…कोई नहीं जानता था महात्‍मा गांधी को। पहली बार जब ‘गांधी’ फ‍िल्‍म बनी तब दुन‍िया में क्‍योर‍िस‍िटी हुई क‍ि अच्‍छा ये कौन आया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक टेलीव‍िजन चैनल को इंटरव्‍यू में यह बात कही। इसके बाद उनकी तीखी आलोचना हो रही है।

प्रधानमंत्री के बयान के ल‍िए कांग्रेस ने भी उन्‍हें आड़े हाथ ल‍िया और सोशल मीड‍िया पर भी लोग तरह-तरह से तंज कस रहे हैं। एबीपी चैनल को द‍िए गए प्रधानमंत्री के इंटरव्‍यू में से यह क्‍ल‍िप सोशल मीड‍िया पर खूब शेयर हो रहा है। 

पर, क्‍या वास्‍तव में र‍िचर्ड एटनबरो की फ‍िल्‍म ‘गांधी’ (1982) आने से पहले महात्‍मा गांधी दुन‍िया में प्रस‍िद्ध नहीं थे? ऐसा ब‍िल्‍कुल नहीं है।
दुन‍िया भर में मशहूर और प्रत‍िष्‍ठ‍ित अमेर‍िकी पत्र‍िका ‘टाइम’ ने 1931 में पांच जनवरी के अंक में महात्‍मा गांधी को कवर पेज पर छापा था और “Saint Gandhi”: Man of the Year 1930 हेडलाइन से उन पर कवर आर्ट‍िकल ल‍िखा था। टाइम पत्र‍िका ने इससे पहले कभी क‍िसी भारतीय के ल‍िए ‘संत’ शब्‍द का प्रयोग नहीं क‍िया था। 

इससे पहले 31 मार्च, 1930 और बाद में 30 जून, 1947 के अंक में भी टाइम पत्रि‍का ने महात्‍मा गांधी को अपने कवर पेज पर छापा था और उनके बारे में लेख ल‍िखे थे।

कई फेमस मैगजीन में छपे थे महात्मा गांधी पर लेख

उस जमाने की एक और नामी पत्र‍िका थी ‘लाइफ’। इसमें भी 25 मार्च, 1946 को गांधी की तस्‍वीर और उनके ऊपर आलेख छपा था। 9 फरवरी, 1948 को ‘टाइम’ की प्रत‍िद्वंद्वी मानी जाने वाली पत्र‍िका ‘न्‍यूजवीक’ ने भी कवर पेज पर महात्‍मा गांधी को छापा। उनकी हत्‍या के कुछ ही द‍िन बाद न‍िकले पत्रि‍का के इस अंक में महात्‍मा गांधी के बारे में बताते हुए लेख ल‍िखा गया था, ज‍िसका शीर्षक था- INDIA: After Gandhi, What? जाह‍िर है, 30 जनवरी (1948) को हुई उनकी हत्‍या की खबर तो देश-दुन‍िया के तमाम अखबारों और पत्र‍िकाओं में थी ही।

जब गांधी ने ठुकरा द‍िया था चार्ली चैपल‍िन से म‍िलने का न्‍योता

1931 में जब महात्‍मा गांधी गोलमेज सम्‍मेलन के ल‍िए लंदन गए थे तो वहां हर क्षेत्र के द‍िग्‍गज लोग उनसे म‍िलने के ल‍िए बेताब थे। फ‍िल्‍म जगत के द‍िग्‍गज भी। जबक‍ि, गांधी की फ‍िल्‍मों में कोई रुच‍ि नहीं थी। गांधी ने अपने एक सहयोग बृजकृष्‍ण चांदीवाला को ल‍िखे खत में एक घटना का ज‍िक्र करते हुए बताया था गौहर जान ने उन्‍हें 12 हजार रुपये नकद देने की पेशकश की थी। शर्त यह थी क‍ि गांधी उनका गाना सुनने के ल‍ि‍ए आएं। गौहर जान उस जमाने की मशहूर म्‍यूज‍िक स्‍टार थीं।

गांधी को ऐसे कई अनुरोध आते थे। उसी दौरान अपनी फ‍िल्‍म के प्रचार के ल‍िए लंदन आए चार्ली चैपल‍िन ने भी उनसे म‍िलने की भरपूर कोश‍िश की थी। उनके अनुरोध को भी गांधी ने पहले ठुकरा द‍िया था, लेक‍िन क‍िसी करीबी के समझाने पर वह उनसे म‍िलने के ल‍िए राजी हुए थे। इस मुलाकात का ज‍िक्र चार्ली चैपल‍िन के बेटे ने प‍िता की जीवनी में भी क‍िया है।

‘कई पीढ़‍ियों तक पैदा नहीं हुई इतनी प्रभावशाली शख्सियत

गांधी की हत्‍या के बाद अमेर‍िका के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपत‍ि हैरी एस. ट्रूमैन ने जो संवेदना संदेश भेजा था, उसमें उन्‍होंने गांधी को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर का नेता बताया था और कहा था क‍ि उनकी सोच ने करोड़ों लोगों को प्रभाव‍ित क‍िया। गांधी की हत्‍या पर ‘लंदन टाइम्‍स’ ने उनके ल‍िए ल‍िखा था- भारत में गांधी से पहले कई पीढ़‍ियों तक इतनी प्रभावशाली शख्सियत पैदा नहीं हुई।

मार्ट‍िन लूथर क‍िंग जून‍ियर भी महात्‍मा गांधी से बेहद प्रभाव‍ित थे। 1950 में हॉवर्ड यून‍िवर्स‍िटी के प्रेस‍िडेंट एम. जॉनसन जब अपनी भारत यात्रा का अनुभव सुना रहे थे तो जून‍ियर बड़े प्रभाव‍ित हुए थे। जॉनसन ने आंदोलन के ल‍िए गांधी के अह‍िंसात्‍मक तरीके का ज‍िक्र क‍िया था।

गांधी के इस रास्‍ते को मार्ट‍िन लूथर क‍िंग जून‍ियर ने तुरंत इसे आत्‍मसात कर ल‍िया था और कहा था, ‘यीशू ने हमें जो रास्‍ता द‍िखाया, भारत में गांधी ने यह साब‍ित करके द‍िखाया क‍ि उस रास्‍ते पर चल कर मंज‍िल पाई जा सकती है।’ बाद में क‍िंग जून‍ियर ने गांधी को ‘आधुन‍िक युग का महानतम ईसाई’ तक कह द‍िया था।

पीएम के आरोप पर कांग्रेस का जवाब

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर महात्‍मा गांधी को व‍िश्‍वव‍िख्‍यात बनाने के ल‍िए कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया, जबक‍ि कांग्रेस ने कहा क‍ि वे (भाजपाई) 75 साल से गांधी नाम के व‍िचार को खत्‍म करने की पुरजोर कोश‍िश कर रहे हैं। इसके ल‍िए लगातार गांधी के हत्‍यारे व साज‍िशकर्ताओं का साथ दे रहे हैं। इसके बावजूद उन्‍हें गांधी के व‍िचार को खत्‍म करने में कामयाबी नहीं म‍िल रही है।

बड़ा सवाल: गांधी को जानने वाले उन्‍हें मानते क‍ितना हैं?

गांधी को जानने से ज्‍यादा जरूरी है उन्‍हें मानना। उन्‍हें नहीं मानने वाले अपने ही देश में थे। तभी अह‍िंंसा के पुजारी बापू को गोल‍ियों का श‍िकार होकर जान गंवानी पड़ी।