सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने 21 फरवरी के सुबह एक वकील पेश हुए। उन्होंने सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) से कहा कि उनका एक गंभीर मामला कोर्ट 8 लिस्टेड था, CJI के नेतृत्व वाली बेंच के सामने नहीं।

वकील की दलील पर मुख्य न्यायाधीश के विशेषाधिकार को याद दिलाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ (Chandrachud) ने कहा कि तो क्या हुआ? विषय के अनुसार मामले को सूचीबद्ध करना CJI का विशेषाधिकार है। सुप्रीम कोर्ट का कोई भी जज इसे सुन सकता है।

इस पर एडवोकेट ने अपनी बात को फिर से दोहराते हुए कहा कि मेरा केस तो गंभीर उसे कोर्ट 8 के सामने कैसे सूचीबद्ध किया जा सकता है?

CJI ने वकील के दलील को किया खारिज

वकील के दलील से असंतुष्ट सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपका मामला जस्टिस बीआर गवई के समक्ष सूचीबद्ध जाइए। सीजेआई की टिप्पणी सुनते ही वकील ने गुहार लगानी शुरू कर दी। वकील ने सीजेआई से कहा कि प्लीज जस्टिस गवई के समक्ष मत भेजिए।

दरअसल वकील की इच्छा थी कि उनके मामले की सुनवाई खुद सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच करे। लेकिन यह अनुशासन के विरुद्ध होता। सीजेआई ने इसी बात को रेखांकित करते हुए कहा कि मैं मामले को दूसरी बेंच से वापस नहीं ले सकता। हमें अनुशासन का पालन करना होगा और हम इसका उल्लंघन नहीं करेंगे।

‘भगवान से दुआ कीजिए’

एडवोकेट को आशंका है कि उनकी याचिका फिर खारिज हो जाएगी। उन्होंने सीजेआई के सामने भी अपनी आशंका को व्यक्त किया लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें भगवान से प्रार्थना करने की सलाह दे दी।

वकील ने सीजेआई से पूछा कि अगर फिर से मेरी याचिका खारिज हो गई तो क्या होगा? इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “तब आप केवल भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं।”

100 दिन में 14,000 से ज्यादा केस निपटाए

बतौर सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ 100 दिन पूरा कर चुके हैं। उन्होंने 9 नवंबर को शपथ ली थी। CJI चंद्रचूड़ के 100 दिन के कार्यकाल में 14 हजार से अधिक मामले निपटाए जा चुके हैं। साथ ही इस बीच सीजेआई की पहल से सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्री वर्क भी पूरी तरह पेपरलेस हो गया है।