हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने ऐलान किया है कि वह राज्य में 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेगी लेकिन किसान संगठनों पर इस ऐलान का कोई ज्यादा असर नहीं दिखाई देता।
मुख्यमंत्री सैनी ने यह ऐलान विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से कुछ महीने पहले किया है। किसान नेताओं और राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि 24 में से लगभग 10 फसलें ऐसी हैं जो राज्य में बड़े पैमाने पर नहीं उगाई जाती।
किसानों की नाराजगी से हुआ नुकसान
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का जो खराब प्रदर्शन रहा है, उसके पीछे किसानों के गुस्से को प्रमुख वजह माना गया है। किसानों की मांग है कि एमएसपी को लेकर कानूनी गारंटी दी जाए लेकिन अभी तक उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई है।
किसानों को गुमराह करने की कोशिश: हुड्डा
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि नायब सिंह सैनी सरकार का यह ऐलान किसानों को गुमराह करने की बीजेपी की एक और कोशिश है। जबकि किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर ने सवाल उठाया है कि राज्य सरकार ने किस आधार पर यह ऐलान किया है।
हुड्डा ने कहा कि एमएसपी पर खरीद का फैसला केंद्र द्वारा किया जाता है और राज्य सरकार को ऐसी घोषणा करने का कोई अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार को किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देनी चाहिए। हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह की घोषणाएं सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखते हुए कर रही है लेकिन किसान उसके झांसे में नहीं आएंगे।
सैनी सरकार के द्वारा सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद का ऐलान करने के बाद, उनकी सरकार ने कहा है कि इस ऐलान के अंतर्गत आने वाली अतिरिक्त फसलें- रागी (वैज्ञानिक नाम- एलुसीन कोराकाना), सोयाबीन, काला बीज (सौंफ़), जूट, खोपरा (कोपरा), मूंग, नाइजर बीज, सूरजमुखी (सूरजमुखी), जौन (जौ), और ज्वार (ज्वार) होंगी।
गेहूं, सरसों, जौ, चना, धान, मक्का, बाजरा, कपास, सूरजमुखी, मूंग, मूंगफली, अरहर, उड़द और तिल जैसी फसलें वर्तमान में हरियाणा की 367 ‘अनाज मंडियों (अनाज बाजार)’ में एमएसपी पर खरीदी जाती हैं। राज्य सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक, हरियाणा में खेती योग्य जमीन 3,694 हेक्टेयर है, जिसमें से 3,351 हेक्टेयर में बुआई की जाती है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि वह अन्य राज्य सरकारों से भी आगे आने और एमएसपी पर फसल खरीदने की अपील करते हैं।
किसान नेता पंढेर ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि बजट में एमएसपी पर खरीद के लिए कोई प्रावधान क्यों नहीं किया गया। पंढेर ने कहा, ‘अन्य राज्य और केंद्र सरकारें ऐसी घोषणाएं क्यों नहीं कर रही हैं? यदि हरियाणा सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद को लेकर गंभीर है तो उसे इसे लागू करने के लिए जरूरी पैसे और इंतजाम के बारे में बताना चाहिए।’ पंढेर ने कहा कि आने वाले हफ्तों में केवल धान की ही खरीद होगी।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि भाजपा सरकार को इस संबंध में विधानसभा में कानून लाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘एमएसपी को लेकर की जा रही हमारी मांग के कारण ही सरकार जागी है और उसने यह घोषणा की है।’
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
123.65 करोड़ खर्च करेगी सरकार
किसान संगठनों की आशंकाओं को खारिज करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) डॉ. राजा शेखर वेंद्रू ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा की गई घोषणा का मुख्य उद्देश्य राज्य में बोई जाने वाली अधिकतम फसलों को एमएसपी की सूची में शामिल करना है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में भी राज्य में जो फसलें पैदा होंगी, उनकी खरीद भी एमएसपी पर हो। इस खरीद पर सरकार को करीब 123.65 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
हरियाणा के कृषि निदेशक (सेवानिवृत्त) सुरेश गहलावत ने फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था में मौजूद खामियों पर बात की। उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, वर्तमान में सरसों की खरीद एमएसपी पर की जाती है और प्रति एकड़ में इसकी पैदावार लगभग आठ क्विंटल होती है। यदि कोई किसान 15 एकड़ में सरसों बोता है तो 120 क्विंटल पैदावार होती है। लेकिन सरकार ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल के जरिये प्रतिदिन केवल 25 क्विंटल की खरीद करती है, जिससे किसानों को पांच दिन तक खरीद केंद्र पर जाना पड़ता है।
वह कहते हैं कि यही हाल सूरजमुखी की फसल का भी है। दूसरी ओर, कपास की कीमतें अधिक मिलती हैं क्योंकि निजी कंपनियां इसे खरीदती हैं। गेहूं, धान और मक्का मुख्य फसलें हैं जिन्हें सरकार बड़े पैमाने पर एमएसपी पर खरीदती है।