7 अक्टूबर 1862 की उस सुबह दिल्ली नींद में ऊंघ रही थी। लोगों को पता भी नहीं था कि उनके बादशाह को निर्वासित कर दिया गया है। तड़के 3 बजे ही अंग्रेज अफसरों ने आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) को नींद से जगाया गया और फौरन तैयार होने को कह दिया। 4 बजे के करीब बहादुर शाह जफर एक बैलगाड़ी पर अपने माल असबाब के साथ दिल्ली से रंगून (Rangoon) के लिए रवाना हुए। उनके साथ महज उनकी बीवी और दो बच्चे रह गए थे, मिर्जा शाह अब्बास और जवांबख़्त।
2 बच्चों के साथ रंगून भेजे गए थे बहादुर शाह जफर
बहादुर शाह ज़फ़र (Last Mughal Emperor Bahadur Shah Zafar) के साथ कुल 31 लोग थे, जिनमें उनकी कुछ रखैलें और कुछ नौकर भी थे। अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर के निर्वासन को बहुत गुप्त रखा था, ताकि दिल्ली वालों को पता न लग जाए। बहादुर शाह जफर के साथ एक घुड़सवार तोपखाना और तीन पालकी में अंग्रेजी अफसर व सैनिक थे। मशहूर इतिहासकार विलियम डैलरिंपल अपनी किताब ‘द लास्ट मुगल’ (The Last Mughal) में लिखते हैं कि सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि बहादुर शाह जफर को भी इसका अंदाजा नहीं लग पाया। उन्हें खुद नहीं पता था कि रंगून भेजा जा रहा है।
बहादुर शाह जफर की 4 शादियों से 47 औलादें थीं
देश निकाला (निर्वासन) से पहले बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar) पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत के आरोप में लंबा मुकदमा चला था। बहादुर शाह जफर ने कुल 4 शादियां की थीं और उनकी कुल 47 औलादें थीं, 16 बेटे और 31 बेटियां। इसके अलावा कई कनीज (रखैलें) भी थीं। जफर का सबसे आखरी लड़का तब पैदा हुआ, जब उनकी उम्र 70 साल की थी।
बेटों का क्रूरता से कर दिया गया था कत्ल
विलियम डेलरिंपल (William Dalrymple) लिखते हैं कि बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) के 16 लड़कों में से ज्यादातर को अंग्रेजी हुकूमत ने मुकदमा चलाकर फांसी दे दी थी। 3 को तो बिल्कुल सामने से गोली मार दी गई थी। पहले उनके हथियार लिए गए, फिर नंगा होने का हुक्म दे दिया गया और गोली मार दी गई।
ऐसा लग रहा था जैसे पिंजरे में कैद जानवर हों…
निर्वाचन से पहले बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) को नुमाइश के लिए लिए रखा गया। डैलरिंपल एक ब्रिटिश अफसर के हवाले से लिखते हैं कि बहादुर शाह जफर, ‘कैदखाने में बंद जानवर की तरह दिखाए जा रहे थे…। टाइम्स के पत्रकार विलियम हार्वर्ड रसेल भी उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने निर्वासन से पहले बहादुर शाह जफर को देखा था। वे लिखते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के तमाम आरोपों से इतर बहादुर शाह जफर एक बुझती हुई रौशनी की तरह लग रहे थे, उनकी आंखें कुछ ढूंढ रही थीं। नीचे का होंठ लटका था और मसूड़े साफ नजर आ रहे थे।
आपको बता दें कि बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar Last Days) का इंतकाल रंगून में ही हुआ था और अंग्रेजों ने वहीं उन्हें दफना दिया था। जफर की मौत की खबर करीब पखवाड़े भर बाद भारत पहुंची थी।