पंजाब की सियासत में एक बार फिर इस बात की जोरदार चर्चा है कि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और उनके चचेरे भाई मनप्रीत सिंह बादल एक मंच पर आ सकते हैं। पिछले कुछ सालों में कई बार ऐसी चर्चा हो चुकी है। इस बार मनप्रीत बादल के अकाली दल में वापस आने की चर्चाओं ने इसलिए जोर पकड़ा है क्योंकि गिद्दड़बाहा सीट पर विधानसभा का उपचुनाव होने जा रहा है।

यह सीट पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के लुधियाना सीट से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है।

मनप्रीत बादल पंजाब के वित्त मंत्री रह चुके हैं।

Sukhbir Singh Badal
बागी नेता बने अकाली दल के लिए मुसीबत। (Source-SukhbirSinghBadal/FB)

ढिल्लों बोले- मनप्रीत को उम्मीदवार बनाएगी बीजेपी

चचेरे भाइयों की सारे मतभेदों को भुलाकर फिर से साथ आने की चर्चा इसलिए भी तेज हुई है क्योंकि गिद्दड़बाहा सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे अकाली दल के नेता हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने पार्टी छोड़ दी है।

ढिल्लों ने अकाली दल छोड़ने के पीछे यह वजह बताई है कि मनप्रीत बादल अकाली दल में वापस आ सकते हैं और उन्हें पार्टी गिद्दड़बाहा सीट से उम्मीदवार बना सकती है।

गिद्दड़बाहा सीट मुक्तसर जिले में है और इसे बादल परिवार का गढ़ माना जाता है। मनप्रीत बादल जब अकाली दल में थे तो उन्होंने यहां से 1995 से 2007 तक लगातार जीत दर्ज की थी।

ढिल्लों ने 2017 और 2022 में गिद्दड़बाहा सीट से अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली थी। इस बात की चर्चा तेज है कि ढिल्लों राज्य में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

हालांकि सुखबीर बादल और मनप्रीत बादल ने इस तरह की चर्चाओं को अफवाह बताकर खारिज किया है। पिछले कुछ वक्त से पंजाब की राजनीति में यह भी देखा गया है कि यह दोनों ही नेता एक-दूसरे के खिलाफ बोलने से बचते रहे हैं।

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बढ़ेंगी सुखबीर बादल की मुश्किलें? (Source-PTI)

मनप्रीत ने बनाई थी पीपीपी, कांग्रेस में किया था विलय

मनप्रीत बादल ने अकाली दल से निकाले जाने के बाद पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब (पीपीपी) बनाई थी और 2016 में कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर दिया था। 2023 की शुरुआत में मनप्रीत बादल बीजेपी में शामिल हो गए थे लेकिन पिछले कुछ वक्त से यह कहा जा रहा है कि मनप्रीत फिर से अकाली दल में लौट सकते हैं।

बीजेपी के लिए काम करता रहूंगा: मनप्रीत

मनप्रीत का कहना है कि अकाली दल छोड़ने वाले नेता ढिल्लों अफवाह फैला रहे हैं। गिद्दड़बाहा और बाकी जगहों पर अकाली दल का जो वोट है, वह पंजाब में तेजी से बीजेपी की ओर शिफ्ट हो रहा है और इस वजह से ढिल्लों परेशान हैं। मनप्रीत ने कहा कि वह बीजेपी के कार्यकर्ता हैं और पार्टी के लिए लगातार काम करते रहेंगे।

सुखबीर बादल ने भी मनप्रीत के उनके साथ आने की चर्चाओं को हवा में उड़ा दिया है। सुखबीर ने कहा है कि ढिल्लों को अकाली दल छोड़ने का फैसला वापस ले लेना चाहिए और इस तरह की बातें पूरी तरह अफवाह हैं कि मनप्रीत को अकाली दल की ओर से आगामी उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया जाएगा।

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पार्टी को फिर से खड़ा कर पाएंगे सुखबीर बादल? (Source- PTI)

मनप्रीत बादल और वडिंग की सियासी लड़ाई

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब अमरिंदर सिंह राजा वडिंग बठिंडा सीट से बहुत कम अंतर से (20 हजार वोट) चुनाव हारे थे तो उन्होंने आरोप लगाया था कि मनप्रीत बादल ने चुनाव में मन से उनका समर्थन नहीं किया। वडिंग के सामने तब सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल उम्मीदवार थीं और वह चुनाव जीत गई थीं।

मनप्रीत बादल उस वक्त राज्य की कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री थे और बठिंडा शहरी सीट से विधायक थे। वडिंग ने कई बार मनप्रीत बादल पर यह आरोप लगाया कि मनप्रीत बादल गिद्दड़बाहा सीट पर विकास कार्यों के लिए अकाली दल के नेताओं को सरकारी पैसा दे रहे हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव में वडिंग ने नारा दिया था कि सारे बादलों को हरा दो, बठिंडा वाले बादल को हरा दो। यह नारा मनप्रीत बादल के लिए ही था, उस समय मनप्रीत बादल बठिंडा शहरी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे।

मनप्रीत को हराने पर दिया था धन्यवाद

2022 के विधानसभा चुनाव में जब अकाली दल का लगभग सूपड़ा साफ हो गया था और बादल परिवार के तीनों बड़े नेता- प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल और मनप्रीत बादल चुनाव हार गए थे तो वडिंग ने मनप्रीत बादल को हराने के लिए मतदाताओं को धन्यवाद दिया था जबकि उस वक्त यह दोनों नेता कांग्रेस में ही थे। 2023 में अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद अकाली दल के तमाम नेताओं ने सुखबीर और मनप्रीत बादल से अपने मतभेदों को भुलाकर साथ आने की अपील की थी।

बठिंडा सीट पर बीजेपी के प्रचार से दूर रहे थे मनप्रीत

मनप्रीत और सुखबीर बादल के फिर से एक होने की चर्चाओं को 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी बल मिला था, जब मनप्रीत बठिंडा सीट पर बीजेपी के चुनाव प्रचार से गैर हाजिर रहे थे। तब यहां से हरसिमरत कौर बादल अकाली दल की उम्मीदवार थीं। इसकी एक वजह यह भी थी कि मनप्रीत बादल बीमार थे।

चुनाव के अंतिम चरण में उन्होंने लुधियाना में बीजेपी की कुछ चुनावी सभाओं में हिस्सा लिया था। तब लुधियाना से अमरिंदर सिंह राजा वडिंग चुनाव लड़ रहे थे।