हरियाणा में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले दक्षिणी हरियाणा यानी अहीरवाल के बड़े नेता और मोदी सरकार में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इसके पीछे वजह यह है कि राव इंद्रजीत सिंह इस बार अपनी बेटी आरती सिंह राव को विधानसभा का चुनाव लड़ाना चाहते हैं।

इससे पहले अहीरवाल इलाके के ही एक और बड़े बीजेपी नेता राव नरबीर सिंह भी बादशाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। राव नरबीर सिंह ने कहा था कि चाहे निर्दलीय ही चुनाव क्यों न लड़ना पड़े, वह चुनाव मैदान में जरूर उतरेंगे।

हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और बीजेपी और कांग्रेस पूरी ताकत के साथ चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं। कांग्रेस राज्य में ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान चला रही है तो बीजेपी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सरकार के द्वारा किए गए ऐलानों और घोषणाओं को लेकर जनता के बीच जा रही है।

लोकसभा चुनाव में हुआ बीजेपी को नुकसान

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हरियाणा की सियासत से खबर यह भी है कि बीजेपी किरण चौधरी को राज्य में बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। किरण चौधरी कुछ दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुई थीं।

राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘लोग मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं और मुझे समर्थन भी दे रहे हैं। मैं निश्चित रूप से चुनाव लडूंगी या तो बीजेपी के टिकट पर या निर्दलीय।’

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अहीरवाल के दिग्गज नेता हैं राव इंद्रजीत सिंह। (Source-PTI)

पहले भी दो बार मांगा था टिकट

बताना होगा कि इससे पहले राव इंद्रजीत सिंह भी कह चुके हैं कि उन्होंने 2014 और 2019 में बीजेपी से अपनी बेटी के लिए टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने उनकी बेटी को उम्मीदवार नहीं बनाया था तब आरती सिंह ने रेवाड़ी सीट से दावेदारी की थी। लेकिन इस बार वह कहां से चुनाव लड़ेंगी, इसे लेकर आरती ने अभी कोई ऐलान नहीं किया है।

आरती ने पिछले कुछ महीनों में कई बार अहीरवाल इलाके की अटेली विधानसभा सीट का दौरा किया है और आने वाले दिनों में वह बादशाहपुर और नारनौल विधानसभा क्षेत्रों में भी जाएंगी।

नेताओं के बच्चों को टिकट दे सकती है बीजेपी

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि पार्टी चुनाव जीतने की योग्यता के आधार पर टिकट देगी। आरती अटेली, कोसली और नारनौल सीट से अच्छी उम्मीदवार हो सकती हैं और इस बार पार्टी की योजना है कि वह लोकप्रिय उम्मीदवारों के बच्चों को चुनाव मैदान में उतारे और वह फरीदाबाद के सांसद और केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के बेटे को भी टिकट दे सकती है।

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हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीत पाएगी बीजेपी?(Source-FB)

शूटिंग छोड़ राजनीति में आईं आरती

आरती ने 2001 और 2012 में विश्व शूटिंग वर्ल्ड कप फाइनल प्रतियोगिता में भाग लिया था। उन्होंने चार एशियाई चैंपियनशिप के पदक भी जीते हैं और वह हरियाणा पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं। आरती ने 2017 में शूटिंग छोड़ दी थी और तभी से वह हरियाणा की राजनीति में खासी सक्रिय हैं। विशेषकर अहीरवाल के इलाके में वह अपने पिता के चुनाव प्रबंधन का काम देखती रही हैं।

आरती ने इस लोकसभा चुनाव में अपने पिता राव इंद्रजीत सिंह के लिए गुरुग्राम लोकसभा के सभी हलकों में जमकर चुनाव प्रचार किया था। राव इंद्रजीत सिंह के लिए इस बार चुनावी मुकाबला बेहद कठिन रहा था और उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर से 75000 वोटों से जीत मिली थी जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें 3.86 लाख वोटों से जीत मिली थी।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राव इंद्रजीत सिंह उन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर खुलकर अपनी नाराजगी का इजहार कर चुके हैं। राव इंद्रजीत सिंह का अहीरवाल के इलाके में सियासी असर है और जिस तरह की नाराजगी उन्होंने दिखाई है, उसके बाद ऐसा मुश्किल लगता है कि बीजेपी उनकी पसंद को दरकिनार कर सकती है।

आरती के बारे में अभी यह पता नहीं है कि वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगी। बीजेपी ने इससे पहले परिवारवाद का हवाला देते हुए आरती को टिकट नहीं दिया था। अगर इस बार भी ऐसा ही हुआ तो आरती ने साफ कर दिया है कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगी।

अहीरवाल में है राव इंद्रजीत सिंह का असर

आरती अगर बादशाहपुर, अटेली, कोसली या रेवाड़ी से चुनाव लड़ती हैं, तो निश्चित रूप से बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं। क्योंकि अहीरवाल के इलाके में राव इंद्रजीत सिंह का बड़ा असर है और वह गुरुग्राम छह बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। राव इंद्रजीत सिंह चार बार गुरुग्राम और दो बार भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद बन चुके हैं। 2014 में बीजेपी में आने से पहले राव यूपीए की सरकारों में विदेश और रक्षा राज्य मंत्री जैसे बड़े पद संभाल चुके हैं।

अहीरवाल का इलाका यादव बहुल है। अहीरवाल बेल्ट में 11 सीटें- गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, पटौदी, नारनौल, नांगल चौधरी, बावल, कोसली और अटेली शामिल हैं। इसके अलावा राव इंद्रजीत सिंह का नूंह में भी असर है क्योंकि यह इलाका उनके लोकसभा क्षेत्र में आता है।

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नायब सिंह सैनी के कंधों पर बीजेपी को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। (Source-NayabSainiOfficial)

किसानों को मनाने के लिए किरण को जिम्मेदारी देगी बीजेपी

दूसरी ओर, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू और हरियाणा कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहीं किरण चौधरी को भी बीजेपी किसानों के साथ बेहतर तालमेल बनाने की जिम्मेदारी दे सकती है। किसान आंदोलन के बाद से ही हरियाणा में बीजेपी के नेताओं को किसानों की लगातार नाराजगी का सामना करना पड़ा है। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी पार्टी के उम्मीदवारों का किसानों ने खुलकर विरोध किया था।

किरण चौधरी जाट समुदाय से आती हैं और बीजेपी को इस बार लोकसभा चुनाव में जाट बेल्ट की सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा है। सोनीपत, रोहतक, हिसार की सीटों पर जाट मतदाता असरदार हैं और बीजेपी को यहां हार मिली है। किसान आंदोलन में भी जाट नेताओं की काफी सक्रियता रही थी।

किरण चौधरी जब बीजेपी में शामिल हुई थीं तो बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने भी पार्टी का दामन थामा था। ऐसे में बीजेपी किरण चौधरी उनके समर्थकों के जरिए किसानों तक पहुंचने की कोशिश आने वाले दिनों में करेगी।

विधानसभा चुनाव में किरण चौधरी के समर्थकों को भी बीजेपी टिकट दे सकती है।