आखिरकार 17 महीने जेल में रहने के बाद दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बाहर आ ही गए। सिसोदिया के बाहर आने पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जश्न तो मनाया है लेकिन एक सवाल यह खड़ा हुआ है कि क्या आम आदमी पार्टी की सरकार उन्हें दिल्ली सरकार में फिर से मंत्री बना पाएगी या नहीं?

मनीष सिसोदिया की रिहाई ऐसे वक्त में हुई है, जब हरियाणा में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं और 6 महीने के भीतर दिल्ली में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया की रिहाई से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को कितनी मदद मिलेगी?

बताना होगा कि कथित आबकारी घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी लंबे वक्त से जेल में हैं। सिसोदिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जल्द ही अरविंद केजरीवाल भी जेल से बाहर आएंगे।

इस साल अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी सुप्रीम कोर्ट ने कथित आबकारी घोटाले में जमानत दे दी थी। संजय सिंह को 6 महीने तक जेल में रहना पड़ा था।

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Source- PTI)

सीबीआई और ईडी ने किया था गिरफ्तार

कथित आबकारी मामले में 2022 में सीबीआई की ओर से एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद पहले सीबीआई के द्वारा और उसके दो हफ्ते बाद एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) के द्वारा सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोनों ही मामलों में जमानत दे दी है लेकिन चूंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीबीआई के द्वारा कथित आबकारी घोटाले में दर्ज किए गए मामले में जेल में हैं इसलिए किसी भी नए मंत्री या उपमुख्यमंत्री को नियुक्त नहीं किया जा सकता।

दिल्ली सरकार के एक सीनियर अफसर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मनीष सिसोदिया को मंत्री परिषद में शामिल करने और उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद दिए जाने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री को उप राज्यपाल की मंजूरी के लिए अपने सचिवालय में एक प्रस्ताव लाना होगा।

दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री का पद भी खाली है लेकिन इसका प्रभार भी सिसोदिया को सौंपे जाने की शर्त यही है कि मुख्यमंत्री को प्रस्ताव पेश करना होगा लेकिन चूंकि वह जेल में हैं, इसलिए ऐसा प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।

संविधान विशेषज्ञ एसएन साहू ने इस मामले में टीओआई से बातचीत में कहा कि किसी मंत्री को कैबिनेट में शामिल करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और वह जब चाहें अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर जेल मैनुअल मुख्यमंत्री को किसी फाइल पर हस्ताक्षर करने से रोकता है तो केजरीवाल अदालत जा सकते हैं।’

जबकि पूर्व विधानसभा सचिव एसके शर्मा कहते हैं कि सिसोदिया के खिलाफ चल रहा मामला उनके मंत्री बनने की राह में रोड़ा बन सकता है और एलजी केजरीवाल की सिफारिश वापस भेज सकते हैं और मंत्रिपरिषद में शामिल करने के लिए किसी अन्य विधायक का नाम मांग सकते हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कौन करेगा आप की अगुवाई? (Source-PTI)
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कौन करेगा आप की अगुवाई? (Source-PTI)

आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि मनीष सिसोदिया की पत्नी की तबीयत सही नहीं है इसलिए ऐसा हो सकता है कि वह कुछ वक्त के लिए उनके स्वास्थ्य पर ध्यान दें।

आम आदमी पार्टी के एक नेता ने बताया कि हालांकि सिसोदिया पार्टी की बैठकों में जरूर शामिल होंगे लेकिन चूंकि उनके पास मंत्री पद नहीं होगा, इसलिए वह आधिकारिक बैठकों का हिस्सा नहीं बन पाएंगे और अभी उनकी प्राथमिकता अपने परिवार को देखने की होगी। पार्टी के एक नेता ने कहा कि मनीष सिसोदिया जल्द ही अपने विधानसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे। सिसोदिया पटपड़गंज विधानसभा सीट से विधायक हैं।

सिसोदिया ने जब दिल्ली सरकार से इस्तीफा दिया था तो उनकी जगह आतिशी को उनके विभाग दिए गए थे। सिसोदिया के पास तब कुल 18 विभाग थे और इनमें शिक्षा, वित्त और पीडब्ल्यूडी जैसे अहम मंत्रालय शामिल थे।

पार्टी में नंबर दो के चेहरे हैं सिसोदिया

भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी का गठन 26 नवंबर 2012 को हुआ था। 2013 में पहली बार जब पार्टी ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा, तब पार्टी के पास अरविंद केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया ही ऐसे चेहरे थे जिन्हें लोग पहचानते थे।

सिसोदिया लंबे वक्त तक पत्रकार रहे हैं और उसके बाद एनजीओ के जरिए भी वह सामाजिक कार्य करते रहे हैं। पिछले कुछ सालों में उन्होंने दिल्ली से बाहर निकलकर पंजाब, गुजरात, गोवा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया है।

जब अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी मामले में जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया था तो सिसोदिया ही दिल्ली सरकार के कामकाज सहित आम आदमी पार्टी के संगठन से जुड़ा काम भी देख रहे थे। अब जब वह बाहर आ गए हैं तो उनके सामने पहली चुनौती हरियाणा और फिर दिल्ली का विधानसभा चुनाव है।

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आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल।

हरियाणा और दिल्ली में संभाल सकते हैं चुनाव प्रचार की कमान

आम आदमी पार्टी ने फरवरी, 2022 में पंजाब का चुनाव जीतने के बाद हरियाणा का विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ने का ऐलान किया था और उसे उम्मीद थी कि हरियाणा से लगते हुए दोनों राज्यों- दिल्ली और पंजाब में उसकी सरकार होने के कारण और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मूल रूप से हरियाणा का होने के कारण पार्टी यहां अच्छा प्रदर्शन कर सकती है लेकिन चूंकि केजरीवाल जेल में हैं, इसलिए इसका असर हरियाणा में पार्टी के कार्यकर्ताओं पर दिखाई दे रहा था।

लेकिन मनीष सिसोदिया हरियाणा और उसके बाद दिल्ली में पार्टी के लिए बड़े स्तर पर प्रचार कर सकते हैं। आने वाले कुछ दिनों में सिसोदिया फ्रंट फुट पर आकर पार्टी की चुनावी कमान संभाल सकते हैं।

सिसोदिया को आम आदमी पार्टी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने वाला शिक्षा मंत्री बताती है और कहती है कि उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से शानदार बना कर दिखाया है। सिसोदिया को एक तरह से आम आदमी पार्टी का थिंक टैंक भी माना जाता है, जो पार्टी के बड़े फैसलों और योजनाओं को बनाने और उन्हें अमलीजामा पहनाने का काम करते हैं।

अदालत ने की अहम टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते वक्त कुछ अहम टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने कहा है कि निष्पक्ष सुनवाई के लिए आरोपी को अन्य दस्तावेजों के साथ ही ‘अविश्वसनीय दस्तावेजों’ को देखने से नहीं रोका जा सकता है। मनीष सिसोदिया के वकीलों का दावा है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों को दोषमुक्त करने वाले दस्तावेजों को ‘अविश्वसनीय दस्तावेजों’ की श्रेणी में डाल रहा है।

यह मामला अदालत के सामने तब आया जब एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि मुकदमे में देरी हो रही है। सिसोदिया ने इन ‘अविश्वसनीय दस्तावेजों’ को देखे जाने का अनुरोध करते हुए अदालत में कई बार आवेदन किया था।

ईडी शुरूआत में इस पर विचार करने के लिए सहमत हो गयी थी लेकिन बाद में उसने तकनीकी कठिनाइयों का हवाला देते हुए दस्तावेजों को साझा करने से इनकार कर दिया था।

अभियुक्तों और कई गवाहों ने कथित आबकारी घोटाले में इन अविश्वसनीय दस्तावेज़ों की डिजिटल फॉर्मेट में मांग की है। इनमें ईडी के द्वारा दर्ज किए गए बयान, व्हाट्सएप चैट और छापे के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज शामिल हो सकते हैं।

अभियुक्त जानकारी हासिल करने के लिए इन ‘अविश्वसनीय दस्तावेज’ की जांच कर सकता है और इससे अभियोजन पक्ष के लिए मुश्किल पेश आ सकती है। ये दस्तावेज बेहद अहम साबित हो सकते हैं।

आम आदमी पार्टी लगातार इस बात को दोहराती रही है कि कथित आबकारी घोटाला पूरी तरह से फर्जी है और इसमें केजरीवाल, सिसोदिया, संजय सिंह सहित अन्य नेताओं को गलत तरीके से फंसाया गया है। आम आदमी पार्टी अदालत के द्वारा की गई अहम टिप्पणियों को अपनी दलील के रूप में पेश कर सकती है।