जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से भारी तबाही हुई है, अभी तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। कई अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। अब इस भीषण त्रासदी के बीच एक सवाल उठता है- आखिर जम्मू कश्मीर में मौसम इतना कैसे बिगड़ सकता है। पिछले कुछ सालों में कई लोगों की जान गई है, बेमौसम बारिश की वजह से बाढ़ आई है, कई इलाकों में लैंडस्लाइड तक देखने को मिली है, लेकिन इस सब का कारण क्या है?

अब जानकर खुलकर एक्सट्रीम वेदर को तो सिर्फ इसके लिए जिम्मेदार नहीं मानते हैं, लेकिन वे इतना जरूर कहते हैं कि फ्लैश फ्लड और जंगलों में लगने वाली आग काफी आम बात हो चुकी है। इसके अलावा जिस तरीके से दुनिया का तापमान लगातार बढ़ रहा है, इसने भी मौसम में बड़े परिवर्तन किए हैं।

मौसम की वजह से कश्मीर में कितनी मौतें?

एक स्टडी के मुताबिक 2010 से 2022 के बीच तक जम्मू कश्मीर में एक्सट्रीम वेदर की 2863 घटनाएं देखने को मिली थीं, यहां भी 552 लोगों की मौत हो गई थी। इन 12 सालों में तेज आंधी, बिजली का गिरना और भारी बारिश कई बार देखने को मिली। अब इन 12 सालों में जम्मू कश्मीर में फ्लैश फ्लड की 168 घटनाएं देखने को मिली हैं, वही भूस्खलन की 186 घटनाएं हुई हैं, इसके अलावा भारी बर्फबारी की 42 घटनाएं हुई हैं, उनमें 182 लोगों ने अपनी जान गंवाई।

किस कारण से बदल रहा कश्मीर का मौसम?

अब जानकार जम्मू कश्मीर में इस बदलते मौसम के तीन कारण मानते हैं- पहले रहा तापमान का बढ़ना, दूसरा रहा वेस्टर्न डिस्टरबेंस और तीसरा रहा जम्मू कश्मीर की टोपोग्राफी। वैसे जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरे पहाड़ी राज्यों में भी बादल फटने से भारी तबाही हुई है। धराली की घटना कोई भूला नहीं है जहां कई लोग आज भी लापता बताए जा रहे हैं।

क्या होता है Cloudburst?

बादल फटना भारी बारिश की गतिविधि को कहते हैं। हालांकि, बहुत भारी बारिश की सभी घटनाएं बादल फटना नहीं होतीं। बादल फटने की एक बहुत ही विशिष्ट परिभाषा है: लगभग 10 किमी x 10 किमी क्षेत्र में एक घंटे में 10 सेमी या उससे अधिक बारिश को बादल फटने की घटना के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार, उसी क्षेत्र में आधे घंटे की अवधि में 5 सेमी बारिश को भी बादल फटने की श्रेणी में रखा जाएगा। बादल फटने की घटना के दौरान, किसी स्थान पर एक घंटे के भीतर वार्षिक वर्षा का लगभग 10% वर्षा हो जाती है। औसतन, भारत में किसी भी स्थान पर एक साल में लगभग 116 सेमी वर्षा होने की उम्मीद की जा सकती है।

बादल फटना कितना आम है?

बादल फटना कोई असामान्य घटना नहीं है, खासकर मानसून के महीनों में। ये घटनाएं ज़्यादातर हिमालयी राज्यों में होती हैं जहां स्थानीय स्थलाकृति, विंड सिस्टम और निचले व ऊपरी वायुमंडल के बीच टेम्परेचर ग्रेडिएंट ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देते हैं। हालाँकि, हर घटना जिसे बादल फटना कहा जाता है, वास्तव में परिभाषा के अनुसार बादल फटना नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये घटनाएँ काफी लोकल होती हैं। ये बहुत छोटे क्षेत्रों में होती हैं जहां अक्सर बारिश मापने वाले उपकरण नहीं होते।

Alind Chauhan के इनपुट के साथ