजना के तहत चार प्रमुख रणनीति अपनाई जाएंगी। इसके तहत सबसे पहले तो त्वरित कार्रवाई को बेहतर किया जाएगा।

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इसके लिए अभयारण्यों के बाहर बाघ को पकड़ने के लिए दल तैयार किए जाएंगे। इनको उन्नत तरीके के पकड़ने के उपकरण उपलब्ध कराएं जाएंगे जिनमें एआइ से लैस ड्रोन भी शामिल होंगे। दूसरा, बाघों की तकनीक की सहायता से निगरानी की जाएगी। इसके लिए कैमरा ट्रैप और वायरलैस नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना के दौरान हमारा सबसे अधिक जोर क्षमता निर्माण पर है। बाघ संघर्ष के प्रबंधन के लिए कर्मचारियों, पशु चिकित्सकों और स्थानीय स्वयंसेवकों तैयार किया जाएगा। इसके बाद सामुदायिक पहुंच को बढ़ाया जाएगा। इसके तहत ‘बाघ मित्र’ बनाए जाएंगे और विद्यार्थियों को बताया जाएगा कि बाघ के आने पर कैसे व्यवहार करना है।

अधिकारियों और आम लोगों को भी किया जाएगा जागरूक

साथ ही पंचायतों के अधिकारियों और आम लोगों को भी जागरूक किया जाएगा। अधिकारी के मुताबिक जब भी कोई बाघ अभयारण्य के बाहर दिखाई देता है तो आम लोग सबसे पहले उसे देखते हैं और फिर वनाधिकारियों से संपर्क करते हैं। बचाव दल के मौके पर पहुंचने से पहले बाघ को कोई नुकसान न हो या फिर बाघ किसी तरह की हानि न कर दे, इसको सुनिश्चित करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। एनटीसीए के मुताबिक बाघ से जुड़े सभी हितधारक मिलकर न केवल अपने राष्ट्रीय पशु को बचाएंगे बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे की वह किसी को हानि न पहुंचाए।