कुरुक्षेत्र से सांसद नवीन जिंदल के हिसार में आयोजित किए गए अभिनंदन समारोह में शामिल होने के बाद हरियाणा की राजनीति में सवाल उठ रहा है कि क्या जिंदल परिवार हिसार से विधानसभा का टिकट मांग सकता है? नवीन जिंदल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका हिसार से विशेष लगाव है और जब उन्होंने इस बार कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ा तो हिसार के लोगों ने उनका पूरा समर्थन किया।

विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर नवीन जिंदल ने कहा कि इसका फैसला बीजेपी हाईकमान करेगा और पार्टी जो भी निर्णय करेगी हम उसका सम्मान करेंगे। नवीन जिंदल ने कहा कि जब भी हिसार की सेवा का मौका मिलेगा जिंदल परिवार उसको अपना सौभाग्य मानेगा।

चूंकि नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल हिसार से विधायक रही हैं, ऐसे में वह हिसार से टिकट मांग सकती हैं। हिसार सीट से वर्तमान में डॉ. कमल गुप्ता विधायक हैं। डॉ. गुप्ता नायब सिंह सैनी सरकार में मंत्री हैं।

टिकट मांग रहे बीजेपी नेता

यहां याद दिलाना होगा कि पिछले कुछ दिनों में हरियाणा में बीजेपी के कई नेताओं ने खुलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। केंद्रीय राज्य मंत्री और गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव ने ऐलान कर दिया है कि वह इस बार विधानसभा का चुनाव जरूर लड़ेंगी, चाहे बीजेपी टिकट दे या न दे।

इसके अलावा बादशाहपुर विधानसभा से टिकट मांग रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह भी टिकट की परवाह किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।

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किरण चौधरी और आरती सिंह राव। (Source-FB)

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अब साढ़े तीन महीने का ही वक्त बचा है और ऐसे में बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे को लेकर मुश्किल खड़ी हो सकती है। दूसरी ओर कांग्रेस हरियाणा मांगे हिसाब अभियान चलाकर उसे घेर रही है।

लोकसभा चुनाव के नतीजे भी बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे हैं।

राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीटलोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट
कांग्रेस 15131 05
बीजेपी 47740105

देश की सबसे अमीर महिला हैं सावित्री जिंदल

बताना होगा कि जिंदल परिवार देश के बेहद अमीर घरानों में से एक है। सावित्री जिंदल भारत की सबसे अमीर महिला हैं और उनकी कुल संपत्ति 33 अरब डॉलर से ज्यादा है।

नवीन जिंदल के पिता ओपी जिंदल को स्टील किंग के नाम से जाना जाता था। नवीन जिंदल जिंदल स्टील के अध्यक्ष हैं और उनके परिवार के बाकी लोग भी कारोबार संभालते हैं।

कुछ ही घंटे में मिल गया था लोकसभा का टिकट

नवीन जिंदल के रसूख को इससे समझा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव से पहले जब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की थी तो कुछ ही घंटे के भीतर पार्टी ने उन्हें कुरुक्षेत्र से लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया था। उन्होंने लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस और आप गठबंधन के उम्मीदवार सुशील गुप्ता को नजदीकी मुकाबले में हराया था। उनकी जीत का अंतर सिर्फ 29 हजार वोटों का रहा था।

नवीन जिंदल 2004 और 2009 में भी कुरुक्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। तब वह कांग्रेस से चुनाव जीते थे।

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नायब सिंह सैनी के कंधों पर बीजेपी को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। (Source-NayabSainiOfficial)

जिंदल परिवार का हिसार से है पुराना नाता

हिसार लोकसभा क्षेत्र में जिंदल परिवार की सियासी सक्रियता लंबे वक्त से है। नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल और उनके पिता ओपी जिंदल हिसार से विधायक रह चुके हैं। ओपी जिंदल और सावित्री जिंदल भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

2014 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद सावित्री जिंदल ने राजनीति से दूरी बना ली थी लेकिन इस लोकसभा चुनाव में नवीन जिंदल को बीजेपी से टिकट मिलने और जीत के बाद जिंदल परिवार फिर से राजनीति में सक्रिय हुआ है।

नवीन जिंदल के हिसार में सक्रिय होने और टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी हाईकमान के फैसले का सम्मान करने के बयान के बाद पार्टी के बाकी दावेदारों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि जिंदल और उनके समर्थकों की ओर से यह संदेश दे दिया गया है कि जिंदल की हिसार में सक्रियता यूं ही नहीं है।

बीजेपी के लिए टिकट बंटवारा बन सकता है चुनौती

अहीरवाल के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत सिंह मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने के बाद खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। बीजेपी को विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह की बेटी और उनके समर्थकों को टिकट बंटवारे को लेकर संतुष्ट करना होगा, वरना अहीरवाल में पार्टी के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है।

हिसार में नवीन जिंदल के सक्रिय होने का मतलब है कि नवीन जिंदल या तो खुद चुनाव मैदान में उतरेंगे या वह अपने समर्थकों को टिकट दिए जाने का दबाव बना सकते हैं क्योंकि जिंदल परिवार का हिसार और कुरुक्षेत्र में अच्छा सियासी आधार है। इसलिए पार्टी को नवीन जिंदल की सियासी मांगों का भी ध्यान रखना होगा।