भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि न्यायाधीश के रूप में अपने 23 साल के लंबे करियर में उन्होंने कभी भी किसी दबाव का सामना नहीं किया। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए CJI ने कहा कि इस तरह का कोई भी दबाव केवल मामलों का न्याय करते हुए सही निर्णय लेने की दिशा में होता है।
सीजेआई ने कहा, “इस महीने के अंत तक मुझे जज बने हुए 23 साल हो जाएंगे। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में एक जज के तौर पर मुझे 23 साल हो जाएगा। मुझसे कभी भी किसी ने भी नहीं कहा कि किसी केस में फैसला कैसे करना है। हम कभी अपने सहयोगी जज से भी नहीं पूछते कि वह जिन केस की सुनवाई कर रहे हैं उसमें क्या हो रहा है। हम साथ में कॉफी पीते हैं, लंच करते हैं लेकिन हमने अपने लिए स्पष्ट रेखा खींच रखी है। ये हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा है।”
डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, “मुझ पर कार्यपालिका का कोई दबाव नहीं है। लेकिन हमारे दिमाग पर दबाव होता है। मन पर दबाव होता है। सही समाधान ढूंढने का दबाव होता है। हमें पता है कि हम जो फैसला करते हैं उसका सिर्फ आज नहीं, कल भी असर होता है इसलिए सही समाधान का दबाव होता है। यह सत्य की खोज है।”
सीजेआई ने उदाहरण से समझाई अपनी बात
न्यायपालिका पर सरकार का कोई दबाव नहीं है, इस बात को साबित करने के लिए सीजेआई ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “दबाव का सवाल ही पैदा नहीं होता। चुनाव आयोग वाला जजमेंट देखा, अगर दबाव होता, तो ये जजमेंट आता? हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहां हम सार्वजनिक संस्थानों के प्रति अविश्वासी हो गए हैं। यह बिल्कुल कोई मुद्दा नहीं है। हम लगातार सरकार को जवाबदेह ठहरा रहे हैं।”
स्पष्ट है अधिकार क्षेत्र
जब सीजेआई डीवाई से जब पूछा गया क्या कुछ विशेष केस में भी सरकार का दबाव नहीं होता? इस सवाल के जवाब में कार्यपालिका, न्यायापालिका और विधायिका का अधिकार क्षेत्र के बारे में बताते हुए सीजेआई ने कहा, “दबाव का सवाल ही नहीं होता। हमारे संविधान में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सेपेरशन ऑफ पावर स्पष्ट है। सबका अपना अधिकार क्षेत्र है।”