बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को जहां इस बात पर आपत्ति है कि मुस्लिम मोदी सरकार की सभी योजनाओं का फायदा लेने के बावजूद बीजेपी को वोट नहीं दे रहे, वहीं कर्नाटक में बीजेपी के सांसद रमेश जिगाजिनागी का सवाल है कि दलितों ने पार्टी का पूरा साथ दिया, फिर भी भाजपा ने उन्हें कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं बनाया?
दलित समुदाय से आने वाले रमेश जिगाजिनागी लगातार सातवीं बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं। वह चिक्कोडी से तीन बार और बीजापुर से चार बार चुनाव जीत चुके हैं।
रमेश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘आप लोग बताएं कि यह नाइंसाफी है या नहीं। पूरे दक्षिण भारत में मैं दलित समुदाय से आने वाला अकेला शख्स हूं जो लगातार सात चुनाव जीत चुका है। ऊंची जाति के सांसदों को ही मंत्री बनाया गया है। क्या दलित समुदाय ने बीजेपी का समर्थन नहीं किया? कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने की वजह से मुझे गहरा धक्का लगा है।’

कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर मीडिया के सवालों के जवाब में सांसद ने कहा, ‘मुझे कैबिनेट में जगह नहीं चाहिए; मुझे लोगों का साथ चाहिए। चुनाव नतीजों के बाद लोगों ने मुझे गालियां दीं। लोगों ने मुझे याद दिलाया कि उन्होंने बीजेपी के दलितों के खिलाफ होने के बारे में बताया था और यह भी कहा था कि मैं बीजेपी में शामिल न होऊं।’
कर्नाटक से कौन बने मोदी कैबिनेट में मंत्री
| मंत्री का नाम | राजनीतिक दल | जाति | 
| प्रल्हाद जोशी | बीजेपी | ब्राह्मण | 
| वी. सोमन्ना | बीजेपी | लिंगायत | 
| शोभा करंदलाजे | बीजेपी | वोक्कालिगा | 
| एचडी कुमारस्वामी | जेडी(एस) | वोक्कालिगा | 
72 वर्षीय रमेश पहली बार 1998 में सांसद चुने गए थे और तब से उन्होंने सभी लोकसभा चुनाव जीते हैं। वह 2016 और 2019 तक पेयजल और स्वच्छता राज्य मंत्री का पद संभाल चुके हैं।
सांसद रमेश ने सवाल उठाया है कि अगर दलितों ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन किया है तो उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाए जाना चाहिए था।
गिरिराज बोले थे- हमारे साथ दोहरा व्यवहार क्यों करते हैं मुस्लिम
रमेश का यह बयान ऐसे समय आया है जब भाजपा के कई नेता मुसलमानों को निशाने पर लेते हुए कहते रहे हैं कि वे सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के बावजूद भाजपा को वोट नहीं देते।
बेगूसराय से भाजपा सांसद और केंद्र में मंत्री गिरिराज सिंह एक कार्यक्रम में कहते हैं कि उन्होंने अपने इलाके में एक मौलवी साहब से पूछा कि क्या सरकार की किसी योजना में उनके साथ किसी तरह का कोई भेदभाव हुआ तो इस पर मौलवी ने कहा कि नहीं उनके साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं हुआ। लेकिन जब उन्होंने मौलवी से यह पूछा कि वह खुदा को याद करके बताएं कि क्या उन्होंने उन्हें वोट दिया है तो मौलवी ने इसका जवाब ना में दिया।
गिरिराज सिंह ने यह सवाल उठाया था कि आखिर सब कुछ मिलने के बाद भी उनके साथ इस तरह का दोहरा व्यवहार क्यों किया गया।
मोदी सरकार में कितने हैं दलित मंत्री
| समुदाय | मंत्रियों की संख्या | 
| दलित | 10 | 
| ओबीसी | 27 | 
| अपर कास्ट | 21 | 
| आदिवासी | 5 | 
| धार्मिक अल्पसंख्यक | 5 | 
धार्मिक अल्पसंख्यकों में हालांकि मुस्लिम समुदाय से किसी भी नेता को मंत्री नहीं बनाया गया है।
इंडिया गठबंधन को मिला दलित समुदाय का ज्यादा समर्थन
| इंडिया को मिली सीटें | एनडीए को मिली सीटें | अन्य को मिली सीटें | |
| लोकसभा चुनाव 2019 | 40 | 91 | 25 | 
| लोकसभा चुनाव 2024 | 93 | 57 | 6 | 
एक्सिस-माय इंडिया के द्वारा कराए गए पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक वोट शेयर के मामले में भी दलित समुदाय का रुख एनडीए से इंडिया गठबंधन के साथ ज्यादा दिखाई दिया है।
| इंडिया को मिले वोट (प्रतिशत में) | एनडीए को मिले वोट (प्रतिशत में) | अन्य को मिले वोट (प्रतिशत में) | |
| लोकसभा चुनाव 2019 | 28 | 41 | 31 | 
| लोकसभा चुनाव 2024 | 46 | 35 | 19 | 
यूपी में दलितों तक पहुंचेगी भाजपा
उत्तर प्रदेश में इस बार बीजेपी को दलित सीटों के मामले में काफी नुकसान हुआ है। बीजेपी के उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व ने इसकी समीक्षा की है और यह योजना बनाई है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में दलित मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश करेगी। पार्टी को पता चला है कि दलित समुदाय के साथ जनसंपर्क में कमी और पार्टी का संदेश जमीनी स्तर तक न पहुंचने की वजह से पार्टी की सीटें घटी हैं।

यूपी में एनडीए के दलित सांसद घटे
उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने राज्य की सभी आरक्षित 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2019 में एनडीए को 15 और बसपा को 2 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार एनडीए को सिर्फ आठ सीटें ही मिली हैं। सपा को 7, कांग्रेस और आज़ाद समाज पार्टी (कांशी राम) को एक-एक सीट मिली है।
