लोकसभा चुनाव 2024 में परिवारवाद को लेकर बिहार में बहस लगातार तेज हो रही है। बिहार में लालू प्रसाद यादव अक्सर परिवारवाद को लेकर बीजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निशाने पर रहे हैं। लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने 15 साल तक बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। जबकि उनके बेटे तेजस्वी यादव दो बार राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे हैं और बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में जब राजद ने मीसा भारती को पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से और रोहिणी आचार्य को सारण से टिकट दिया तो एक बार फिर परिवारवाद का मुद्दा सामने आया।
जनसत्ता.कॉम ने जब रोहिणी आचार्य से परिवारवाद को लेकर उनके सामने चुनाव लड़ रहे राजीव प्रताप रूडी के हवाले से पूछा कि रूडी आरोप लगा रहे हैं कि सारण में एक परिवार-एक खानदान से चुनावी लड़ाई चल रही है तो वह उन्हें क्या जवाब देंगी। इस सवाल के जवाब में रोहिणी आचार्य ने कहा कि मुंह छुपा कर भागे हुए हैं यह लोग और परिवारवाद का मुखौटा पहन कर घूम रहे हैं।
रोहिणी आचार्य ने कहा कि बीजेपी के उम्मीदवार यहां लोगों से मिलने क्यों नहीं आ रहे हैं, क्यों भागे हुए हैं। क्या सारण में बीजेपी के पास कोई और कार्यकर्ता नहीं था, क्या सिर्फ राजीव प्रताप रूडी ही बीजेपी के नेता हैं जिन्हें बार-बार चुनाव लड़ने का मौका दिया जा रहा है। रोहिणी आचार्य कहती हैं कि बीजेपी के लोग जनता को उल्लू बनाने आ रहे हैं लेकिन बिहार की जनता उल्लू नहीं है।
बीजेपी, जेडीयू में परिवारवाद
बीजेपी दूसरे राजनीतिक दलों पर परिवारवाद का आरोप लगाती है। लेकिन बिहार में बीजेपी ने कुछ ऐसे नेताओं को प्रत्याशी बनाया है जिन पर परिवारवाद की छाप है। जैसे- मधुबनी से बीजेपी ने सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव को, पश्चिमी चंपारन से पूर्व सांसद मदन जायसवाल के बेटे संजय जायसवाल को, पूर्व सांसद राम नरेश सिंह के बेटे सुशील कुमार सिंह को और नवादा से सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को टिकट दिया है।
अगर बीजेपी की साथी जेडीयू की बात करें तो पूर्व मंत्री विद्यनाथ महतो के बेटे सुनील कुमार, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी को उम्मीदवार बनाया गया है।

Chirag Paswan LJP: 5 में से तीन सीटों पर परिवारवाद की छाप
चिराग पासवान की पार्टी को बिहार में एनडीए गठबंधन के तहत कुल 5 सीटें मिली हैं। लेकिन इनमें से तीन सीटों पर ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन पर परिवारवाद का आरोप लगता है। चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान बड़े दलित नेता थे और कई बार हाजीपुर से सांसद रहने के अलावा भारत सरकार में मंत्री भी रहे थे। चिराग पासवान खुद हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो अपनी पार्टी लोक जनशक्ति (रामविलास) से उन्होंने शांभवी चौधरी को टिकट दिया है।
शांभवी चौधरी समस्तीपुर सीट से चुनाव लड़ रही हैं। शांभवी के पिता अशोक चौधरी नीतीश सरकार में मंत्री हैं। शांभवी के दादा महावीर चौधरी बिहार में कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे थे।
शांभवी चौधरी से जब जनसत्ता.कॉम ने सवाल पूछा कि समस्तीपुर में चुनाव के दौरान ऐसा कहा जा रहा है कि राजनीति में अपने परिवार के लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है और आपके क्षेत्र में परिवारवाद का मुद्दा सामने आ रहा है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उनका जो अपना व्यक्तित्व है वह भी सामने आता है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ उनके पापा ही उनके लिए प्रचार कर रहे हैं। शांभवी कहती हैं कि आप जिस भी परिवार से आते हैं और जिस पारिवारिक माहौल में आप पले-बढ़े हैं, वह आपके जीवन के फैसलों में भी दिखाई देता है और जो काम माता-पिता करते हैं, उसका असर बच्चों पर पड़ता है।
लेकिन राजनीति में भाई भतीजावाद ज्यादा हाईलाइट होता है क्योंकि आप पब्लिक लाइफ में होते हैं और लोगों को लगता है कि उन्हें आपके ऊपर कमेंट करने का अधिकार है।

चिराग बोले- काबिलियत जरूरी
जनसत्ता.कॉम ने जब चिराग पासवान से सवाल पूछा कि लोक जनशक्ति (रामविलास) को लेकर कई लोग यह कहते हैं कि यह परिवारवाद को आगे बढ़ाने वाली पार्टी है। इसके जवाब में चिराग ने कहा कि किसी बड़े व्यक्तित्व का बेटा या बेटी होना आपके लिए सौभाग्य की बात हो सकती है। सौभाग्य से आपको मौका मिल सकता है लेकिन काबिलियत ही आपको आपकी मंजिल तक लेकर जाती है।
चिराग आगे कहते हैं कि अगर हैवीवेट सरनेम होना ही सब कुछ होता तो लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से दो बार चुनाव नहीं हारतीं। अगर आपमें काबिलियत है, क्षमता है तो ही आप आगे बढ़ेंगे, नहीं है तो आपका कुछ नहीं होगा।
Arun Bharti Jamui: जीतने की योग्यता के आधार पर दिया जीजाजी को टिकट
चिराग कहते हैं कि उनकी पार्टी में अगर परिवारवाद की बात करें तो यह पिछली बार से काफी कम हुआ है क्योंकि उनके परिवार के ही लोग उन्हें छोड़कर चले गए हैं।
जब टिकट बंटवारे को लेकर सवाल पूछा गया तो चिराग ने कहा कि उनके जीजाजी अरुण भारती जमुई से चुनाव लड़ रहे हैं। चिराग ने कहा कि चुनावी राजनीति में जीत का पैमाना सबसे अहम है और इसी वजह से अरुण भारती को लोकसभा का टिकट मिला है क्योंकि पार्टी इस बात का सर्वे कराती है कि कौन सा नेता चुनाव जीत सकता है और जीतने की योग्यता के आधार पर ही अरुण भारती को जमुई से टिकट मिला है।
