केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के पतंजलि अनुसंधान संस्थान यानी पीआरआई को करीब 2 महीने पहले 4.32 करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट सौंपा था। इस प्रोजेक्ट के तहत गंगा के किनारे पुष्प विविधता पर रिसर्च करना था।

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जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) ने 23 दिसंबर 2022 को अपनी बैठक में पतंजलि को प्रोजेक्ट आवंटित करने का फैसला लिया था। हालांकि जिस वक्त प्रोजेक्ट आवंटित किया गया था, उस वक्त यही नहीं किया गया था कि इस प्रोजेक्ट के इंटेलेक्चुअल राइट्स (Intellectual Rights) किसके पास होंगे। केंद्र सरकार का इस पर अधिकार होगा या पतंजलि का? 

2 महीने बाद सरकार ने किया ‘भूल सुधार’

अब पतंजलि को प्रोजेक्ट आवंटित हुए 2 महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद मंत्रालय ने इस मसले पर स्पष्टीकरण जारी किया है। सूत्रों के मुताबिक पिछले 2 महीने से इस मसले पर जल शक्ति मंत्रालय में मंथन चल रहा था और कई स्तर की बातचीत के बाद यह तय किया गया है कि इस पूरे प्रोजेक्ट के इंटेलेक्चुअल राइट्स (Intellectual Rights) पर केंद्र सरकार का अधिकार होगा। नमामि गंगे मिशन ने इससे जुड़ा एक ‘भूल सुधार’ (Corrigendum) भी जारी कर दिया है।

अक्टूबर में NMCG और पतंजलि के बीच हुआ था MOU

आपको बता दें कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और बाबा रामदेव के पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट के बीच 31 अक्टूबर 2022 को अर्थ गंगा के प्रचार-प्रसार और उसको धरातल पर उतारने के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ था।

बाद में हरिद्वार स्थित पतंजलि ग्रुप के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण ने समिति को सूचित किया था कि इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत फाइटोकेमिकल का विश्लेषण, गंगा किनारे फूलों पर रिसर्च और पौधरोपण जैसे तमाम पहलुओं पर काम किया जाएगा।

18 महीने के लिए है प्रोजेक्ट

पतंजलि ग्रुप को प्रोजेक्ट सौंपने के बाद NMCG के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा था कि कार्यकारी समिति (EC) ने 4,32,36,107 रुपये की अनुमानित लागत पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान (PRI) और पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान (PoRI) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने यह भी बताया था कि यह प्रोजेक्ट 18 महीने की अवधि का है।