हरियाणा के विधानसभा चुनाव के लिए सजे सियासी मैदान में एक सीट पर दादा और पोते के बीच चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा। हम बात कर रहे हैं सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट की। इस सीट पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के महासचिव अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन सिंह चौटाला को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है जबकि रिश्ते में उनके दादा रणजीत सिंह चौटाला भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

इस वजह से एक बार फिर चौटाला परिवार में चुनावी मुकाबला दिखाई देगा। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी हिसार लोकसभा सीट पर चौटाला परिवार में आपसी लड़ाई देखने को मिली थी। तब रणजीत चौटाला बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे जबकि नैना चौटाला ने बीजेपी के टिकट पर और इनेलो के टिकट पर सुनैना चौटला ने ताल ठोकी थी।

यह देवरानी, जेठानी और ससुर की सियासी लड़ाई थी।

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अहीरवाल में है राव इंद्रजीत सिंह का असर। (Source-FB)

चौटाला परिवार के लिए लोकसभा चुनाव के नतीजे बेहद खराब रहे थे क्योंकि नैना चौटाला और सुनैना चौटाला दोनों को ही 22 हजार से कुछ ज्यादा वोट मिले थे। इसके अलावा रणजीत चौटाला भी चुनाव हार गए थे। हिसार में रणजीत चौटाला को लगभग 63 हजार वोटों से हार मिली थी।

कितना बड़ा है देवीलाल का कुनबा

इन रिश्तों को अब आसानी से समझते हैं। यह परिवार है पूर्व उप प्रधानमंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल का। देवीलाल के चार बेटे हुए। उनके नाम हैं- ओम प्रकाश चौटाला, प्रताप चौटाला, रणजीत चौटाला और जगदीश चौटाला।

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टिकट बंटवारे के बाद बढ़ेगा घमासान? (Source- FB)

ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं- अभय चौटाला और अजय चौटाला। बड़े बेटे अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला हैं जबकि रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला हैं।

परिवार में खटपट होने की वजह से अजय चौटाला और उनके दोनों बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला 2018 में इनेलो से अलग हो गए थे और उन्होंने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया था।

रणजीत के टिकट पर अभी नहीं हुआ फैसला

रणजीत चौटाला पिछला विधानसभा चुनाव रानियां सीट से निर्दलीय जीते थे। बीजेपी की तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर सरकार को उन्होंने समर्थन दिया था और इस वजह से उन्हें राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। इस साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में रणजीत चौटाला बीजेपी में शामिल हुए थे।

बीजेपी ने इस चुनाव में हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) से गठबंधन किया है। हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा रानियां सीट से अपने भतीजे धवल कांडा को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। हलोपा और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है। खबरों के मुताबिक यह सीट हलोपा के खाते में जा सकती है। ऐसे में रणजीत चौटाला यहां से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे।

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तेजी से लोकप्रिय हुए हैं दुष्यंत और चंद्रशेखर आजाद। (Source-FB)

अर्जुन चौटाला ने 2019 के संसदीय चुनाव में कुरूक्षेत्र सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें सिर्फ 60,679 वोट मिले थे और वे पांचवें स्थान पर रहे थे और उनकी जमानत भी नहीं बच सकी थी। तब इस सीट से हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जीते थे।

देखना होगा कि विधानसभा चुनाव में वह अपने दादा को कितनी कड़ी टक्कर दे पाते हैं।