भारत में 5जी नेटवर्क के स्पेक्ट्रम की नीलामी 26 जुलाई से जारी है। अंबानी, अडानी समेत देश के कई दिग्गज इस नीलामी में शामिल हो रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2022 के आखिर तक या 2023 की शुरुआत में 5जी की सर्विस शुरु हो सकती है। दावा किया जा रहा है कि इसकी इंटरनेट स्पीड 4जी की तुलना में कई गुना अधिक होगी। 5जी मोबाइल नेटवर्क का पांचवां जनरेशन है। शुरुआत 1जी से हुई थी। प्रत्येक ‘जी’ के साथ बहुत कुछ बदलता चला गया। आइए जानते हैं मोबाइल नेटवर्क के अब तक के सफर को।

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एनालॉग सिग्नल के साथ आया 1जी

1जी की शुरुआत 1970 के दशक के अंत में ‘निपॉन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन’ नामक जापानी कंपनी ने की थी। बाद में यही कंपनी भारत में DoCoMo नाम से अपना एक उपक्रम चलाती थी। 1जी मोबाइल दूरसंचार तकनीक की पहली पीढ़ी थी, जिससे केवल वॉयस कॉल करना ही संभव था। यह एनालॉग सिग्नल पर आधारित तकनीक थी। इसलिए इसमें क्षमता भी कम थी। 1जी में साउंड क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं थी, न ही रोमिंग का सपोर्ट था।

2जी ने कॉलिंग के साथ-साथ इंटरनेट भी दिया

दूरसंचार तकनीक के लिए बड़ी छलांग 1991 में 2जी की शुरुआत के साथ आई थी। 1जी की तरह 2जी में एनालॉग नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं किया गया था। इसमें डिजिटल सिग्नल का उपयोग किया जाता था। 2जी पर कॉलिंग के साथ-साथ बहुत कम स्पीड में इंटरनेट चलाना भी संभव था। हालांकि भारत में 2जी का इस्तेमाल 1995 से शुरू हुआ, जिसे 2.5जी नेटवर्क के नाम से भी जाना जाता है। तब इसकी डाउनलोड और अपलोड की अधिकतम स्पीड 64 kbps तक थी। भारत में आज भी 2जी का इस्तेमाल होता है।

3जी से मोबाइल पर जरूरतों को मिली सहूलियत

मोबाइल प्रौद्योगिकी में अगली क्रांति 2001 में 3जी सेवाओं की शुरुआत के साथ हुई है। यही वह ‘जी’ था, जिसने मोबाइल फोन पर ईमेल, नेविगेशन मैप, वीडियो कॉलिंग, वेब ब्राउजिंग की सहूलियत प्रदान की। 3जी आने के बाद ही ब्लैकबेरी फोन का क्रेज चला। साल 2008 में स्टीव जॉब्स ने आईफोन को 3जी की शुरुआत के बाद ही लॉन्च किया और दुनिया पहली बार ‘ऐप स्टोर’ से परिचित हुई। 3जी आने से फोन में वीडियो कॉल के लिए फ्रंट कैमरा भी आने लगा। यानी सेल्फी कैमरा को 3जी टेक्नोलॉजी की देन माना जा सकता है।

4जी ने बदल दी दुनिया

दुनिया 4जी से 2009-10 तक परिचित हो चुका था। लेकिन भारत में इसकी शुरुआत 2012 में कोलकाता में ‘ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस’ के लिए हुई। देश में 4जी की शुरुआत का श्रेय एयरटेल को जाता है। इसी कंपनी ने फरवरी 2014 में मोबाइल के लिए पहली बार 4जी सेवा शुरू की थी। एक वक्त तक इसका क्रेज पूरे देश में था। यह 3जी के मुकाबले लगभग 5-10 गुना तेज था। 4जी आने के बाद मोबाइल पर बिना बफरिंग के टीवी देखना, वीडियो कॉल करना, मूवी देखना, सॉफ्टवेयर और गेम्‍स डाउनलोड करना मिनटों में होने लगा।

5जी का वादा

5जी मोबाइल नेटवर्क का पांचवां जनरेशन है। यह बेहतर फ्रीक्वेंसी पर काम करेगा इसलिए अपलोड और डाउनलोड भी तेजी से होगा। दावा किया जा रहा है कि 5जी की सर्विस शुरु होने के बाद कॉल ड्रॉप और स्लो इंटरनेट की समस्या हमेशा की लिए खत्म हो जाएगी। टेस्टिंग में इंटरनेट स्पीड 3.7 Gbps दर्ज की गई है। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि उपभोक्ताओं को यह 4जी तुलना में 10 से 20 फीसदी महंगा होगा। हालांकि बड़े स्‍तर पर इस्तेमाल शुरू हो जाने के बाद कीमत 4G के बराबर हो जाएगी।

5जी से वर्क फ्रॉम एनीवेयर का सपना भी साकार होगा। दावा है कि स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी में क्रांतिकारी बदलाव आ जाएगा। क्लाउड-गेमिंग, एंटरटेनमेंट और शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव होने की उम्मीद है। 

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