Ajit Pawar vs Sharad Pawar Maharashtra election 2024: महाराष्ट्र के चुनाव में महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) के बीच सरकार बनाने को लेकर चल रही लड़ाई के अलावा एक और सियासी रण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुटों के बीच भी चल रहा है। अजित पवार के गुट वाली एनसीपी महायुति (जिसमें बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना भी शामिल हैं) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है जबकि शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के साथ चुनावी समर में अपने विरोधियों से दो-दो हाथ कर रही है।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और इन दिनों चुनाव प्रचार चरम पर है। नेताओं की बयानबाजी के कारण भी चुनाव में राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है। जैसा हमने देखा कि उद्धव गुट के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत के द्वारा शिवसेना शिंदे गुट की उम्मीदवार शाइना एनसी के खिलाफ दिए गए बयान को लेकर अच्छा खासा राजनीतिक युद्ध छिड़ गया है। विवाद बढ़ने के बाद हालांकि अरविंद सावंत ने माफी मांग ली है।
महाराष्ट्र की राजनीति में मौजूदा वक्त में शरद पवार ही सबसे तजुर्बेकार और सीनियर नेता हैं। लेकिन पवार को एक बड़ा झटका तब लगा था जब उनके भतीजे अजित पवार ने पार्टी के कई विधायकों को तोड़कर बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ हाथ मिला लिया था। इसके बदले में उन्हें महायुति की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। तब यह माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजों पर इसका असर दिखेगा और अजित गुट की एनसीपी अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और MVA में शामिल एनसीपी (शरद पवार) ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया।
लोकसभा चुनाव 2024 में एनसीपी को मिली सिर्फ 1 सीट
अजित से गठबंधन तोड़ने की मांग
खराब प्रदर्शन के बाद अजित पवार के खिलाफ महायुति में बड़े पैमाने पर आवाज भी उठी। बीजेपी के अंदर कई नेताओं ने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़े कई स्वयंसेवकों ने कहा कि बीजेपी को अजित पवार के साथ गठबंधन तोड़ देना चाहिए।
चाचा-भतीजे के नेतृत्व वाली एनसीपी ने पूरा जोर पश्चिम महाराष्ट्र में लगाया हुआ है। अजित गुट की एनसीपी ने शरद पवार से बगावत करने वाले अपने ज्यादातर मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है जबकि एनसीपी (शरद पवार) ने ज्यादातर नए लोगों को चुनाव मैदान में उतारा है।
पवार परिवार में सियासी वार
पवार परिवार के बीच सबसे बड़ी लड़ाई बारामती में देखने को मिलेगी जहां अजित पवार के सामने उनके भतीजे युगेंद्र पवार चुनाव लड़ रहे हैं। युगेंद्र पवार अजित पवार के भाई श्रीनिवास के बेटे हैं। बारामती की सीट अजित पवार का गढ़ है क्योंकि वह 1991 से अब तक लगातार विधानसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान भी पवार परिवार में जबरदस्त लड़ाई देखने को मिली थी जब अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में सुप्रिया सुले को जीत मिली थी।
दोनों गुटों के बीच कुछ और सीटों पर बड़ी लड़ाई है। इनमें इंदापुर पर अजित पवार के करीबी दत्तात्रेय भरणे शरद पवार गुट के नेता हर्षवर्धन पाटिल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। हर्षवर्धन पाटिल इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं।
तासगांव-कवठे महांकाल में पूर्व कैबिनेट मंत्री आरआर पाटिल के बेटे रोहित एनसीपी (शरद पवार) के उम्मीदवार हैं और वह पूर्व सांसद संजय काका पाटिल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। आरआर पाटिल से अजित पवार की पुरानी राजनीतिक लड़ाई है।
छगन भुजबल और शिंदे के बीच मुकाबला
नासिक जिले में भी एनसीपी के दोनों गुट एक-दूसरे से भिड़ते दिखाई देंगे। येओला विधानसभा सीट पर महाराष्ट्र की राजनीति में ओबीसी चेहरे और कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल और एनसीपी (शरद पवार) के उम्मीदवार और मराठा नेता माणिकराव शिंदे के बीच बड़ा चुनावी मुकाबला हो रहा है। बताना होगा कि महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी समुदाय के बीच आरक्षण के मामले में खींचतान चल रही है।
इसी तरह मराठवाड़ा की परली सीट पर एनसीपी के नेता और शिंदे सरकार में कृषि मंत्री धनंजय मुंडे का मुकाबला एनसीपी (शरद पवार) के नेता राजेश साहब देशमुख से है।
सना मलिक-फहद अहमद हैं आमने-सामने
दोनों राजनीतिक दलों के बीच अणुशक्ति नगर में भी रोचक चुनावी मुकाबला देखने को मिल रहा है। अजित पवार की एनसीपी ने यहां से सना मलिक को टिकट दिया है। सना मलिक महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक की बेटी हैं जबकि शरद पवार ने समाजवादी पार्टी के नेता फहद अहमद को उम्मीदवार बनाया है। फहद अहमद सिने अदाकारा स्वरा भास्कर के पति हैं।
महाराष्ट्र के चुनाव में राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस बात पर भी है कि शरद पवार और अजित पवार के बीच चुनावी लड़ाई में कौन किस पर भारी पड़ता है? लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि बगावत के बाद भी शरद पवार ने अपनी पार्टी को मजबूती से खड़ा किया है और पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में वह आज भी बड़ी सियासी ताकत हैं।
अजित पवार के सामने लोकसभा चुनाव के खराब प्रदर्शन से बाहर निकलकर खुद को साबित करने की चुनौती है। अगर विधानसभा चुनाव में भी उनका प्रदर्शन खराब रहा तो यह माना जाएगा कि चाचा से बगावत करने का उनका राजनीतिक फैसला गलत साबित हुआ है।
जब महाराष्ट्र में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) आमने-सामने आ गए थे तो शरद पवार ने ही इस लड़ाई को खत्म किया था। शरद पवार ही MVA के शिल्पकार हैं। अगर उनकी पार्टी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही तो निश्चित रूप से महाराष्ट्र की राजनीति में यह साबित होगा कि शरद पवार उम्र में ज्यादा होने के बावजूद भी अपने भतीजे अजित पवार पर भारी हैं।