ओडिशा के बालासोर जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) और मालगाड़ी की टक्कर में अब तक 275 यात्रियों की मौत हो चुकी है। करीब 900 यात्री घायल हैं, जिनका तमाम अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इस दुर्घटना के बाद एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा से लेकर कर्मचारियों पर काम के अतिरिक्त दबाव का मसला गरमा गया है। विपक्षी पार्टियां रेलवे में भर्तियों का मसला भी उठा रही हैं।

आंकड़ों से पता लगता है कि भारतीय रेलवे (Indian Railway) की मेल एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों पर यात्रियों का बेतहाशा दबाव है। सीटों से कई गुना ज्यादा लोग यात्रा कर रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने कुछ वक्त पहले सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेशन सिस्टम (CRIS) से पूछा था इंडियन रेलवे की मेल एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों में कितनी सीटें हैं और इन पर यात्रा करने वाले यात्रियों की वास्तविक संख्या कितनी है। CRIS ने जो जानकारी दी है वो चौंकाने वाला है।

किसी में 25 तो किसी में 20 फीसदी ज्यादा पैसेंजर

सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेशन सिस्टम (CRIS) के मुताबिक साल 2022-23 में मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में कुल सीटों की संख्या 260,282,278 थीं, जबकि इन सीटों 309,411,139 यात्रियों ने ट्रैवल किया। जो कुल सीटों के मुकाबले करीब 19 फीसदी ज्यादा है। सुपरफास्ट ट्रेनों पर तो और दबाव है। 2022-23 में सुपरफास्ट ट्रेनों में कुल सीटों की संख्या 261,455,644 थीं, जबकि 326,067,462 लोगों ने यात्रा की। जो क्षमता से करीब 25% ज्यादा है। पैसेंजर ट्रेन की बात करें तो 2022-23 में कुल 100,096 सीटों पर 91,059 लोगों ने यात्रा की।

अनारक्षित यात्रियों का कोई आंकड़ा ही नहीं

क्रिस (CRIS) के मुताबिक सीटों के मुकाबले एक्चुअल पैसेंजर्स यानी वास्तविक यात्रियों की संख्या में ऐसे पैसेंजर शामिल हैं, जिनके पास कंफर्म, आरएसी और वेटिंग टिकट था। इसमें बिना आरक्षण, सामान्य या फाइन वगैरह देकर यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या शामिल नहीं है। अगर ऐसे यात्रियों की संख्या जोड़ दी जाए तो यह संख्या कई गुना ज्यादा हो जाती है।

सेफ्टी कैटेगरी में करीब 1.82 लाख पद खाली

कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद रेलवे सेफ्टी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। इंडियन रेलवे की सेफ्टी कैटेगरी (ग्रुप सी) में बड़े पैमाने पर पद खाली पड़े हैं। रेलवे के मुताबिक सेफ्टी कैटेगरी में कुल 959529 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 776762 ऑन रोल पद हैं। आरटीआई के जवाब में रेलवे ने बताया है कि 1 अप्रैल 2022 तक सेफ्टी कैटेगरी में कुल 182767 पद खाली पड़े थे। लंबे वक्त से सेफ्टी कैटेगरी में भर्तियां हुई ही नहीं हैं।

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रेलवे का जवाब

क्या कहती है CAG की ऑडिट रिपोर्ट?

रेलवे की सेफ्टी का काफी हद तक इंजीनियरिंग डिवीजन पर दारोमदार होता है। इस डिवीजन में भी बड़े पैमाने पर पद खाली पड़े हैं। CAG की 2017-18 से लेकर 2020-21 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो इस अवधि में रेलवे के दो जोन, ईस्ट सेंट्रल रेलवे (ECR) और वेस्टर्न रेलवे (WR) में 19-30 फीसदी पद खाली थे। ईस्ट सेंट्रल रेलवे में इस अवधि में ट्रेन बेपटरी होने की 172 घटनाएं हुईं। एक्सीडेंट इंक्वायरी रिपोर्ट्स के मुताबिक 23 फीसदी घटनाओं के लिए ट्रैक का खराब रख-रखाव जिम्मेदार था।

रेल मंत्री ने क्या बताया था?

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा में बताया था कि रेलवे में नॉन गैजेटेड कैटेगरी में कुल 3.12 लाख पद खाली पड़े हैं। सबसे ज्यादा ही नॉर्दन जोन में 38,754 पद रिक्त हैं। इसी तरह वेस्टर्न जोन में 30,476, ईस्टर्न जोन में 30,141 और सेंट्रल जोन में 28,650 रिक्तियां हैं। रेलवे में लोको पायलट के पद भी बड़े पैमाने पर खाली हैं। ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन लगतार यह मसला उठाता है। एसोसिएशन के मुताबिक लोको पायलट के चलते ड्राइवर को शिफ्ट से कहीं ज्यादा काम करना पड़ रहा है और तनाव की चपेट में आ रहे हैं।