राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर ‘राष्ट्रपति के आवास’ के परिचय में लिखा है कि यह भारत की शक्ति, इसकी लोकतांत्रिक परंपराओं और पंथनिरपेक्ष स्वरूप का प्रतीक है। हालांकि मोदी सरकार में इस भवन के भीतर कई बदलाव हो चुके हैं।
ऐसे तमाम बदलाव राष्ट्रपति भवन को ‘भारतीय टच’ देने के नाम पर किए जा रहे हैं। औपनिवेशिक युग का इस इमारत में देसी विशेषताओं को धीरे-धीरे शामिल किया गया है।
पिछले कुछ राष्ट्रपतियों द्वारा कमरों का नाम बदल दिया गया है और नए संग्रहालय जोड़े गए हैं। मुगल गार्डन का अमृत उद्यान के रूप में नाम बदलना तो जगजाहिर है, लेकिन अन्य नए नामकरण भी हैं, जिनका कम जिक्र मिलता है।
एक ऐतिहासिक कमरे का नाम बदल दिया गया
वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर ने द इंडियन एक्सप्रेस के अपने साप्ताहिक कॉलम ‘इनसाइड ट्रैक’ में बताया है कि राष्ट्रपति के उस ऐतिहासिक कमरे का नाम बदल दिया गया है, जहां बैठकर ब्रिटिश वकील सिरिल रेडक्लिफ ने जल्दबाजी में भारत और पाकिस्तान की विभाजक रेखा खींची थी। उनके द्वारा मानचित्र पर खींची गई रेखा से तय हुआ था कि कौन सा हिस्सा भारत में रहेगा और कौन पाकिस्तान के हिस्से जाएगा। पहले राष्ट्रपति के उस कमरे को रेडक्लिफ रूम के नाम से जाना जाता था। लेकिन अब कमरे का नाम बदलकर कैबिनेट रूम है। हालांकि वहां न तो प्रधानमंत्री और न ही राष्ट्रपति की कैबिनेट बैठकें होती हैं।
नदियों के नाम पर कमरों के नाम
अंग्रेजों ने राष्ट्रपति भवन के कुछ कमरों का नाम रंगों और दिशाओं के नाम पर रखा था, जैसे- येलो डाइनिंग रूम, ग्रे डायनिंग रूम, नॉर्थ ड्राइंग रूम, गार्डन लॉगिंया, स्टडी आदि। अब इन कमरों का नाम बदलकर भारतीय नदियों, नर्मदा, गोदावरी, सरयू, यमुना, साबरमती आदि के नाम पर रखा गया है।
पूर्व राष्ट्रपति भी भवन पर छोड़ रहे हैं अपनी छाप
हाल के राष्ट्रपतियों ने भी राष्ट्रपति भवन पर अपनी छाप छोड़ी है। प्रणब मुखर्जी ने पुराने कालीनों और टेपेस्ट्री का एक संग्रहालय स्थापित किया और भवन को आम जनता के लिए खोल दिया। इससे पहले, केवल विशेषाधिकार प्राप्त आगंतुकों का ही प्रवेश था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ड्राइंग रूम और स्टेटरूम के नाम बदलने वाले थे, हालांकि वह इस काम को पूरा नहीं कर पाए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गोंड और वरली चित्रों से सुसज्जित एक आदिवासी गैलरी का उद्घाटन किया है। यह पहले रसोई संग्रहालय था, जिसमें राष्ट्रपति भवन की रसोई से पुराने कटलरी और खाना पकाने के बर्तन प्रदर्शित किए जाते थे।