केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (Union Minister for Road Transport and Highways) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने हाल में अपने टीवी खरीदने का एक अनुभव साझा किया। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम Express Adda में एक्सप्रेस ग्रुप के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका (Anant Goenka) और नेशनल ओपिनियन एडिटर वंदिता मिश्रा (Vandita Mishra) से बातचीत में बताया है कि कैसे दुकानदार ने उन्हें मंत्री होने की वजह से टीवी नहीं बेचा था।

जब टीवी खरीदने गए नितिन गडकरी

साल 1995 की बात है। महाराष्ट्र में मनोहर जोशी की सरकार थी। नितिन गडकरी राज्य सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री (PWD minister) थे। उन्हीं दिनों उन्हें एक टीवी खरीदनी थी। Express Adda पर यह किस्सा साझा करते हुए गडकरी बताते हैं, ”मैं मालाबार हिल स्थित एक टीवी की दुकान पर गया। मैंने दुकानदार को कहा कि मुझे इंस्टॉलमेंट टीवी खरीदनी है। मैंने टीवी पसंद किया। इतने में उसे पता चला कि मैं मंत्री हूं।”

मंत्री रहने की वजह से नहीं मिली टीवी!

नितिन गडकरी बताते हैं कि जैसे ही उसे पता चला कि मैं मंत्री हूं। उसने कहा कि अभी आप थोड़ा इंतजार कर लीजिए, नया पीस आने के बाद आपको टीवी भेजता हूं। मैं चला गया। लेकिन उसने टीवी नहीं भेजी। गडकरी कहते हैं, ”शायद दुकानदार को शंका थी कि मैं इंस्टॉलमेंट पर टीवी लूंगा तो पता नहीं पैसा दूंगा या नहीं दूंगा। मंत्री से किश्त वसूलना मुश्किल हो सकता है।” इस तरह नितिन गडकरी मंत्री होते हुए भी उस वक्त टीवी से वंचित रह गए।

क्यों सुनाया यह किस्सा?

दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी यह किस्सा इसलिए सुनाते हैं क्योंकि इसी से उन्हें पीपीपी (Public–private partnership) मॉडल पर आधारित पहली पहली सड़क परियोजना (पुणे-भिवंडी बाईपास) की प्रेरणा मिली थी।

गडकरी बताते हैं कि मुझे टीवी तो कभी नहीं मिला। लेकिन अनुभव ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर लोग किस्तों पर टीवी या कार खरीद सकते हैं, तो सड़कें और सुरंगें क्यों नहीं बन सकतीं। हमने कॉन्सेप्ट पर काम किया और प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी। बिल्ड ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी) पर यह पहली सड़क परियोजना थी और पीपीपी लोकप्रिय हुई।