हिंदी में ओल्ड इज गोल्ड की तर्ज पर एक कहावत है- नया नौ दिन पुराना सौ दिन। दुनिया 2024 में प्रवेश कर चुकी है। लेकिन भारत के स्वर्णिम संगीत युग के हिंदी गाने अभी भी देश भर में बार-बार बजाए जा रहे हैं। संगीतकार आरडी बर्मन ने कई ऐसे सदाबहार गीत दिए, जो भारतीय संगीत जगत के अनमोल रत्न माने जाते हैं।
राहुल देव बर्मन (RD Burman) को पंचम दा के नाम से भी जाना जाता है। वह एक उत्कृष्ट संगीतकार थे। उन्होंने अपनी अनूठी संगीत रचनाओं से भारतीय संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज किया। कई मायनों में उनका जलवा आज भी कायम है।
उनका जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता में महान संगीत निर्देशक सचिन देव बर्मन (SD Burman) के घर हुआ था। पंचम दा ने बहुत ही कम समय में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी। 1956 में आयी फिल्म ‘फंटूश’ में ‘ऐ मेरी टोपी पलट के आ’ गाना था। इस गाने में एसडी बर्मन ने आरडी बर्मन की बनाई धुन का इस्तेमाल किया था।
एक्टिंग भी करते थे पंचम दा
मशहूर संगीत सम्राट आरडी बर्मन को हिंदी फिल्म जगत के बेहतरीन संगीतकार के रूप में याद किया जाता है। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि पंचम दा वास्तव में एक “अच्छे अभिनेता” भी थे। पंचम दा ने कैमरे के सामने ज्यादा समय नहीं बिताया। लेकिन जब भी कैमरे के आगे आए तो यह सुनिश्चित किया कि सभी की निगाहें उन पर हों।
आरडी बर्मन पहली बार स्क्रीन पर महमूद की ‘भूत बांग्ला’ में नजर आए थे। अनुभवी अभिनेत्री आशा पारेख को एक बार आरडी बर्मन के साथ एक्टिंग करने का मौका मिला था। एक इंटरव्यू में अपने उस अनुभव को याद किया करते हुए उन्होंने बताया था कैसे संगीतकार एक्टिंग अभिनेत्री के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुई थी।
रेडिफ के साथ बातचीत में अभिनेत्री ने बताया था कि एक बार नासिर हुसैन की फिल्म ‘प्यार का मौसम’ के लिए आरडी बर्मन के साथ एक कॉमेडी सीक्वेंस फिल्माना था। वह कहती हैं, “मैंने कई असाधारण को-एक्टर्स के साथ काम किया था, लेकिन पंचम दा सबसे चुनौतीपूर्ण सह-कलाकार थे जिनके साथ मैंने कभी काम किया है।
कॉमेडी दृश्य में उनके और अनुभवी संगीतकार के साथ-साथ राजेंद्र नाथ भी थे, जो उस समय एक स्थापित कॉमेडी अभिनेता थे। इंटरव्यू में आशा खुद स्वीकार करती हैं कि वह कॉमेडी सीन की तुलना में इमोशनल सीन में बेहतर थीं, लेकिन जब उन्होंने पंचम दा को अभिनय करते देखा, तो उनकी सांसें थम गईं।
उन्होंने याद करते हुए कहा, “मुझे नहीं पता था कि पंचमदा इतने अच्छे अभिनेता हैं। क्या कॉमिक टाइमिंग थी! वह एक ऐसा दृश्य था जहां राजेंद्र नाथ के सचिव की भूमिका निभा रहे पंचम दा ने राजेंद्र नाथ और मुझे हक्का-बक्का कर दिया था।”
संगीत में कई तरह के प्रयोग करते थे आरडी बर्मन
आरडी बर्मन ने ‘ओ मेरे सोना रे’ ( फिल्म- तीसरी मंजिल) गाने से भारतीय फिल्मों में इलेक्ट्रॉनिक ऑर्गन के इस्तेमाल की शुरुआत की थी।
कम ही लोग जानते हैं कि फिल्म ‘सोलवा साल’ में हेमंत कुमार द्वारा गाए गए गाने ‘है अपना दिल तो आवारा’ में माउथ ऑर्गन खुद आरडी बर्मन ने बजाया था।
‘चुरा लिया तुमने जो दिल को’ में आरडी बर्मन ने चम्मच के गिलास से टकराने की आवाज का इस्तेमाल किया था। ऐसा कहा जाता है कि बारिश की बूंदों की आवाज रिकॉर्ड करने लिए आरडी बर्मन ने अपने घर की बालकनी में पूरी बरसात की रात बिताई थी और अपनी मनचाही आवाज रिकॉर्ड की थी।
‘अब्दुल्ला’ में आरडी बर्मन ने एक गाने के लिए बांस की सीटी और उसमें गुब्बारा बांधने की आवाज का इस्तेमाल किया था। आरडी बर्मन हिंदी फिल्म संगीत में ब्राजीलियाई बोसा नोवा लय की शुरुआत करने वाले पहले व्यक्ति थे।
होटल में बैठकर कंपोज किए गाने को मिल गया नेशनल अवार्ड
आरडी बर्मन की फिल्म ‘परिचय’ का गाना ‘बीती ना बिताई रैना’ उन्होंने एक होटल के कमरे में कंपोज किया था। लता मंगेशकर और भूपिंदर दोनों को इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। आरडी बर्मन का निधन 4 जनवरी 1994 को 54 वर्ष की आयु में मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।
