प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन को 26 मई, 2023 को नौ वर्ष पूरे हो गए। इस मौके पर बीजेपी सरकार की उपलब्‍ध‍ियों को जन-जन तक पहुंचाने के ल‍िए अभ‍ियान चला रही है। इन उपलब्‍ध‍ियों में प्रधानमंत्री जन-धन योजना भी अहम है।

नरेंद्र मोदी पहली बार जब 2014 में प्रधानमंत्री बने तो उसी साल 15 अगस्‍त को लाल क‍िले से उन्‍होंने ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ (PMJDY) शुरू करने की घोषणा की थी। करीब पखवाड़े भर बाद ही इस पर अमल हो गया और 28 अगस्‍त को उन्‍होंने इसकी शुरुआत कर दी थी। ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ (PMJDY) का लक्ष्‍य सभी लोगों को बैंक‍िंग सेवा से जोड़ना था।

योजना के तहत चार साल में साढ़े सात करोड़ बैंक खाते खोलने का लक्ष्‍य रखा गया। यह आंकड़ा कुछ ही महीनों में पूरा हो गया। 17 मई, 2023 के आंकड़े के मुताब‍िक इस योजना के तहत 49.03 करोड़ लोगों के खाते खोले जा चुके थे। 31 जनवरी, 2015 के आंकड़ों से इसकी तुलना करें तो करीब चार गुना (391 प्रत‍िशत) ज्‍यादा खाते खोले गए।

जन-धन योजना: 17 मई, 2023 की स्‍थ‍ित‍ि

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 17 मई, 2023 तक खोले गए खातों की संख्या

31 जनवरी, 2015 की र‍िपोर्ट यह थी

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 31.01.2015 तक खोले गए खातों की संख्या

प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत करोड़ों लोग पहली बार बैंक‍िंग सेवा से जुड़े। नीचे के ग्राफ से समझा जा सकता है क‍ि कैसे साल-दर-साल जन-धन-योजना के तहत खुलने वाले बैंक खातों की संख्‍या बढ़ती चली गई।

अगस्त 2015 से 2022 के बीच प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खातों की संख्या

जब बैंकों पर लगा था खातों को न‍िष्‍क्र‍िय होने से बचाने के ल‍िए अपनी ओर से पैसे जमा करने का आरोप

जन-धन योजना के तहत तेजी से खाते तो खोल द‍िए गए, पर बड़ा खतरा खातों के न‍िष्‍क्र‍िय होने का था। 2016 में द इंड‍ियन एक्‍सप्रेस अखबार ने आरटीआई से म‍िली जानकारी और अपनी पड़ताल के आधार पर एक र‍िपोर्ट छापी थी।

श्‍यामलाल यादव और जय मजूमदार की इस र‍िपोर्ट में बताया गया था क‍ि बैंक मैनेजर्स पर दबाव बनाया गया क‍ि वे अपनी-अपनी ब्रांच में ‘जीरो बैलेंस खाता’ की संख्‍या घटाएं। इसका तरीका यह न‍िकाला गया क‍ि बैंकों ने अपनी ओर से ऐसे खातों में एक-एक रुपया जमा क‍िया। आरटीआई के हवाले से बताया गया था क‍ि 34 बैंकों में 1.05 करोड़ खाते ऐसे थे ज‍िनमें केवल एक रुपया जमा था। कुछ खातों में दो रुपये या पांच रुपये भी थे।

भोपाल के पास रत‍िबाद में प्रेम बाई का खाता ऐसा था ज‍िसमें 10 जुलाई, 2016 को दस पैसे ट्रांसफर क‍िए गए थे। स‍ितंबर 2014 में जीरो बैलेंस वाले खाते 76 फीसदी थे, जो अगस्‍त 2015 में 46 प्रत‍िशत और 31 अगस्‍त, 2016 को 24.35 प्रत‍िशत रह गया था।

न‍िष्‍क्र‍िय खातों की संख्‍या

2021 में व‍ित्‍त मंत्रालय ने बताया था क‍ि उस साल 28 जुलाई तक 5.82 करोड़ जनधन खाते इनऑपरेट‍िव हैं। यह कुल खातों का 14 प्रत‍िशत बताया गया था। 5.82 करोड़ डॉरमैंट खातों में से 2.02 करोड़ (करीब 35 फीसदी) मह‍िलाओं के थे।

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए सक्र‍िय खातों की संख्या

आरबीआई की एक र‍िपोर्ट के मुताब‍िक अगस्‍त 2022 में 46.25 करोड़ जन-धन खातों में से 81.2 प्रत‍िशत ऑपरेट‍िव थे। 2017 में यह आंकड़ा 76 फीसदी था। केवल 8.2 प्रत‍िशत खातों में जीरो बैलेंस था।

र‍िजर्व बैंक ऑफ इंड‍िया (आरबीआई) के द‍िशान‍िर्देशों के मुताबि‍क जब दो साल तक क‍िसी खाते में कोई लेनदेन (जमा या न‍िकासी) न हो तो उसे इनऑपरेट‍िव या डॉरमैंट माना जाता है।

जमा रकम आठ साल में 7.5 गुना बढ़ी

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खातों में जमा रकम (सोर्स: पीआईबी)

जन-धन खातों में जमा रकम आठ साल में 7.5 गुना बढ़ी है। अगस्‍त 2015 में 22901 करोड़ रुपए जमा बताया गया था, जो अगस्‍त 2022 में 173954 करोड़ रुपए हो गए। साल दर साल जमा रकम का ब्‍योरा इस ग्राफ में देख सकते हैं।