केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (Union Minister for Road Transport and Highways) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया है कि उनके पास डी.लिट (D.Liit) की चार उपाधि है। उन्हें सभी उपाधि देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने दी है।
‘मैं किसान हूं’
प्राइवेट न्यूज चैनल ‘आजतक’ को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुद को किसान बताया है। दरअसल न्यूज चैनल पर बजट 2023-24 को लेकर चर्चा हो रही थी। एंकर ने केंद्रीय मंत्री से पूछा कि बजट में ‘किसानों की दोगुनी आय’ को लेकर कोई बात नहीं की गई।
इसके जवाब में नितिन गडकरी ने कहा कि, “मैं किसान हूं। आपको पता नहीं मुझे चार डी.लिट मिली है। और चारों प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से मिली है। पहला डी.लिट पंजाब के बहुत बड़े यूनिवर्सिटी डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ (अकोला) से मिला है। दूसरा महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (राहुरी), तीसरा बाबासाहेब आंबेडकर यूनिवर्सिटी (औरंगाबाद) और चौथा नांदेड़ से मिला है।”
गडकरी आगे कहते हैं, “मैं किसानों के बीच ही अपना काम करता हूं। मैं मुंबई में रोड और टनल बनाने लगा तो, लोगों को उसी का पता है। डायवर्सिफिकेशन ऑफ एग्रीकल्चर टुवर्ड्स एनर्जी एंड पावर सेक्टर मेरा मिशन है। इससे प्रदूषण भी कम होगा। रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा।”
‘दोगुनी हो चुकी है किसानों की आय’
इंटरव्यू में नितिन गडकरी ने कहा कि, “मेरे पास डाटा नहीं है लेकिन मैं अपनी नॉलेज के आधार पर कहूंगा कि किसानों की आय दोगुनी हो चुकी है। 2014 में किसानों की जितनी आय थी, वह अब दोगुनी हो चुकी है।”
बजट में किसानों को लेकर कोई विशेष घोषणा न किए जाने और किसान सम्मान निधि की राशि न बढ़ाए जाने के सवाल पर गडकरी ने कहा कि, “इंडिविजुअल बेनिफिट पॉलिटिक्स, ये इडली पात्र बांटो, मिक्सी बांटो, पैसा बांटो हम नहीं करते। मैं वॉटर रिसोर्स मंत्री था। 27 झगड़े थे राज्यों के बीच में। इसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल जैसे कई राज्य शामिल थे। 19 झगड़े मैंने निपटा दिए। बताइए इससे किसका फायदा हुआ।”
‘एक एकड़ में 85 टन गन्ना’
नैनो यूरिया का फायदा बताते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि उनके एक एकड़ खेत से 85 टन गन्ने की पैदवार हुई है। वह कहते हैं, “पहले एक एकड़ में चार बोरी यूरिया लगता था। हम नैनो यूरिया लेकर आए। वह एक एकड़ में दो बोरी लगता है। पहले यूरिया का 75 प्रतिशत बेकार चला जाता था। अब 75 प्रतिशत पौधों को जाता है और 25 प्रतिशत ही बेकार होता है। अब जो यह दो बोरी का पैसा बचा, उससे किसान को ही तो फायदा हुआ। हमारा मकसद प्रति एकड़ का खर्च कम करना और अच्छी कीमत देकर किसानों का लाभ बढ़ाना है।”