India Russia Crude Oil Trade: रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाते हुए देश के लिए सस्ता क्रूड ऑयल का इंतजाम किया था। जिस समय कई देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे थे, भारत ने सूझबूझ दिखाते हुए रूस के साथ अपने रिश्ते को और ज्यादा मजबूत किया था। देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लगातार सस्ते तेल का आयात किया गया। लेकिन वहीं सस्ता तेल अमेरिका को सबसे ज्यादा चुभ रहा है।
अमेरिका कभी नहीं चाहता कि भारत अपनी तेल की आपूर्ति रूस से पूरी करे। वो तो कई सालों से कोशिश कर रहा है कि भारत तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिका की तरफ ही देखे। बाइडेन के राष्ट्रपति रहते हुए भी यह विवाद उठा था, तब भी धमकियों का दौर चला था। अब राष्ट्रपति ट्रंप के दौर में भी वही सब देखने को मिल रहा है। सबसे ज्यादा मिर्ची इसी बात की है कि भारत आखिर रूस से क्यों तेल आयात कर रहा है।
भारत क्योंकि अभी तक इस मामले में झुका नहीं है, ऐसे में अमेरिका भी अपनी अलग-अलग थ्योरियां लगातार गढ़ रहा है। इसी कड़ी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकार स्टीफन मिलर ने भारत पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने भारत पर यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध को फाइनेंस करने का आरोप लगा दिया। ट्रंप के सलाहकार का कहना है कि भारत लगातार रूस से तेल आयात कर रहा है और इसके कारण रूस को मदद मिल रही है। अब जब इस तरह के आरोप लगने लगे हैं, जानना जरूरी हो जाता है कि असल में भारत रूस से कितना तेल आयात करता है?
भारत रूस से कितना तेल आयात करता है?
अब इसका सीधा जवाब है कि भारत पहले रूस से ज्यादा तेल आयात नहीं करता था। उसकी जरूरतें पूरी करने के लिए मिडिल ईस्ट के दूसरे देश मौजूद थे। कई सालों तक भारत ने अपनी तेल की आपूर्ति ईराक और सऊदी अरब के जरिए पूरी की है। लेकिन 2023 में जब रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ, पूरी दुनिया में तेल सप्लाई बाधित हुई, चिंता भारत के लिए थी- कहीं तेल की कीमतों में भारी उछाल ना आ जाए, कहीं पेट्रोल-डीजल के दाम सातवें आसमान पर ना पहुंच जाएं।
उस समय तक भारत, रूस से ना के बराबर तेल ले रहा था, कुल आपूर्ति का 0.2 फीसदी सिर्फ वहां से आ रहा था। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद एक बड़ा शिफ्ट देखने को मिला और समय भारत का 40 फीसदी तेल रूस से आने लगा। नीचे दी गई टेबल से आसानी से समझा जा सकता है कि भारत इस समय अपनी तेल की आपूर्ति को कैसे पूरा कर रहा है और रूस उसमें कितनी बड़ी भूमिका निभा रहा है-
देश | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 |
रूस | 2.10% | 19.10% | 33.40% | 35.10% |
ईराक | 24.50% | 20.70% | 20.70% | 19.10% |
सऊदी | 18.30% | 17.90% | 15.60% | 14.00% |
यूएई | 10.00% | 10.40% | 6.40% | 9.70% |
कुवेत | 6.10% | 4.90% | 3.10% | 2.80% |
यूएस | 8.90% | 6.30% | 3.60% | 4.60% |
मेक्सिको | 3.00% | 1.80% | 1.30% | 1.10% |
कोलंबिया | 1.60% | 1.00% | 1.40% | 1.30% |
मलेशिया | 0.90% | 0.80% | 2.00% | 0.50% |
नाइजीरिया | 7.60% | 3.70% | 2.40% | 2.20% |
ईरान | 0.00% | 0.00% | 0.00% | 0.00% |
वेनेजुएला | 0.00% | 0.00% | 0.60% | 1.00% |
अन्य | 17.00% | 13.40% | 9.50% | 8.60% |
अब ऊपर दी गई टेबल से समझ आता है कि 2021-22 तक तो भारत, रूस से काफी कम तेल आयात करता था, कुल आंकड़े का वो सिर्फ 2.10 फीसदी था। इसके बाद 2022-23 में आंकड़ा बढ़कर 19.10% पहुंचा और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध ने तो सारे समीकरण बदल दिए और आंकड़ा सीधे 33.40% तक चला गया। 2024-25 की बात करें तो भारत ने रूस से 35.10% तेल आयात किया है।
इसी तरह अगर नजर ईराक और सऊदी जैसे देशों पर डालेंगे तो वहां से किसी जमाने में भारत सबसे ज्यादा तेल आयात कर रहा था। उदाहरण के लिए 2021-22 में भारत की कुल तेल आपूर्ति का 24.50% हिस्सा ईराक ने पूरा किया था, उसी साल सऊदी ने भी भारत की 18.30% जरूरत को पूरा किया। लेकिन 2024-25 की बात करें तो स्थिति पलट चुकी है, ईराक का हिस्सा सिर्फ 19.10% रह गया है तो वहीं सऊदी भी 14.00% पर सिमट गया।
जिस अमेरिका को सबसे ज्यादा मिर्ची लग रही है, उससे तो भारत ने अपने तेल की आपूर्ति काफी कम पूरी की है। कहाजा सकता है कि भारत इस मामले में अमेरिका पर बिल्कुल भी निर्भर नहीं है। आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं और कहा जा सकता है कि इसी वजह से अमेरिका नाराज भी है। 2021-22 में अगर अमेरिका से भारत की तेल की 8.90% पूरी हो रही थी, 2024-25 तक वो आंकड़ा सिर्फ 9.70% रह चुका है।
भारत का कितना बड़ा तेल बाजार?
असल में 11 लाख करोड़ रुपए का पेट्रोल-डीजल भारत हर साल दूसरे देशों से खरीद रहा है। इसके ऊपर बात जब तेल खपत की आती है, चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे नंबर पर आता है। इसके ऊपर भारत का 80 फीसदी तेल दूसरे देशों से आता है, इसी वजह से हर देश चाहता है कि भारत उससे ही तेल खरीदे। इसी वजह से माना जा रहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस 11 लाख करोड़ रुपए को पूरी तरह अपनी झोली में चाहते हैं, वे चाहते हैं कि भारत की तेल की जितनी भी मांग है, वो सिर्फ अमेरिका के जरिए पूरी हो।
क्या अमेरिका से तेल खरीदेगा भारत?
अमेरिका से तेल आयात करने में भारत को एक बड़ी चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर चल रहा है, उस वजह से अगर डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भविष्य में भारत को कोई सहूलियत या रियायत नहीं दी गई तो भारत का व्यापार घाटा बढ़ता जाएगा और आने वाले समय में जबरदस्त महंगाई का सामना करना पड़ेगा।
ये भी पढ़ें- भारत रूस से तेल खरीदना कम करेगा?