नूरजहां (Nur Jahan) मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) की एकमात्र ऐसी महिला रहीं, जिनका नाम सिक्कों पर ढाला गया था। कई इतिहासकार ने नूरजहां के व्यक्तित्व को एक नारीवादी (Feminist) मुगल महारानी (Mughal queen) के रूप में दर्ज किया हैं। नूरजहां ना केवल एक ताकतवर महिला थीं, बल्कि वह कवयित्री, शिकारी और आर्किटेक्ट भी थीं। उन्होंने अपने माता-पिता के मकबरे को खुद डिज़ाइन किया था। ताजमहल (Taj Mahal) की डिजाइन को उन्हीं मकबरों से प्रेरित बताया जाता है। दिलचस्प बात यह कि 17वीं सदी में मुगल राजकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालीं नूरजहां का शाही परिवार से कोई ताल्लुक नहीं था।
कंधार में जन्म, मुगल सैनिक से पहली शादी
इंदु सुंदरेसन की किताब ‘द ट्वेंटिएथ वाइफ’ के अनुसार, नूरजहां का जन्म 31 मई, 1577 को वर्तमान अफगानिस्तान के कंधार में एक कुलीन परिवार में हुआ था। वह अपने पिता मिर्जा गियास बेग और माता अस्मत बेगम की चौथी संतान थीं। माता-पिता उनका नाम मेहर-उन-निसा रखा था।
नूरजहां ने अरबी और फारसी भाषाओं में महारत हासिल की थी। साथ ही कला, साहित्य, संगीत और नृत्य का भी अध्ययन किया था। 1594 में उनकी पहली शादी 17 साल की उम्र में मुगल सेना में एक सैनिक शेर अफगान खान से हुई। शादी के बाद वह अपने पति के साथ बंगाल चली गईं थी। वहीं उन्होंने अपनी इकलौती संतान को 1605 में जन्म दिया।
पति पर जहांगीर के खिलाफ षडयंत्र का लगा आरोप
नूरजहां के पति पर जहांगीर के खिलाफ षडयंत्र करने का आरोप लगा था। जहांगीर ने बंगाल के गवर्नर को आदेश दिया कि कथित षडयंत्रकारी को आगरा के शाही दरबार में पेश किया जाए। बताया जाता है कि शाही दरबार में पेशी से पहले ही नूरजहां के पति गवर्नर के सैनिकों के साथ युद्ध में मारे गए। पति की मौत के बाद नूरजहां को जहांगीर के हरम में भेज दिया गया, जहां उन्होंने जल्द ही अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी। नूरजहां के प्रभाव से जहांगीर भी अछूते न रहे। 1611 में जहांगीर ने नूरजहां से शादी कर ली और इस तरह वह मुगल सम्राट की 20वीं और आखिरी पत्नी बन गयीं। जहांगीर ने ही मेहर-उन-निसा को नूरजहां (लाइट ऑफ द वर्ल्ड) नाम दिया।
शादी के बाद संभाला राजकाज
जहांगीर नूरजहां को एक कुशल सलाहकार और गंभीर कूटनीतिज्ञ मानते थे। शादी के तुरंत बाद से नूरजहां ने राजकाज में अपनी भूमिका दर्ज करानी शुरू कर दी थी। अफीम और शराब की लत के कारण जहांगीर अक्सर अदालती कार्यवाही से गायब रहते थे। यह नूरजहां के लिए अवसर साबित हुआ। एक ऐसे समय में जब महिलाओं को घूंघट में रखा जाता था, नूरजहां अदालती कार्यवाहियों में शामिल होने लगीं। वह शाही दरबार के उन बरामदों में बैठने लगीं जो सिर्फ पुरुषों के लिए आरक्षित थे। शादी के मात्र छह साल बाद 1617 में ढाले गए सोने और चांदी के सिक्कों पर जहांगीर के बगल में नूरजहां का नाम भी छपा होता था।
1626 में जहांगीर को विद्रोही नेता मबहट खान ने बंदी बना लिया था। अपनी चतुर योजना और शारीरिक शक्ति के लिए जानी जाने वाली नूरजहा ने जहांगीर को छुड़ाने के लिए सेना का नेतृत्व किया था। इस घटना के बाद से नूरजहां एक किंवदंती बन गयीं।
जहांगीर की मौत और नूरजहां का अवसान
अक्टूबर 1627 में जहांगीर की मौत के बाद मुगल साम्राज्य के अगले शासक बनें शाहजहां। शाहजहां का जन्म जहांगीर की दूसरी पत्नी जगत गोसांई से हुआ था। गोसांई एक राजपुत राजकुमारी थीं। शाहजहां के सत्ता संभालते ही नूरजहां को उनकी बेटी के साथ लाहौर की एक हवेली में रहने को मजबूर कर दिया गया। वहीं 17 दिसंबर, 1645 को 68 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गयी।