बारिश और यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली के कुछ इलाकों में जलभराव हो गया है। बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील माने जाने वाले नदी के पास के निचले इलाकों में करीब 41,000 लोग रहते हैं। प्रभावित इलाकों में दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लगा दी है।

Delhi Disaster Management Authority (DDMA) ने अभी तक बाढ़ की घोषणा नहीं की है। हालांकि दिल्ली में बाढ़ का इतिहास रहा है। अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान सन् 1924 में दिल्ली बाढ़ से प्रभावित हुई थी।

आजादी के बाद दिल्ली में वर्ष 1977, 1978, 1988, 1995, 2010 और 2013 में बाढ़ आई थी। 1978 में तो हालात ऐसे हो गए थे कि दिल्ली के महारानी बाग, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, जामिया मिल्लिया और ओखला क्षेत्र के लोगों को इलाका खाली करने को कहना पड़ा था। उत्तरी दिल्ली के भी 30 गांवों में बाढ़ घुस गया था।

1978 की बाढ़

5 सितंबर, 1978 को प्रकाशित इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट से पता चलता है कि यमुना नदी पर बने चार पुलों (पुराना रेलवे पुल, वजीराबाद पुल, आयकर कार्यालय के पास का पुल और ओखला का पुल) पर यातायात 48 घंटों के लिए पूरी तरह बंद था। पानी भरने के कारण जीटी रोड से करनाल जाने वाला रास्ता भी बंद करना पड़ा था।

शाह आलम बांध में एक-दो स्थानों पर दरार आने के कारण प्रशासन ने उत्तरी दिल्ली की सात कॉलोनियों के निवासियों को रातों-रात सुरक्षित स्थानों पर चले जाने की चेतावनी दी थी। लद्दाखी बुद्ध विहार के पास नदी रिंग रोड के किनारे से गुजर रही थी।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 43 वर्ग किमी कृषि भूमि 2 मीटर पानी में डूब गई थी, जिससे खरीफ की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। इसके अलावा, उत्तरी दिल्ली के मॉडल टाउन, मुखर्जी नगर, निरंकारी कॉलोनी आदि कॉलोनियों में भारी बाढ़ आई, जिससे संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। फसलों, घरों और सार्वजनिक संपत्ति की कुल क्षति 176.1 मिलियन रुपये आंकी गई थी।

1988 की बाढ़

सितंबर के महीने में यमुना नदी का जसस्तर अचानक बढ़ गया था। मुखर्जी नगर, गीता कॉलोनी, शास्त्री पार्क, यमुना बाजार और लाल किला क्षेत्र जैसे कई गांवों और इलाकों में बाढ़ आ गई। उस वर्ष लगभग 8,000 परिवार प्रभावित हुआ था।

इस साल कई दशकों का रिकॉर्ड टूटा

साल 2013 में यमुना का जलस्तर 207.75 मीटर तक पहुंच गया था। इससे पहले उच्चतम स्तर 1978 में 207.49 मीटर। साल 2010 में 207.11 मीटर दर्ज किया गया था। इस वर्ष (2023) यमुना नदी में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। गुरुवार सुबह जलस्तर 208.48 मीटर की खतरनाक ऊंचाई तक पहुंच गया था। केंद्रीय जल आयोग ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए यह माना की यह पिछले कुछ दशकों की चरम सीमा है।

अभी क्यों आई ऐसी स्थिति?

टाइम्स ऑफ इंडिया ने इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि दिल्ली में यमुना नदी के जलस्तर के बढ़ने के पीछे का मुख्य कारण कम अवधि में भारी बारिश होने को माना जा सकता है। उनका मानना है कि अगर यह बारिश लंबे वक्त में होती तो पानी को निकलने का समय मिल जाता।

सीडब्ल्यूसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी की गति को इसका एक कारण माना। उन्होंने कहा, हमने देखा कि हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को पिछले वर्षों की तुलना में दिल्ली पहुंचने में कम समय लगा। इसका मुख्य कारण अतिक्रमण और गाद हो सकता है। पहले पानी को बहने के लिए अधिक जगह मिलता था। अब, यह एक संकुचित क्रॉस-सेक्शन से होकर गुजरता है।”

पहाड़ों में अतिक्रमण का भी असर

बीबीसी हिंदी ने बायोडायवर्सिटी एक्सपर्ट डॉक्टर फैयाज खुदसर के हवाले से बताया है कि “पहले ऊपरी क्षेत्र में पानी को रोकने की व्यवस्था यानी जंगल, ग्रासलैंड और वेटलैंड आदि खूब होते थे। अब यह कम हो गए हैं। अगर ऊपरी इलाकों में पानी को थामे रहने की क्षमता कम होगी तो निचले इलाकों में पानी तेजी से फैलेगा ही।” यही वजह है कि पहाड़ों में अतिक्रमण, जंगल कटाई आदि के कारण दिल्ली जलमग्न हो रही है।

दिल्ली के बाढ़ क्षेत्र

केन्द्रीय जल आयोग द्वारा तैयार बाढ़ एटलस मानचित्र से दिल्ली के उन क्षेत्रों को पहचाना जा सकता है, जहां बाढ़ का खतरा रहता है। मानचित्र के अनुसार National Capital Territory of Delhi को चार बाढ़ सेक्टरों में बांटा गया है- शहादरा, वजीराबाद – बाबरपुर, अलीपुर – नांगलोई और नजफगढ़।

बाढ़ से सुरक्षित निकलने के लिए क्या करें?

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, “बहते पानी में न चलें, 6 इंच की गहराई वाले बहते पानी में आप गिर सकते हैं। यदि आपको पानी में चलना हो तो वहां चलें जहां पानी बह न रहा हो। अपने आगे जमीन की सतह की मजबूती को जांचने के लिए छड़ी का प्रयोग करें। बाढ़ वाले इलाकों में ड्राइविंग न करें। यदि बाढ़ का पानी आपकी कार के आस-पास जमा हो जाए तो कार को वहीं छोड़ दें। यदि आप ऐसा सुरक्षित रूप से कर सकें तो तुरंत किसी ऊंचे स्थान पर चले जाएं क्योंकि आप और आपका वाहन पानी में तेजी से बह सकता है।”