अंग्रेजों के जमाने (British Raj)  में दो तरह का भारत था। एक अंग्रेजों का भारत, दूसरा राजे-रजवाड़ों का भारत। आजादी के वक्त भारत में 565 रियासतों में बंटा हुआ था। आज के भारत का करीब एक तिहाई भू-विस्तार राजा-महाराजा और नवाबों के कंट्रोल में था।

भारत में एक से बढ़कर एक अनोखे और अजीब राजा हुए। उनके शौक इतने अतरंगी होते थे, जिस पर आज यकीन करना मुश्किल होता है। कोई सोना, चांदी, जवाहरातों का दिवाना था। कोई कार, घड़ी और जानवरों के अवशेष जुटाने का शौकीन था।

ऐसे ही एक नवाब साहब रामपुर (Rampur) थें, जिन्होंने फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें की देखा-देखी एक अनोखा सिंहासन बनवाया था। नवाब  (Rampur State) ने सिंहासन की गद्दी को बीचोबीच गोल आकार में कटवा दिया था। सिंहासन के ठीक नीचे एक तसला रखा होता था।

चर्चित इतिहासकार डोमीनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब फ्रिडम एट मिडनाइट में लिखा है कि नवाब साहब उस सिंहासन पर बैठकर दरबार में कामकाज के बीच शाही गूंज-गरज के साथ निवृत होते थे। ऐसा उन्होंने इसलिए बनवा रखा था ताकि दरबार के काम को बीच में छोड़कर ना जाना पड़े।

सिंहासन रखने की जगह भी थी अनोखी

नवाब साहब रामपुर का सिंहासन एक ऐसे हॉल में रखा था, जो गिरजाघर के बराबर था। जिस चतूबतरे पर वह रखा हुआ था, उसके दूधिया संगमरमर के खम्भों में नग्न औरतों के शरीर तराशे गये थे।

सिंहासन पर चढ़ने के लिए सोने की सीढ़ी

मैसूर के महाराजा ने अपना सिंहासन 28 मन सोना से बनवाया था। 1 मन के 40 किलोग्राम के बराबर होता है। महाराज ने सिंहासन पर चढ़ने के लिए ठोस सोने की नौ सीढ़ियां बनवाई थीं, जो हिंदू धर्म के ईश्वर विष्णु के नौ कदमों का प्रतिक था।