साल 2023 में जिन 52 देशों में चुनाव हुए उनमें से छह ऐसे हैं जहां की संसद में पांच से कम महिला सांसद हैं। ओमान में तो एक भी नहीं है। संसद में महिलाओं की भागीदारी के मामले में बीते एक साल में कोई प्रगति नहीं हुई है। एक जनवरी, 2024 को एक साल पहले की तुलना में महिला सांसदों का प्रतिशत केवल 0.4 ज्यादा (26.9 प्रतिशत) रहा।
2023 में 52 देशों में 66 चैंबर्स के लिए चुनाव हुए। इनमें से 32 चैंबर्स में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा, जबकि 19 में कम हो गया और 15 में या तो बराबर रहा या एक प्रतिशत से भी कम का अंतर आया। इन चैंबर्स में महिला सांसदों का कुल प्रतियेशत 27.6 रहा, जो एक साल पहले 26.9 था।
2023 में जिन देशों में चुनी गईं कम महिला सांसद

2023 में इन देशों में महिला सांसदों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा रही

भारत का हाल
2019 के लोकसभा चुनाव में 78 महिलाएं जीत हासिल कर संसद पहुंची थीं। इनमें से 12 महिला नेता तीन या उससे अधिक बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं थीं। भारतीय जनता पार्टी से 5 महिला सांसद ऐसी थीं जो तीन से अधिक बार चुनाव जीतीं थीं। भाजपा नेता मेनका गांधी रिकॉर्ड 8 बार चुनाव जीत कर संसद पहुंची थीं। आइये जानते हैं उन दिग्गज महिला सांसदों के बारे में जिन्होंने बनाया जीत का रिकॉर्ड।
तीन या उससे ज्यादा बार जीत कर 2019 में सांसद बनी महिलाओं का परिचय
मेनका गांधी- मेनका गांधी उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं। वह चार सरकारों में मंत्री रही हैं। मेनका गांधी मई 2014 से मई 2019 तक मोदी सरकार में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं। इससे पहले वह 2014-19 में पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा सदस्य रहीं थीं। अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत मेनका ने 1984 में राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़कर की थी। इस चुनाव में वह 2.7 लाख वोटों से हार गयी थी।
इस चुनाव में वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उतरी थीं। 1989-91 में वह पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जनता दल के टिकट पर जीतीं थीं। 1996-98 में वह पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतीं थीं। 1998-99 में वह पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीतीं थीं। 1999-2004 में एयक बार फिर वह पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीतीं थीं। 2004-09 में मेनका गांधी पीलीभीत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीतीं थीं। 2009-14 में वह आंवला लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुनी गईं। 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीत के बाद फिलहाल वह सुल्तानपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं।

सोनिया गांधी- कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से 5 बार लोकसभा चुनाव जीतीं हैं। फरवरी 2024 में सोनिया गांधी ने स्वास्थ्य और उम्र का हवाला देते हुए 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उन्होंने राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। सोनिया गांधी 20 फरवरी 2024 को राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुनी गईं। 1991 में पति राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस नेताओं ने पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। पार्टी के बहुत अनुरोध के बाद वह 1997 में राजनीति में शामिल होने के लिए सहमत हुईं। 1999 में सोनिया गांधी ने बेल्लारी (कर्नाटक) और अमेठी (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी। जिसके बाद उन्होंने अमेठी का प्रतिनिधित्व करना चुना। 2004 के चुनाव में उन्होंने रायबरेली लोकसभा सीट से जीत हासिल की। जिसके बाद से वह लगातार रायबरेली सीट से चुनाव जीतती रहीं। सोनिया गांधी 2004 से 2024 तक रायबरेली सीट से सांसद रहीं।
भावना गवली- भावना गवली यवतमाल-वाशिम लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वह शिवसेना से पांच बार सांसद रही हैं। भावना 1999 से इस निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं। वह वर्तमान में महाराष्ट्र की सबसे वरिष्ठ संसद सदस्य हैं, जिनका 25 वर्ष से अधिक का कार्यकाल है।
संगीता सिंह देव- संगीता बोलांगीर, ओडिशा से 5 बार सांसद रही हैं। संगीता ने 1998, 1999 और 2004 में बोलांगीर लोकसभा सीट जीती। वह 2009 में और फिर 2014 में अपने ही परिवार के एक सदस्य से चुनाव हार गईं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल कर संगीता सिंह देव वर्तमान में बोलांगीर से सांसद हैं।
रमा देवी- रमा शिवहर, बिहार से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं। वह पहली बार 1998-1999 में राजद के टिकट पर मोतिहारी, बिहार से सांसद बनीं। 2009 में रमा देवी शिवहर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर सांसद चुनी गईं थीं। वह 2014 में तीसरी बार शिवहर से सांसद बनीं। 2019 में चौथी बार जीत कर उन्होंने शिवहर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
परनीत कौर- पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर वर्तमान में पटियाला से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं। कांग्रेस के टिकट पर परनीत ने 4 बार पटियाला निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। फरवरी 2023 में, उन्हें भाजपा नेता और अपने पति अमरिंदर सिंह का समर्थन करने के लिए कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने 1999, 2004 और 2009 का चुनाव जीता था लेकिन 2014 के चुनाव में वह अपनी सीट हार गईं। 2019 में परनीत कौर ने भाजपा के टिकट पर पटियाला लोकसभा सीट जीतकर वापसी की।
दर्शना जरदोश- दर्शना गुजरात के सूरत निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह भारतीय जनता पार्टी से तीन बार की सांसद रही हैं। दर्शना 2009, इसके बाद 2014 और 2019 मेंसूरत सीट से जीत हासिल कर संसद पहुंचीं।
हर सिमरत कौर बादल- वह बठिंडा, पंजाब से शिरोमणि अकाली दल की लोकसभा सांसद हैं। हर सिमरत के पति सुखबीर सिंह बादल पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष हैं। हर सिमरत ने कुछ किसान संबंधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में 17 सितंबर 2020 को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। हर सिमरत कौर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2009 के आम चुनाव से की थी जब वह बठिंडा निर्वाचन क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं। इसके लिए उन्हें मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बठिंडा से लगातार तीसरी बार निर्वाचित हुईं।
सुप्रिया सुले- एनसीपी के संस्थापक शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) से वर्तमान में बारामती का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह 2009 से लगातार बारामती से सांसद हैं। 2014 और 2019 के चुनाव में भी उन्होंने बारामती से जीत दर्ज की थी। इससे पहले उन्होंने 2006 से 2009 तक महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्य किया था। सुप्रिया 3 बार सांसद रह चुकी हैं।
माला राज्य लक्ष्मी शाह– माला राज्य लक्ष्मी शाह उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं। माला 3 बार सांसद रह चुकी हैं। वह उप-चुनाव में 15वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं और उत्तराखंड में भाजपा राज्य संसदीय बोर्ड की सदस्य हैं। उन्होंने उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार साकेत बहुगुणा को हराया था। माला राज्य लक्ष्मी शाह टिहरी शाही परिवार के वंशज मनबेंद्र शाह की बहू हैं। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड के गठन के बाद से वह राज्य से लोकसभा के लिए चुनी गई पहली महिला हैं।