सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन भीमराव लोकुर ने न्यायपालिका और केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि दोनों आमने-सामने बैठकर बात करें। जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा को दिए इंटरव्यू में जस्टिस लोकुर ने यह सुझाव दिया था।

दरअसल जस्टिस लोकुर से पूछा गया था कि उनके जज रहने और रिटायर होने के बाद सरकार और न्यायपालिका का रिश्ता कितना बदला है। इसके जवाब में उन्होंने कहा, “दोनों का रिश्ता काफी बदला है। पहले इतना तनाव नहीं था।”

इसके बाद रविशंकर प्रसाद के कानून मंत्री रहे हुए विवाद का उदाहरण देते हुए लोकुर ने कहा, “जहां तक मुझे याद है, कोई एक प्रॉब्लम था। क्या प्रॉब्लम था, मुझे ठीक से याद नहीं। रविशंकर प्रसाद लॉ मिनिस्टर थे। चीफ जस्टिस साहब ने उन्हें फोन किया और कहा कि आपसे कुछ डिस्कस करना है। इसके बाद रविशंकर प्रसाद जी सुप्रीम कोर्ट आए। चीफ जस्टिस के चेम्बर में आए। हम सब वहीं थे। एक कप चाय के साथ कानून मंत्री के साथ बातचीत शुरू हुई और चाय का कप खत्म भी नहीं हुआ था तब तक मामले का निदान हो गया।”

रविशंकर प्रसाद के पहल की तारीफ करते हुए लोकुर कहते हैं, “रविशंकर प्रसाद तो वकील थे पहले। उनको क्या फर्क पड़ता है। वह तो पहले रोज सुप्रीम कोर्ट जाते थे। इसलिए उन्हें कोई हिचक तो थी नहीं। जो भी कुछ था आमने-सामने बैठकर बात हो गयी और एक मिनट भी नहीं लगा, सब ठीक हो गया। तब रिलेशन (न्यायपालिका और सरकार के बीच) अच्छे थे। कोई समस्या नहीं थी। एक-दो समस्याएं हुई होंगी, वह चीफ जस्टिस और लॉ मिनिस्टर जानते होंगे। जहां तक मुझे पता है, कोई प्रॉब्लम्स नहीं थीं।”

वर्तमान परिस्थित का जिक्र करते हुए जस्टिस लोकुर कहते हैं, “आजकल कोई यहां कुछ भाषण दे रहा है। कोई वहां कुछ भाषण दे रहा है। आमने-सामने बैठकर आप क्यों नहीं बात कर लेते। पता नहीं ऐसे बेकार में क्यों तनाव हो रहा है।”

सरकार और न्यायपालिका आमने-सामने

जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका में गहरा मतभेद है। हाल में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू और और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ दोनों ने शिरकत की। जजों की नियुक्ति के सिस्टम ‘कॉलेजियम सिस्टम’ को लेकर दोनों ने एक दूसरे के विपरित राय रखी।

CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

कॉलेजियम सिस्टम का बचाव करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हर प्रणाली परफेक्ट नहीं होती, लेकिन यह सबसे बेहतरीन सिस्टम है जिसे हमने विकसित किया है। इसका मकसद न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित करना था, जो एक प्रमुख मूल्य है। अगर न्यायपालिका को स्वतंत्र रखना है तो हमें न्यायपालिका को बाहरी प्रभावों से अलग रखना होगा।”

कानून मंत्री रिरिजू ने क्या कहा?

कॉलेजियम सिस्टम से असहमति जताते हुए कानून मंत्री किरन रिजिजू ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति का प्रोसेस जो है, उससे मेरी असहमति है। सुप्रीम कोर्ट हो या हाईकोर्ट, हर किसी की अपनी सीमा है न्याय देने कि लिए। वो कोई सरकार नहीं हैं। यदि सरकार कोई फैसला लेती है तो उसके लिए पहले कई तरह की जानकारियां या इनपुट मिले हुए होते हैं… सुप्रीम कोर्ट हो या हाईकोर्ट या फिर निचली अदालत, बार, हर कहीं से जजों को लेकर कई तरह की शिकायतें मेरे पास आती हैं लेकिन हम उनका नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। यदि कोई जज अपने अन्य जज को लेकर टिप्पणी करता है तो उसका नाम तो सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं ना? इससे मुद्दे का हल नहीं होगा।”