21 की उम्र में प्रिंस चार्ल्स से शादी कर राजकुमारी बनी प्रिंसेज डायना की 25 साल पहले 31 अगस्त 1997 को एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। डायना की मौत ने शाही परिवार को काफी हद तक बदल दिया। पूरा ब्रिटेन उनकी मौत पर शोकाकुल हुआ। केनसिंगटन पैलेस के बाहर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
डायना ने अपनी जिंदगी के दौरान दुनिया को जितना प्रभावित किया, उससे कम उनकी मौत ने दुनिया को नहीं बदला। जितनी चर्चा उनके ग्लैमर की हुई, उतनी ही चर्चा उनके कामों की भी हुई। उन्होंने एचआईवी-एड्स को लेकर फैले दुष्प्रचार के खिलाफ अभियान चलाया। लैंडमाइन हटाने के खिलाफ मुहिम चलाई।
नर्सरी स्कूल की टीचर से ग्लैमरस हस्ती
ब्रिटिश शाही परिवार से जुड़ने से पहले भी डायना और उनका परिवार समाज के खास वर्ग से ताल्लुक रखता था। महारानी के परिवार से डायना के एरिस्टोक्रैटिक स्पेंसर परिवार का पुराना संबंध था। 1 जुलाई 1961 को डायना का जन्म सेंट्रल इंग्लैंड के सदियों पुराने महल जैसे घर में हुआ था। उनकी स्कूली पढ़ाई 16 साल के उम्र खत्म हो गई थी। इसके बाद वह लंदन स्थित प्री-स्कूल में बतौर टीचर पर काम करने लगीं।
इसी दौरान उनकी मुलाकात प्रिंस चार्ल्स से हुई। दोनों ने 29 जुलाई 1981 को शादी कर ली। तब दोनों की उम्र में 12 वर्षों से ज्यादा का अंतर था। दोनों को दो बेटे हुए- प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी। दोनों बेटों पर मां का भरपूर प्रभाव दिखता क्योंकि दोनों ने ही शाही ठसक को किनारे कर समाज से सीधा संवाद किया और दोस्ताना संबंध स्थापित करने की कोशिश की।
मीडिया का सही इस्तेमाल
डायना को पता था कि मीडिया उन्हें अलग-अलग वजहों से विशेष कवरेज देता है। उन्होंने इसका फायदा उठाना शुरू किया। एड्स और लैंडमाइन जैसे जरूरी विषयों पर दुनिया भर का ध्यान खींचा।
अपनी मौत से सिर्फ सात माह पहले उन्होंने अंगोला के लैंडमाइन वाले इलाकों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा जैकेट भी नहीं पहना था। उन्हें कवर करने आए मीडिया के जरिए उन्होंने लैंडमाइन्स को हटाए जाने की तरफ ध्यान दिलाया। लैंडमाइन्स की चपेट में आने वाले पीड़ितों से मुलाकात की।
एड्स को लेकर पहले अफवाह था कि यह बीमारी छूने से भी फैलती है। लेकिन 1987 में ब्रिटेन के पहले स्पेशल एड्स वार्ड का उद्घाटन करते हुए प्रिंसेज डायना ने इस दुष्प्रचार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने एड्स के मरीजों से हाथ मिलाते हुए तस्वीर खिंचवाई। प्रिंसेज डायना का यह कदम उस वक्त क्रांतिकारी साबित हुआ।