लोकसभा चुनाव 2024 में 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश बेहद महत्वपूर्ण राज्य है। उत्तर प्रदेश के चुनावी हालत को देखें तो यह समझ में आता है कि एनडीए गठबंधन 80 सीटों वाले इस राज्य में 27 सीटों पर जोरदार चुनावी मुकाबले का सामना कर रहा है।

इनमें से पश्चिम, मध्य और पूर्वांचल में ऐसी 20 सीटें हैं। इसके पीछे वजह स्थानीय सांसदों के खिलाफ माहौल, जातीय समीकरण और इंडिया गठबंधन के द्वारा उम्मीदवारों का चयन है।

ऐसी 20 लोकसभा सीटें जो एनडीए के पास हैं और वहां उसे इंडिया गठबंधन की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है, इन सीटों के नाम- अयोध्या, चंदौली, बांसगांव, खीरी, प्रतापगढ़, कैराना, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, पीलीभीत, मोहनलालगंज, अमेठी, कन्नौज, कौशाम्बी, इलाहाबाद, बाराबंकी, बस्ती, संत कबीर नगर, आजमगढ़ और बदायूं हैं।

इन सीटों में से एनडीए ने इस बार पीलीभीत, बाराबंकी, फिरोजाबाद, इलाहाबाद, रॉबर्ट्सगंज और बदायूं में नए उम्मीदवार उतारे हैं।

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वाराणसी में प्रचार करते सीएम योगी और पीएम मोदी (Source- PTI)

बीजेपी के स्थानीय नेताओं के मुताबिक पार्टी के उम्मीदवारों को अयोध्या, अमेठी, खीरी, आजमगढ़, कौशांबी, फतेहपुर सीकरी और प्रतापगढ़ में भी अपने कार्यकर्ताओं से जूझना पड़ा है। अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर उत्तर प्रदेश भाजपा के एक नेता ने कहा कि वे लोग सिर्फ अपने करीबियों की ही बात सुनते हैं।

UP BJP Polls 2024: बीजेपी को उम्मीद- सभी सीटें जीतेंगे

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में 11 सीटों पर बीजेपी नजदीकी मुकाबले में है। इन सीटों में- कन्नौज, आजमगढ़, बदायूं, गाजीपुर और घोसी शामिल हैं लेकिन हमें इन सभी सीटों पर जीत मिलेगी। त्रिपाठी कहते हैं कि नतीजे वाले दिन तीन से चार दौर की काउंटिंग के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी।

इनमें से अधिकतर सांसदों के खिलाफ एक आम शिकायत यह है कि वे अपने लोकसभा क्षेत्र में इतने सक्रिय नहीं रहते थे जितने मतदाता और कार्यकर्ता चाहते थे। इसके अलावा यह लोग जिला मुख्यालय से बाहर भी नहीं जाते थे और सिर्फ स्थानीय प्रशासन से ही मिलते थे। बीजेपी के कुछ नेताओं ने इस बात की शिकायत की कि कई बार पार्टी के जिला स्तर के पदाधिकारी को सांसदों और उनके प्रतिनिधियों से मिलने का मौका नहीं मिलता था और उनकी शिकायत और समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता था।

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वाराणसी में प्रचार करते पीएम मोदी (Source- PTI)

उदाहरण के लिए अयोध्या में दो बार के स्थानीय सांसद लल्लू सिंह के खिलाफ असंतोष था। इस असंतोष की वजह शहर में चल रहे विकास कार्यों और सड़कों के चौड़ीकरण की वजह से घरों और दुकानों को तोड़ा जाना था। यहां से सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद लोगों के संपर्क में रहने के लिए जाने जाते हैं। इस वजह से इस लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी को राम मंदिर निर्माण के फैक्टर के बाद भी खराब स्थिति का सामना करना पड़ा।

मोहनलालगंज सीट से बीजेपी उम्मीदवार कौशल किशोर और फतेहपुर सीकरी सीट से चुनाव मैदान में उतरे राजकुमार चाहर भी कड़े चुनावी मुकाबले में फंसे हैं। इसके पीछे पार्टी कार्यकर्ताओं से सांसदों की दूरी का होना बताया जाता है।

पीलीभीत, इलाहाबाद, बाराबंकी और फिरोजाबाद में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों को इस बार बदला है जबकि सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने स्थानीय जातीय समीकरणों के हिसाब से रणनीति बनाकर उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा।

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रायबरेली में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा। (Source- @priyankagandhi/X)

Allahabad Neeraj Tripathi: नीरज त्रिपाठी बनाम उज्जवल रमण

इलाहाबाद सीट पर भाजपा ने इस बार वरिष्ठ नेता रीता बहुगुणा जोशी की जगह पर नीरज त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा। नीरज त्रिपाठी पार्टी के वरिष्ठ नेता केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे हैं। इंडिया गठबंधन ने यहां से सपा के विधायक उज्जवल रमण को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाया। उज्जवल रमण सपा के वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह के बेटे हैं। यहां पर विपक्षी इंडिया गठबंधन को मुस्लिम, ओबीसी और दलित मतदाताओं के एकजुट होने से चुनावी फायदे की उम्मीद है और यह बीजेपी के आधार वाले ब्राह्मण और सामान्य मतदाताओं के समीकरण पर भारी पड़ सकता है।

ऐसी सात लोकसभा सीटें जिन पर बीजेपी को पिछली बार जीत मिली थी लेकिन इस बार यहां पर कड़ा चुनावी मुकाबला है। इन सीटों में से घोसी और गाजीपुर की सीट शामिल है। इन दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों में गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है और इसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिल सकता है।

मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी पिछला चुनाव गाजीपुर से जीते थे और इस बार सपा के टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि घोसी सीट से सपा के उम्मीदवार राजीव राय हैं। उनका मुकाबला यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर से है।

कड़े मुकाबले वाली ऐसी और सीटों के नाम- अंबेडकर नगर, अमरोहा, लालगंज, सहारनपुर और श्रावस्ती हैं।

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पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर के बेटे नीरज शेखर (Source- facebook)

Congress SP Alliance UP: सपा से मिली कांग्रेस को ताकत

उत्तर प्रदेश में गठबंधन के तहत मिली 17 सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस बीजेपी के साथ सीधे चुनावी मुकाबले में है। कांग्रेस को उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में सपा से भी काफी समर्थन मिला है। उत्तर प्रदेश में चुनाव के शुरुआती चरणों में सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सिर्फ एक चुनावी सभा को संबोधित किया था।

लेकिन जैसे-जैसे चुनाव पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर आगे बढ़ा अखिलेश यादव ने कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए 10 चुनावी रैलियां की।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ हुए गठबंधन से हमें कई सीटों पर प्रचार के दौरान ताकत मिली। रायबरेली और अमेठी के अलावा ऐसी सीटें बाराबंकी, सहारनपुर, फतेहपुर सीकरी, सीतापुर और कानपुर हैं।