पंजाब की इस सीट पर दो पुराने दोस्तों के बीच इन दिनों जबरदस्त चुनावी और जुबानी जंग चल रही है। यह दोनों ही नेता पहले कांग्रेस में थे लेकिन अब एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। बात हो रही है पंजाब की लुधियाना सीट की।
लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू इस साल मार्च में बीजेपी में शामिल हो गए थे। बीजेपी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार भी बनाया है। बिट्टू को चुनावी शिकस्त देने के इरादे से ही कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वरिंग को मैदान में उतारा है।
इन दोनों जोशीले और युवा नेताओं के आमने-सामने आने की वजह से लुधियाना का चुनावी माहौल बेहद गर्म है। आम आदमी पार्टी ने यहां से अशोक पाराशर को टिकट दिया है जबकि शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार रणजीत सिंह ढिल्लों हैं।
अमरिंदर सिंह राजा वरिंग कहते हैं कि जिस तरह रवनीत सिंह बिट्टू ने पार्टी, पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता के साथ विश्वासघात किया है, यह चुनाव उसके खिलाफ है।
Amrinder Singh Raja Warring: तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं वरिंग
अमरिंदर सिंह राजा वरिंग मुक्तसर जिले की गिद्दड़बाहा सीट से तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। वरिंग कहते हैं कि पंजाबी धोखेबाज लोगों को पसंद नहीं करते और उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि बिट्टू इस बार लुधियाना से चुनाव नहीं जीतेंगे।

वरिंग चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से कहते हैं कि अगर मंत्री पद के लिए बिट्टू उस पार्टी को छोड़ सकते हैं जिसने उन्हें तीन बार सांसद बनाया, तो कल वह बीजेपी के साथ भी विश्वासघात कर सकते हैं।
अमरिंदर सिंह राजा वरिंग की पहचान पंजाब में संघर्ष करने वाले नेता की है। वह युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
अमरिंदर को बताया बाहरी उम्मीदवार
अमरिंदर सिंह राजा वरिंग यहां वफादारी बनाम गद्दारी को मुद्दा बना रहे हैं तो बिट्टू ने अमरिंदर को बाहरी उम्मीदवार बताया है। वरिंग के वफादारी बनाम गद्दारी को मुद्दा बनाने के जवाब में रवनीत सिंह बिट्टू कहते हैं कि वरिंग यहां 20 दिन की छुट्टी बिताने आए हैं।
इसके जवाब में वरिंग कहते हैं कि पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष होते हुए वह इस राज्य की किसी भी लोकसभा सीट के लिए बाहरी नहीं हो सकते। अमरिंदर सिंह राजा वरिंग मूल रूप से मुक्तसर जिले के वरिंग गांव के रहने वाले हैं।

चुनाव प्रचार के दौरान वरिंग बिट्टू पर यह कहकर हमला बोलते हैं कि उन्होंने अपने चुनावी पोस्टर से पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की फोटो क्यों हटा दी है जबकि बिट्टू इसके जवाब में कहते हैं कि वरिंग बताएं कि उन्होंने अपनी चुनावी पोस्टर में गांधी परिवार को जगह क्यों नहीं दी।
Ravneet Singh Bittu Punjab: तीन चुनाव जीत चुके हैं बिट्टू
रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं। बेअंत सिंह की 1995 में एक आतंकी हमले में मौत हो गई थी। बिट्टू लुधियाना से 2014 और 2019 में भी लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। बिट्टू 2009 में आनंदपुर साहिब सीट से भी सांसद चुने गए थे।
बिट्टू बोले- मेरी हत्या की हो रही साजिश
रवनीत सिंह बिट्टू उन्हें सरकारी कोठी से बाहर करने का आरोप पंजाब की भगवंत मान सरकार पर लगाते हैं, वह कहते हैं कि उनकी हत्या करवाने की साजिश रची जा रही है लेकिन वह अपने दादा सरदार बेअंत सिंह की तरह पंजाब के लिए जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं। रवनीत सिंह बिट्टू अपने सरकारी आवास का 1.82 करोड रुपए बकाया चुकाने के बाद ही चुनाव में नामांकन कर सके हैं।

Punjab Assembly Election 2022: 9 में से 8 सीटें हैं आप के पास
लुधियाना लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा सीटें आती हैं। ये सीटें- लुधियाना पूर्व, लुधियाना साउथ, आत्म नगर, लुधियाना सेंट्रल, लुधियाना वेस्ट, लुधियाना नॉर्थ, दाखा, गिल और जगराओ हैं। इनमें 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 8 सीटें जीती थी। याद दिलाना होगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड जीत दर्ज की थी। 117 सीटों वाले पंजाब में पार्टी को 92 सीटों पर जीत मिली थी।
AAP Punjab: मान लगा रहे पंजाब के लिए जोर
बीजेपी और कांग्रेस की जंग के बीच पंजाब में इस बार आम आदमी पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद ही चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई है और जमानत पर जेल से बाहर आए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी आने वाले दिनों में पंजाब में चुनाव प्रचार करेंगे।
भगवंत मान पिछले लोकसभा चुनाव में संगरूर सीट से जीते थे। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ था और आम आदमी पार्टी ने यह सीट गंवा दी थी। आम आदमी पार्टी के टिकट पर जालंधर से उपचुनाव जीते सुशील रिंकू भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इस तरह आम आदमी पार्टी के पास यहां से कोई भी सांसद नहीं है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति पंजाब में विधायकों के भरोसे लोकसभा चुनाव जीतने की है। इन दोनों दलों ने कुल मिलाकर 12 विधायकों को टिकट दिया है। इसमें से 9 आम आदमी पार्टी के हैं और तीन कांग्रेस के।
