संसद में इन दिनों मानसून सत्र चल रहा है। इस बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने एक सवाल के जवाब में खुद के ‘जाट’ होने पर गर्व जताया। उन्होंने कहा कि कहा कि वह जाट हैं और उन्हें अपनी जाति पर गर्व है।
जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान सदन के एक सदस्य के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वह “जाट” हैं और उन्हें अपनी जाति पर गर्व है। धनखड़ ने कहा कि जाट केंद्र और राजस्थान सरकार की सूची में ओबीसी के अंतर्गत आते हैं और वह उस समिति का हिस्सा थे जिसने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व किया था।
धनखड़ ने कहा, “मैं जाट हूं और मुझे इस जाति से होने पर गर्व है। यह जाति राजस्थान में और केंद्रीय सूची में ओबीसी लिस्ट में आती है।” धनखड़ का बयान बजट पर बहस के दौरान भाजपा सदस्य घनश्याम तिवारी के भाषण के दौरान आया। इस बीच कांग्रेस सदस्य रजनी अशोकराव पाटिल खड़ी हुई और पूछा कि तिवारी ने धनखड़ का उल्लेख ओबीसी के रूप में क्यों किया। वह यह भी जानना चाहती थीं कि क्या राजस्थान में जाट ओबीसी हैं?
अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जाटों को ओबीसी में शामिल किया गया था
भाजपा के डॉ के लक्ष्मण ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया था। धनखड़ ने कहा कि वह जाट आरक्षण समिति से जुड़े हैं और इसके प्रमुख प्रवक्ता हैं। अध्यक्ष ने कहा कि छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और उनकी मांग तुरंत स्वीकार कर ली गयी थी।
राजस्थान पहला राज्य है जहां जाटों को केंद्र और राज्य से आरक्षण मिला
धनखड़ ने कहा, ”उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री जैसलमेर में थे और वह वापस आये और राज्य में भी इसे लागू किया।” उन्होंने कहा, “राजस्थान पहला राज्य है जहां जाटों को पहले केंद्र से और बाद में राज्य से आरक्षण मिला। तब भी कानूनी खामी थी और मामला अदालत में वर्षों तक खिंचता रहा।”
जगदीप धनखड़ की टिप्पणी के बाद पाटिल ने मराठों को भी ओबीसी सूची में डालने को कहा। बहस में भाग लेते हुए, भाजपा के महेंद्र भट्ट ने कहा कि मौजूदा बजट हर भारतीय के सपने को हासिल करने में मदद करेगा, जो कि 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है।
बजट में हर रियायत भाजपा के सहयोगी राज्य को दी गई
इस दौरान आईयूएमएल के हरीश बीरन ने कहा कि बजट में हर रियायत भाजपा के सहयोगी राज्य को दी गई है। पहले यह भाजपा को दी जाती थी लेकिन अब यह सहयोगी दलों के लिए भी है। केरल ने दो साल के लिए 24,000 करोड़ रुपये का पैकेज, त्रिवेन्द्रम में 5,000 करोड़ रुपये का ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल और राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 5,580 करोड़ रुपये मांगे। इसमें एम्स मांगा गया लेकिन अब तक नहीं दिया गया।
इसके अलावा रबर और नारियल किसानों के लिए इसमें कुछ भी नहीं है। भाजपा के डॉ के लक्ष्मण ने कहा कि यह बजट विकसित भारत के लिए है. उन्होंने कांग्रेस पर ‘दोहरी बात’ करने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी के नेता कहते हैं कि केवल बिहार और आंध्र प्रदेश को इनाम दिया गया है लेकिन बिहार के उसके नेता कहते हैं कि बिहार को कुछ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह बजट पर राजनीति है।
राजस्थान का जातीय समीकरण
जाट पारंपरिक रूप से कृषि पर निर्भर रहने वाली जाति है और राजस्थान में ओबीसी के अंतर्गत आती है। पूर्वी राजस्थान में भरतपुर और धौलपुर पर जाट शासकों का शासन था। धौलपुर पर जाट राजाओं का शासन था। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद इन 2 जिलों के जाटों को केंद्रीय ओबीसी सूची से हटा दिया गया था। जिसके बाद राजस्थान सरकार ने उन्हें राज्य की अन्य पिछड़ी जाति सूची में वापस शामिल कर लिया, लेकिन केंद्र सरकार को सिफारिश नहीं भेजी क्योंकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था।
राजपूत राजवंशों के वंशज माने जाते हैं। कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश राज्य को छोड़कर, जहां ऐसे राजपूत वंश जैसे – रावत, बरगुर्जर आदि को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, राजपूत भारत में सामान्य जाति में आते हैं। कर्नाटक, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की ओबीसी सूची के साथ ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा राजपूत को ओबीसी सूची में शामिल किया गया है।
गुर्जर जाति अधिकांश राज्यों में पिछड़ा वर्ग समूह में शामिल है। ये जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में भी अच्छी संख्या में पाए जाते हैं।
बिश्नोई एक वैष्णव समुदाय है जो वैदिक संस्कृति का पालन करता है। बिश्नोई मुख्य रूप से अनूपगढ़, श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा, सांचौर, जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी, पाली जिलों में रहते हैं।