भारत में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए हर साल ‘रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवॉर्ड्स’ दिया जाता है। इस वर्ष यह अवार्ड मंगलवार (19 मार्च, 2024) को शाम 5.30 बजे नई दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग स्थित आईटीसी मौर्य होटल के कमल महल सभागार में दिया जाना है।
जिनके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है, वह रामनाथ गोयनका द इंडियन एक्सप्रेस के संस्थापक, स्वतंत्रता सेनानी और संविधान निर्माता रहे हैं। आजादी के पहले से ही उन्होंने साहसिक पत्रकारिता के दम पर अपनी पहचान बना ली थी।
रामनाथ गोयनका का संक्षिप्त परिचय
3 अप्रैल, 1904 को दरभंगा में जन्मे गोयनका व्यापार के गुण सीखने के लिए चेन्नई गए और फ्री प्रेस जर्नल के साथ डिस्पैच विक्रेता के रूप में काम किया। 1936 में उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस की स्थापना की। रामनाथ गोयनका, महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे और स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा थे।
गोयनका को 1941 में राष्ट्रीय समाचार पत्र संपादकों के सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया। वह भारत के संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले संविधान सभा के प्रथम सदस्य थे।
जब गोयनका ने किया इंडियन एक्सप्रेस बंद करने का आह्वान
साल 1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया और ब्रिटिश सरकार ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया, तो इस फैसले के विरोध में अपना अखबार बंद करने की घोषणा करने वाले रामनाथ गोयनका पहले व्यक्ति थे।
रामनाथ गोयनका ने प्रेस पर अंकुश लगाने के ब्रिटिश सरकार के प्रयासों का पालन करने के बजाय अपना समाचार पत्र बंद करने का फैसला किया था।
अखबार बंद करने की घोषणा करते हुए अगस्त 1942 में एक्सप्रेस ने विदाई संस्करण निकाला, जिसमें ‘हार्ट स्ट्रिंग्स एंड पर्स स्ट्रिंग्स’ शीर्षक से संपादकीय छपा था।
संपादकीय में क्या लिखा था?
रामनाथ गोयनका ने संपादकीय में लिखा था, “हम अपने नेताओं, कांग्रेस आंदोलन, या किसी भी चीज़ से संबंधित समाचार प्रकाशित नहीं कर सकते… यहां तक कि उन फैक्ट्स को भी नहीं लिख सकते, जो समाज पर अहम प्रभाव छोड़ते हैं। खबर प्रकाशित करने के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि सूचना सरकारी विज्ञप्ति से लिया जाए, या उन पंजीकृत संवाददाताओं की रिपोर्ट से, जिन्हें ज़िला मजिस्ट्रेट से खबर पास करवानी पड़ती है। जनता को केवल यही पढ़वाना और कुछ नहीं, यह हमारे लिए जनता के साथ धोखाधड़ी से कम नहीं होगा… मौजूदा हालात यह है कि यदि हम प्रकाशन जारी रखते हैं, तो इंडियन एक्सप्रेस को एक पेपर तो कहा जा सकता है, लेकिन न्यूज पेपर नहीं।” उनकी राय में न्यूजपेपर समाज के लिए एक बड़ा मकसद पूरा करता है। यह लोगों को जानकारी देता है और उन्हें तर्कपूर्ण फैसले लेने में मदद करता है।
असल में रामनाथ गोयनका ने महात्मा गांधी द्वारा एक राष्ट्रीय समाचार पत्र की आवश्यकता पर जोर दिए जाने के बाद द इंडियन एक्सप्रेस की शुरुआत की थी। अपने अखबार के माध्यम से देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने की कोशिश में रामनाथ गोयनका न सिर्फ अग्रेजों, बल्कि स्वतंत्र भारत में बड़े-बड़े राजनीतिक और आर्थिक दिग्गजों से भी भिड़ते रहे।