Rasna founder passes away: रसना ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन अरीज खंबाटा (Rasna founder) का 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। ग्रुप के आधिकारिक बयान के मुताबिक, खंबाटा का शनिवार (19 नवंबर) को निधन हो गया था।

घरेलू पेय ब्रांड रसना को 60 देशों तक पहुंचाने वाले खंबाटा अहमदाबाद पारसी पंचायत के पूर्व प्रेसिडेंट होने के साथ-साथ भारत के पारसी जोरास्ट्रियन अंजुमन फेडरेशन के वाइस प्रेसिडेंट भी थे।

कंपनी का इतिहास 

फोर्ब्स पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1940 में अहमदाबाद के खंबाटा परिवार ने ‘जाफे’ नाम से एक रेडी-टू-सर्व कांसन्ट्रेट सॉफ्ट ड्रिंक्स की कंपनी की स्थापना की थी। ‘जाफे’ संतरे की एक वैरायटी ‘जाफा’ से बना नाम है। पिरोजशा खंबाटा (अरीज खंबाटा के पिता) जाफे को बी टू बी बिजनेस मॉडल पर चलाते थे।

1962 में जब अरीज खंबाटा (Areez Pirojshaw Khambatta) व्यवसाय में शामिल हुए, तो उन्होंने कंपनी का संचालन बी टू बी के अलावा बी टू सी में भी चालू किया। बी टू बी का मतलब बिजनेस टू बिजनेस अर्थात एक कंपनी का दूसरी कंपनी के साथ व्यापार। बी टू सी का मतलब बिजनेस टू कस्टमर यानी कंपनी का कस्टमर के साथ व्यापार। अरीज खंबाटा ने बीटूसी को बढ़ाने के लिए 1976 में जाफे का ब्रांड नेम बदलकर रसना कर दिया था।

जनता पार्टी का वह फैसला

जाफे के रसना बनने के अगले साल ही भारत की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व कर रही जनता पार्टी ने देश में कोका-कोला की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। अरीज खंबाटा ने इस अवसर को लपकते हुए कांसन्ट्रेट सॉफ्ट ड्रिंक की नई सीरीज लॉन्च कर दी। यहीं से रसना के बिजनेस ने रफ्तार पकड़ लिया। फरवरी 2019 तक कांसन्ट्रेट सॉफ्ट ड्रिंक्स के बाजार पर 80 प्रतिशत कब्जा रसना का था।

भारत में कोका-कोला की वापसी 16 साल बाद 1993 में हुई थी। लेकिन उससे पहले 1992 में ही रसना ने ग्रामीण बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए 2 रुपये का पाउंच लॉन्च किया, जिसके साथ यह दावा नत्थी था कि उससे छह गिलास सॉफ्ट ड्रिंक तैयार हो जाएगा। इस ऑफर ने रसना को कंज्यूमरों की एक बड़ी संख्या दी।

60 देशों में पहुंच चुका है रसना

आज भारतीय ब्रांड रसना दुनिया के 60 देशों में मिलता है। सिर्फ भारत की बात करें तो देश भर में रसना को 18 लाख खुदरा दुकानों पर बेचा जाता है।