Ladki Bahin Yojana Maharashtra elections 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में चल रहा सियासी घमासान अब अंतिम चरण में है। महाराष्ट्र में महायुति और महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। इस चुनाव में दलित, ओबीसी, मराठा, मुस्लिम मतदाताओं के बीच एक बड़ा वोट बैंक महिलाओं का भी है और महायुति और MVA दोनों ने ही महिलाओं के वोटों पर कब्जे की पूरी कोशिश की है। महायुति ने जहां लड़की बहिन योजना के तहत दी जाने वाली राशि को सत्ता में फिर से लौटने पर बढ़ाने का वादा किया है, वहीं MVA ने सरकार बनने पर महायुति से भी ज्यादा राशि देने का वादा किया है। ऐसे में सवाल यह है कि महाराष्ट्र में महिलाओं का साथ किसे मिलेगा?
20 नवंबर को राज्य में सभी 288 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। महायुति गठबंधन में (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) जबकि MVA में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) शामिल हैं। महाराष्ट्र में कुल मतदाता 9.53 करोड़ हैं और इनमें से 4.9 करोड़ पुरुष मतदाता हैं, जबकि 4.6 करोड़ महिला वोटर हैं।
लड़की बहिन योजना के जवाब में MVA की महालक्ष्मी योजना
महायुति के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा लड़की बहिन योजना है। महायुति ने ऐलान किया है कि अगर फिर से उसकी सरकार बनी तो महिलाओं को हर महीने 1500 से बढ़ाकर 2100 रुपए दिए जाएंगे। जबकि MVA ने इसके जवाब में महालक्ष्मी योजना के तहत वादा किया है कि वह महिलाओं को 3000 रुपए हर महीने देगी और सरकारी बसों में फ्री सवारी की सुविधा भी देगी। निश्चित रूप से दोनों ही गठबंधन में शामिल दल महिलाओं का वोट चाहते हैं।
महायुति की सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लड़की बहिन योजना को लागू किया था। शिंदे सरकार का कहना है कि इस योजना की वजह से महाराष्ट्र में कम से कम 2.26 करोड़ महिलाओं को फायदा मिला है।

महाराष्ट्र में चल रहे चुनाव प्रचार के दौरान यह साफ दिखाई दिया है कि महायुति में शामिल दलों और MVA के बीच महिलाओं के वोटों पर कब्जे की लड़ाई है। इस योजना के तहत 21 से 65 साल की महिलाओं को सरकार की ओर से 1500 रुपए दिए जाते हैं। इसमें शर्त यह है कि ऐसे परिवारों की सालाना आय ढाई लाख रुपए से कम होनी चाहिए।
एमपी, छत्तीसगढ़ में मिली थी बीजेपी को जीत
याद दिलाना होगा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लिए महिलाओं के लिए चलाई गई ऐसी योजना गेम चेंजर साबित हुई थी। बीते साल दिसंबर में हुए इन राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी।
द इंडियन एक्सप्रेस की टीम नंदूरबार और सिंधुदुर्ग पहुंची और इन जिलों में महिलाओं से बात की। इन दोनों ही जिलों में इस योजना को शुरू किया जा चुका है। नंदूरबार में 97% और सिंधुदुर्ग में 96% महिलाओं के खातों में लड़की बहिन योजना के तहत मासिक पैसा आ चुका है। इस योजना के तहत महिलाओं को उनके बैंक अकाउंट में पैसा दिया जाता है और यह उनकी जरूरत में काम आता है।

…मुश्किल के वक्त काम आता है पैसा
36 साल की नीलिमा वाल्वी बताती हैं कि अगस्त में उन्हें इस योजना से जो पैसा मिला उन्होंने इसे अपनी 8 साल की बेटी के इलाज पर खर्च किया। उनकी बेटी कक्षा 3 में पढ़ती है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस योजना से मिलने वाला पैसा बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन यह हमारी मुश्किलों के वक्त यह बहुत काम आता है। वह नंदुरबार के नवापुर में एक आदिवासी बस्ती में रहती हैं।
इसी तरह सिंधुदुर्ग के एक गांव में रहने वालीं पास्किन डिसूजा घरेलू सहायिका हैं। जब वह पैसे निकालने बैंक जाती हैं तो उन्हें बस टिकट के लिए 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं लेकिन वह इस बात से खुश हैं कि अब उनके पास कुछ पैसे आ रहे हैं। डिसूजा के पति मजदूर हैं। वह कहती हैं कि मैं उसे सरकार को वोट कैसे ना दूं जिसने मेरी उस वक्त मदद की जब मुझे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।
सिंधुदुर्ग के पुष्पावाड़ी गांव में 62 साल की सुवर्णलता पवार कैंसर से पीड़ित हैं। वह द इंडियन एक्सप्रेस को बताती हैं कि उनके इलाज के लिए उनके बेटों को कर्ज लेना पड़ा लेकिन जब उन्हें लड़की बहिन योजना से पैसा मिला तो उन्होंने इस पैसे से कर्ज की एक किस्त दी। वह आसमान की ओर देखते हुए हाथ जोड़कर इस बात को कहती हैं और इससे पता चलता है कि इस योजना से उन्हें कितना फायदा हुआ है।

…पैसा मिलता रहेगा, इसकी क्या गारंटी है?
इसी तरह 60 साल की स्नेहा वालावलकर और 40 साल की सखुबाई गावित दोनों ही इस योजना से मिलने वाले पैसे को लेकर खुश हैं। लेकिन वे यह सवाल जरूर उठाती हैं कि महंगाई इतनी ज्यादा है तो इस पैसे से क्या हो पाएगा? एक महिला सुमा गावित पूछती हैं कि अगर महायुति सत्ता में आई तो यह पैसा मिलता रहेगा इसकी क्या गारंटी है।
काजू की फैक्ट्री में काम करने वालीं भाग्यश्री राउत और शीतल परब कहती हैं कि चुनाव के बाद इस योजना का क्या होगा, इसे लेकर उन्हें डर लगता है। दोनों को ही फैक्ट्री में काम करने के हर दिन 170 रुपये मिलते हैं। सिंधुदुर्ग जिले की कंकावली सीट से बीजेपी विधायक नितेश राणे इसे बड़ी योजना बताते हैं जबकि शिवसेना यूबीटी के नेता कहते हैं कि लोग यहां पर विकास चाहते हैं।
हरियाणा के नतीजों से मिली ताकत
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बैकफुट पर आई बीजेपी को हरियाणा ने ऊर्जा दी है। हरियाणा की जीत ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को इस बात का भरोसा दिलाया है कि वह हारी हुई बाजी को भी जीत सकते हैं। हालांकि अजित पवार के बंटेंगे तो कटेंगे को लेकर असहमति जताने से महायुति में दरार दिखाई दी है।
लोकसभा चुनाव 2024 में आगे रहा था MVA
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 9 | 23 |
कांग्रेस | 13 | 1 |
एनसीपी | 1 | 4 |
एनसीपी (शरद चंद्र पवार) | 8 | – |
शिवसेना (यूबीटी) | 9 | – |
शिवसेना | 7 | 18 |
दूसरी ओर MVA को उम्मीद है कि वह लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त को बरकरार रखेगी। लेकिन जीत तय करने में महिला मतदाताओं की भूमिका निश्चित रूप से अहम रहेगी। देखना होगा कि महिला मतदाता किसका साथ देती हैं।