पंजाब में जालंधर वेस्ट सीट के उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल का प्रदर्शन बेहद खराब तो रहा ही है, उससे ज्यादा उसकी फजीहत इस बात को लेकर हुई है कि पार्टी के प्रधान सुखबीर बादल ने पहले पार्टी की एक नेता को उम्मीदवार बनाया और उसके बाद बसपा को समर्थन दे दिया।
जालंधर वेस्ट सीट पर अकाली दल के द्वारा समर्थित बसपा उम्मीदवार बिंदर कुमार लाखा नोटा से कुछ ही ज्यादा वोट ला पाए हैं।
याद दिलाना होगा कि जालंधर वेस्ट की सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मोहिंदर भगत ने बड़ी जीत हासिल की है।
नोटा को 687, बसपा को 734 वोट मिले
राजनीतिक दल | उम्मीदवार | मिले वोट |
आम आदमी पार्टी | मोहिंदर भगत | 55,246 |
बीजेपी | शीतल अंगुराल | 17,921 |
कांग्रेस | सुरिंदर कौर | 16,757 |
शिरोमणि अकाली दल | सुरजीत कौर | 1242 |
बहुजन समाज पार्टी | बिंदर कुमार लाखा | 734 |
नोटा | – | 687 |
अकाली दल की उम्मीदवार सुरजीत कौर तो चुनाव प्रचार के बीच ही आम आदमी पार्टी में शामिल हो गई थीं लेकिन कुछ ही घंटे में वह फिर अकाली दल में लौट आईं। उनका चुनाव प्रचार अकाली दल के बागी नेताओं ने संभाला हुआ था।
सुखबीर बादल ने जिस तरह जालंधर वेस्ट सीट पर अपनी ही उम्मीदवार के खिलाफ मोर्चा खोला, वैसा ही कुछ लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पूर्णिया लोकसभा सीट पर भी देखने को मिला था।

इंडिया या एनडीए गठबंधन में एक को चुनें: तेजस्वी
पूर्णिया लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक चुनावी रैली में खुलकर इंडिया या एनडीए गठबंधन में से किसी एक को वोट देने की अपील कर दी थी। तेजस्वी ने कहा था कि पूर्णिया के मतदाताओं को इंडिया या एनडीए गठबंधन में से किसी एक को वोट देना होगा और उन्हें इधर-उधर नहीं बंटना है।
तेजस्वी यादव बिहार में इंडिया गठबंधन के बड़े चेहरे हैं, उनसे इस बात की उम्मीद कतई नहीं की जा सकती थी कि वह एनडीए गठबंधन को वोट देने की अपील कर सकते हैं लेकिन उन्होंने चुनावी रैली के मंच से ऐसा किया। तब उनके बयान को बीजेपी ने भी मुद्दा बनाया था और कहा था कि तेजस्वी यादव ने इस बयान से अपनी हार स्वीकार कर ली है।
पूर्णिया लोकसभा सीट से तब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पप्पू यादव चुनाव लड़ रहे थे और उन्हें शानदार जीत मिली थी और आरजेडी की उम्मीदवार बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहने के बाद ताजा रुपौली सीट के उपचुनाव में भी हार गई हैं। यहां भी वह तीसरे नंबर पर रही हैं।
लोकसभा चुनाव में आरजेडी के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद सवाल उठा था कि क्या तेजस्वी यादव के बयान से आरजेडी को पूर्णिया में जबरदस्त नुकसान हुआ है?
पूर्णिया में किसे मिले कितने वोट
राजनीतिक दल | उम्मीदवार | मिले वोट |
निर्दलीय | राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव | 5,67,556 |
जनता दल (यूनाइटेड) | संतोष कुमार | 5,43,709 |
राष्ट्रीय जनता दल | बीमा भारती | 27,120 |
तेजस्वी यादव ने जिस तरह अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ वोट देने की अपील की, वैसा ही कुछ सुखबीर बादल ने पंजाब में किया और नतीजा दोनों ही जगह पर शर्मनाक रहा।
अकाली दल में चल रहा घमासान
अकाली दल में बीते कई महीनों से जबरदस्त घमासान चल रहा है। पार्टी का प्रदर्शन लगातार पिछले दो विधानसभा चुनाव और पिछले दो लोकसभा चुनाव में बेहद खराब रहा है।
गिरता गया अकाली दल का वोट शेयर और सीटें
साल | अकाली दल को मिले वोट (प्रतिशत में) | अकाली दल को मिली सीट |
2012 विधानसभा चुनाव (117) | 34.73% | 56 |
2014 लोकसभा चुनाव (13) | 26.4% | 4 |
2017 विधानसभा चुनाव (117) | 25.4% | 15 |
2019 लोकसभा चुनाव (13) | 27.45% | 2 |
2022 विधानसभा चुनाव (117) | 18.38% | 3 |
2024 लोकसभा चुनाव (13) | 13.42% | 1 |
अकाली दल के बागी नेताओं में शामिल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा और कुछ अन्य नेताओं ने पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया हुआ है। हालात इस कदर खराब हैं कि सुखबीर सिंह बादल से बागी नेताओं ने कहा है कि वह पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ दें।
और हमलावर होगा बागी गुट?
जालंधर वेस्ट सीट पर अकाली दल के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सुखबीर बादल की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती हैं। बीबी जागीर कौर ने कहा है कि जालंधर वेस्ट सीट के नतीजे ने यह साबित कर दिया है कि अकाली दल के मतदाताओं ने सुखबीर बादल के बसपा को समर्थन देने की अपील पर कोई ध्यान नहीं दिया। अकाली दल का बागी धड़ा सुखबीर बादल के खिलाफ पूरी ताकत के साथ मोर्चा खोल सकता है।