लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत जबरदस्त करवट लेती दिखाई दे रही है। इस इलाके में राजपूत समुदाय बीजेपी के खिलाफ लगातार महा पंचायतें कर रहा है। इन महा पंचायतों में अपील की जा रही है कि इस समुदाय के लोग बीजेपी को वोट ना दें।
इस तरह की महापंचायतें सहारनपुर, मेरठ और गाजियाबाद में हो चुकी हैं। राजपूत समुदाय के नेताओं का कहना है कि उनकी महापंचायतें जारी रहेंगी। इन महापंचायतों को क्षत्रिय स्वाभिमान सम्मेलन का नाम दिया गया है। उत्तर प्रदेश में राजपूत समुदाय की आबादी 7-8% है।
बीजेपी के लिए राजपूत समुदाय का नाराज होना इसलिए भी ज्यादा परेशान करने वाला है क्योंकि इस समुदाय को बीजेपी का परंपरागत समर्थक माना जाता है।
बीजेपी ने राजनाथ, योगी को भेजा
राजपूत समुदाय के गुस्से की भनक बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंच गई है। इसीलिए इस समुदाय से आने वाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी जनसभाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कराई गई हैं। इसके बावजूद राजपूत समुदाय के लोग लगातार बीजेपी के खिलाफ वोट देने की अपील कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भी यह गुस्सा साफ दिखाई देता है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बीते कुछ दिनों से राजपूत विरोधी मोदी ट्रेंड कर रहा है।
लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटिंग होनी है। पश्चिम उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर राजपूत समुदाय के कितने मतदाता हैं, इसका मोटा आंकड़ा ये है:
लोकसभा सीट | मतदाता (प्रतिशत में) |
सहारनपुर | 8 |
मुजफ्फरनगर | 8 |
कैराना | 6 |
अमरोहा | 8 |
मेरठ | 6 |
बिजनौर | 5 |
नगीना | 12 |
Rajput against BJP: क्या है नाराजगी की वजह?
राजपूत समुदाय की नाराजगी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सरधना सीट से संगीत सोम को मिली हार के बाद शुरू हुई थी। समुदाय के लोगों का कहना है कि 2022 के चुनाव में संगीत सोम को हराने में संजीव बालियान का हाथ था। तब सपा के अतुल प्रधान ने संगीत सोम को हराया था। इससे पहले संगीत सोम लगातार दो विधानसभा चुनाव जीत चुके थे।
इसके अलावा क्षत्रिय राजाओं के इतिहास से छेड़छाड़ करने, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के द्वारा राजपूत युवाओं पर मुकदमे दर्ज कराने, टिकट बंटवारे में समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व नहीं देने के आरोप भी इस समुदाय के नेताओं ने लगाए हैं। गाजियाबाद सीट से पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह का टिकट काटे जाने से भी इस समुदाय के लोगों में गुस्सा है।
शांत नहीं हो रहा गुस्सा
मेरठ के रार्धना गांव में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी जनसभा करने आए थे तो वहां द इंडियन एक्सप्रेस ने राजपूत समुदाय के एक शख्स से बात की थी। इस शख्स का कहना था कि हमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कोई परेशानी नहीं है लेकिन हमें संजीव बालियान से दिक्कत है। बालियान मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर राजपूत समुदाय के 24 गांव हैं और इसमें लगभग 1 लाख 18000 वोट इस समुदाय के हैं।
हालांकि बीजेपी के लिए संतोष की बात यह है कि इस बार उसे कुछ हद तक जाट और मुस्लिम वोटों का साथ मिल सकता है क्योंकि उसने जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया है।

मेरठ में बीजेपी के जिला अध्यक्ष शिवकुमार राणा द इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं।
हमारे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राजपूत समुदाय से हैं, मैं भी राजपूत समुदाय से हूं और मुरादाबाद में बीजेपी ने हमारे समुदाय के नेता को टिकट दिया है। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि इस इलाके में हमारे समुदाय की आबादी को देखते हुए राजपूत समुदाय के एक और नेता को टिकट दिया जा सकता था लेकिन कभी-कभी हमें संतुष्ट होना पड़ता है। यह बात भी सच है कि इससे पहले हमें हमारी संख्या से ज्यादा पद मिलते रहे हैं।
बीजेपी उत्तर प्रदेश के लिए चुनावी रूप से जबरदस्त ऊपजाऊ रहा है। देश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटों वाले इस प्रदेश में बीजेपी ने 2014 में 71 सीटें जीती थी जबकि 2019 में सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन के बाद भी वह 62 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इसके अलावा 2017 और 2022 में वह यहां लगातार सरकार बना चुकी है।
Rajput boycott parshottam rupala: गुजरात में भी मुश्किल पैदा कर रहा राजपूत समुदाय
बीजेपी के लिए राजपूत समुदाय की ओर से मुश्किल केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं है। गुजरात में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला का एक बयान भी पार्टी के लिए मुसीबत बन गया है। बीते दिनों में क्षत्रिय समुदाय से जुड़े लोगों ने साबरकांठा, सुरेंद्रनगर, जूनागढ़, अहमदाबाद, सूरत और कुछ जगहों पर जोरदार प्रदर्शन किया है और रुपाला के पुतले फूंके जा चुके हैं। समुदाय के नेताओं का कहना है कि बीजेपी को रुपाला का टिकट वापस ले लेना चाहिए।

400 पार का आंकड़ा रोकेंगे राजपूत मतदाता?
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए के लिए 400 से ज्यादा सीटें जीतने का नारा दिया है लेकिन जिस तरह राजपूत समुदाय उसके खिलाफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आगे बढ़ते हुए भी और गुजरात तक में जबरदस्त विरोध कर रहा है, उससे क्या वाकई एनडीए के लिए 400 सीटें हासिल करना मुश्किल हो सकता है।

क्षत्रिय समुदाय का वोट गुजरात और उत्तर प्रदेश के बाहर, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा आदि में भी है। ऐसे में देखना यह है कि क्या बीजेपी इस मामले में डैमेज कंट्रोल कर पाएगी।