Eknath Shinde Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को न सिर्फ अपनी पार्टी के विधायकों को विधानसभा में भेजना है बल्कि उनके कंधों पर महा विकास अघाड़ी (MVA) को सत्ता में आने से रोकने और फिर से महायुति की सरकार बनाने की भी चुनौती है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह चुनौती और बढ़ी है।

महाराष्ट्र में 288 सीटों के लिए चल रहे चुनाव प्रचार में निश्चित रूप से महायुति और MVA के बीच कड़ा मुकाबला है। राज्य में 20 नवंबर को मतदान होना है इसलिए आने वाले दिनों में पूरे महाराष्ट्र में सभी पार्टियों के बड़े नेता चुनावी रैलियां और रोड शो करते दिखाई देंगे। चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।

गिर गई थी MVA की सरकार

महाराष्ट्र चुनाव में एकनाथ शिंदे की भूमिका पर बात करने से पहले थोड़ा पीछे चलते हैं। जून, 2022 में महाराष्ट्र की राजनीति में एक हैरान कर देने वाला घटनाक्रम हुआ था। तब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकतर विधायकों ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। इस बगावत की वजह से MVA की सरकार गिर गई थी और राज्य में शिवसेना के बागी विधायकों और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी।

उस वक्त यह माना गया था कि नई सरकार में एकनाथ शिंदे नाम मात्र के मुख्यमंत्री होंगे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही महायुति की सरकार में सभी बड़े फैसले लेंगे। लेकिन पिछले ढाई साल में एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है।

एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महायुति की ओर से सबसे बड़े चेहरे हैं और गठबंधन में चल रही राज्य सरकार के नेता भी हैं।

Maharashtra Election: महाराष्ट्र के चुनाव में स्वरा भास्कर के पति फहद अहमद को कैसे मिला एनसीपी (शरद पवार) का टिकट?

लोकसभा चुनाव में शिंदे गुट का स्ट्राइक रेट था बीजेपी से बेहतर

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे महायुति के लिए खराब रहे थे लेकिन शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना का स्ट्राइक रेट बीजेपी से बेहतर रहा था। बीजेपी ने 28 लोकसभा सीटों पर लड़कर 9 सीटें जीती थी जबकि शिवसेना ने 15 सीटों पर लड़कर 7 सीटों पर जीत हासिल की थी।

लोकसभा चुनाव 2024 में 7 सीटें जीता था शिंदे गुट

राजनीतिक दल 2024 में मिली सीटें2019 में मिली सीटें
बीजेपी 923
कांग्रेस131
एनसीपी14
एनसीपी (शरद चंद्र पवार)8
शिवसेना (यूबीटी)9
शिवसेना 718

जनहित की योजनाओं से जीत का भरोसा

एकनाथ शिंदे ने विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही जनहित की कई योजनाओं का ऐलान किया। इनमें महिला वोटर्स तक पहुंचने के लिए लड़की बहन योजना, युवा लड़कों के लिए लड़का भाऊ योजना और किसानों के लिए कृषि ऋण माफी योजना शामिल हैं। इसके अलावा बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना, विभिन्न विभागों और विधायकों को मिलने वाले पैसे का अच्छे ढंग से बंटवारा करना आदि शामिल है। महायुति के नेताओं को पूरी उम्मीद है कि इन योजनाओं और शिंदे सरकार के काम के दम पर फिर से उनकी सरकार बनेगी।

‘हम अपने दम पर नहीं जीत रहे’, चुनाव से पहले ही बीजेपी ने मान ली महाराष्ट्र में हार?

एकनाथ शिंदे ने महायुति के अंदर भी खुद को मजबूत किया है। टिकट वितरण में उनका दबदबा दिखा है। हालांकि मराठा आरक्षण के मुद्दे की वजह से लोकसभा चुनाव में महायुति को काफी नुकसान हुआ था लेकिन जिस तरह उन्होंने इस मामले को संभाला है, उससे मराठा नेता के रूप में उनकी छवि मजबूत हुई है।

ऑटो रिक्शा चालक से सीएम तक का सफर

एकनाथ शिंदे का जन्म पश्चिम महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक किसान परिवार में हुआ था। उनका परिवार नौकरी और कामकाज के लिए ठाणे चला गया था। शिंदे ने जवानी के दिनों में ऑटो रिक्शा भी चलाया है। इसके बाद वह मजदूरों के नेता बने और 1980 के दशक में बाला साहेब ठाकरे से प्रभावित होकर शिवसेना में शामिल हो गए। एकनाथ शिंदे आनंद दीघे को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।

ठाणे नगर निगम और विधानसभा से होते हुए वह देवेंद्र फडणवीस वाली सरकार में मंत्री रहे और अब मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं।

एकनाथ शिंदे के समर्थक कहते हैं कि शिंदे ने ही बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को सही मायनों में अपनाया है। वह उद्धव ठाकरे के 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के फैसले से नाराज थे और यही वजह थी कि शिवसेना में बगावत हुई थी।

शिंदे समर्थकों का कहना है कि एकनाथ शिंदे का महाराष्ट्र के लोगों के साथ सीधा जुड़ाव है, चाहे वे गांव के लोग हों या फिर शहर के। निश्चित रूप से एकनाथ शिंदे महायुति के सबसे बड़े नेता हैं और पिछले ढाई सालों में उन्होंने सरकार और संगठन के बीच अपनी पकड़ को काफी मजबूत किया है।

देखना होगा कि क्या वे बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी के साथ मिलकर फिर से महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनाने में कामयाब होंगे?